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बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार की कहानी; भारत आए बांग्देशियों ने बताया दर्द, बोले-वहां हो रहा जानवर से भी बदतर व्यवहार - TORTURE ON HINDUS

वाराणसी पहुंचे 12 बांग्लादेशी हिंदुओं के दल ने शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद से मुलाकात की. बोले, हमें सुरक्षा सम्मान के साथ जीने का मौका दिया जाए.

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बांग्लादेश से वाराणसी आए हिंदुओं ने शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद से मुलाकात की. (Photo Credit; ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 25, 2024, 6:46 PM IST

वाराणसी: बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमले, अत्याचार और मंदिरों में हो रही तोड़फोड़, आगजनी की घटनाओं को लेकर लगातार हंगामा जारी है. हिंदू वहां कितने सुरक्षित हैं, इसे लेकर सड़क से संसद तक भी हंगामा हो रहा है. लेकिन, वास्तविकता क्या है यह बताने के लिए ईटीवी भारत ने बांग्लादेशी हिंदुओं से बात की. ये वे लोग हैं जो अपनी जान बचाकर वहां से भारत आ गए और यहां शरण ले रखी है.

बांग्लादेश से सुरक्षित किसी दूसरे देश पहुंचकर वहां से भारत और फिर वाराणसी पहुंचे 12 बांग्लादेशी हिंदुओं के दल ने बुधवार को शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद से मुलाकात की. इन सभी बांग्लादेशी हिंदुओं का बस एक ही कहना था कि हमें सुरक्षा सम्मान के साथ हमारे धर्म में जीने का मौका दिया जाए. बेवजह हम पर कन्वर्ट होने का दवाब न बनाया जाए.

बांग्लादेश से वाराणसी आए हिंदुओं से संवाददाता ने की बात. (Video Credit; ETV Bharat)

वाराणसी पहुंचे इन बांग्लादेशी हिंदुओं ने शंकराचार्य से उनके धर्म की रक्षा करते हुए उनकी जन्म और कर्मभूमि पर बसाए जाने के लिए हस्तक्षेप की मांग की, जिसके बाद शंकराचार्य ने भी कहा कि सरकार से वह खत लिखकर इस मामले में हस्तक्षेप करने के लिए आगे आने की अपील करेंगे.

बांग्लादेश से वाराणसी पहुंचे हिंदुओं के दल के कुछ सदस्यों से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की. इस दौरान बांग्लादेश में आजादी की लड़ाई लड़ने वाले परिवार की एक महिला ने बांग्लादेश में हिंदुओं की वर्तमान स्थिति और आपबीती को बयां किया.

उन्होंने बताया कि जब बांग्लादेश अलग हुआ, उस वक्त उनके परिवार के लोग आजादी की लड़ाई में शामिल थे. उस वक्त लड़ाई लड़के बांग्लादेश को अलग करने में उन सभी ने योगदान दिया, लेकिन अब हालात ऐसे बने कि उन्हें अपना घर, अपनी जमीन, अपनी नौकरी छोड़कर भागना पड़ा.

बांग्लादेश से भारत आई महिला ने बताया कि उनका वीजा भी जल्द खत्म होने वाला है और वह वापस जाना चाहती हैं, लेकिन डर इस बात का है कि वह बचेंगे या नहीं, यह उन्हें नहीं पता. इस वजह से यहां मौजूद सभी बांग्लादेशी हिंदुओं ने अपने चेहरे को ढक कर रखा था. अपनी पहचान भी उजागर नहीं कर रहे थे.

ईटीवी भारत से बातचीत करने वाली महिला का कहना था कि वहां हिंदुओं की स्थिति बेहद खराब है. उन्हें मारा जा रहा है, घर जलाए जा रहे हैं, महिलाओं और बच्चियों के साथ बलात्कार की घटनाएं हो रही हैं. उनके साथ जबरदस्ती शादियां की जा रही है.

उन्होंने बताया कि स्कूलों के अंदर पढ़ाने वाले हिंदू बांग्लादेशी टीचर्स को वहां के छात्र पीट रहे हैं. उनको मार कर निकाला जा रहा है. सरकारी नौकरी करने वाले हिंदू बांग्लादेशियों को इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया जा रहा है.

शिक्षा जगत से जुड़े हिंदू बांग्लादेशियों के साथ तो बहुत ही गंदा व्यवहार हो रहा है. उनके घरों में घुसकर उनकी डिग्रियों और उनके कॉपी किताब के साथ अन्य शिक्षा की सामग्रियों को जला दिया जा रहा है. बेहद बुरी स्थिति से जूझ रहे हैं बांग्लादेश में हिंदू कम्युनिटी के लोग, लेकिन कोई उनके साथ नहीं देने वाला है.

महिला चिल्लाते हुए यह भी बोली कि बांग्लादेश हमारा देश है, हम ऐसे ही वहां से नहीं जाएंगे, हम वहां पैदा हुए और अपनी जान भी वहीं देंगे. हमें वहां रहने दिया जाए. शेख हसीना का प्रत्यर्पण नहीं होना चाहिए.

अलग बांग्लादेश बनने के दौरान 1971 में अपने दादा को खो चुके क्रांतिकारी परिवार के अन्य बांग्लादेशी हिंदू ने अपने दर्द को बयां किया. उन्होंने बताया कि हमने आजादी की लड़ाई में अपने परिवार के लोगों को खोया. हम वहां रहते हैं लेकिन, हमारे साथ इस तरह का व्यवहार हो रहा है कि हम बता नहीं सकते.

हमारी कई बीघा जमीन पर कब्जा कर लिया गया है. हम जब जाते तो हमें भगा दिया जाता. जान से मारने की धमकी दी जाती है. हमारे घर के बगल से ही हिंदू परिवार की एक 10 साल की बेटी को जबरदस्ती उठा कर ले गए. उसका पता नहीं चला. कितने हमारे साथी गायब हैं और तेजी से बांग्लादेश में हिंदुओं की संख्या घट रही है, लेकिन न यूनाइटेड नेशन और ना ही कोई अन्य देश इस बारे में बोल रहा है.

उन्होंने बताया कि हमारी शिकायत कोई नहीं सुनता है. पुलिस वाले उल्टा हमें ही धमकी देते हैं और कहते हैं बांग्लादेश छोड़कर चले जाओ. यह तुम्हारा देश नहीं है. हम भारत से यह डिमांड करते हैं कि सीएए कानून में थोड़ा संशोधन करें. ताकि हम लोगों को यहां पर शरण मिल सके, क्योंकि अब हम भारत के अलावा किसी और देश की तरफ उम्मीद से नहीं देख सकते. हम बांग्लादेश जा नहीं सकते, भारत में रह नहीं सकते. ऐसी स्थिति में हम क्या करें.

शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि यह बांग्लादेशी हिंदू भाई हमारे पास आए हैं. उनका कहना है कि हम उनकी मदद करें. हम सरकार से बात करेंगे. उन्होंने हमें दो-तीन बातें कही हैं. एक बात कही है कि हिंदू बांग्लादेशियों को वहां के हिस्से में अलग जमीन देकर स्थापित किया जाए, ताकि वह सुरक्षित रहें. यदि यह संभव नहीं है तो बांग्लादेश के लोग जो भारत में रह रहे हैं उन्हें वहां भेजा जाए और हमें यहां रखा जाए.

यह अदला बदली की प्रक्रिया की जाए. हम इस संदर्भ में सरकार से वार्ता की कोशिश करेंगे. लेकिन, सरकार और विपक्ष दोनों को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए. स्वामी ने कहा कि भले ही हम किसी के वोट बैंक नहीं हैं लेकिन, इनके जरिए हम तो उनके वोट बैंक हैं. ऐसी स्थिति में भारत की राजनीति भी प्रभावित होगी अगर सारे हिंदू एकजुट हो जाएंगे.

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