मेरठ :7.20 करोड़ के फर्जी स्टाम्प पर 997 लोगों की रजिस्ट्री कराने के फरार चल रहे आरोपी एडवोकेट विशाल वर्मा को गुरुवार को सिविल लाइंस पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. विशाल वर्मा के खिलाफ लोगों ने जिलाधिकारी दीपक मीणा, एसएसपी से लेकर लखनऊ तक इसकी शिकायत की थी. विशाल वर्मा की गिरफ्तारी की मांग को लेकर व्यापारी भी संघर्ष कर रहे थे. विशाल वर्मा इन सब के बावजूद पुलिस की आंखों में धूल झोंक कर फरार चल रहा था. जिसके चलते पहले मामले में विशाल वर्मा को हाईकोर्ट से गिरफ्तारी स्टे मिल गया था. लोगों की तहरीर पर पुलिस ने एक और मुकदमा दर्ज किया था. जिसको लेकर पुलिस विशाल वर्मा की तलाश में थी. आखिरकार विशाल वर्मा पुलिस की गिरफ्त में आ ही गया. वहीं एसएसपी डॉ. विपिन ताडा ने बताया कि पुलिस विशाल वर्मा से पूछताछ कर रही है.
ऐसे सामने आया घोटाला:उत्तर प्रदेश के स्टांप और न्यायालय शुल्क एवं पंजीयन मंत्री रवींद्र जायसवाल को 2023 में मेरठ में हुए दो फर्जी तरीकों से हुए बैनामों की शिकायत मिली. जिसमें कहा गया था कि इनमें जो स्टांप लगे हैं, वे पूरी तरह से फर्जी हैं. मंत्री रविंद्र जायसवाल ने इस संबंध में लखनऊ में उच्च अधिकारियों से फर्जी स्टांप घोटाले में जवाब मांगा तो मेरठ में इसकी जांच शुरू हुई. दोनों बैनामों में लगे स्टांप फर्जी लगे मिलने पर पिछले तीन साल के बैनामों की जांच शुरू हुई. तीन साल के बैनामों में लगे स्टांप चेक किए गए तो चौंकाने वाली जानकारी सामने आई. इस पूरे फर्जी स्टैम्प घोटाले में 997 बैनामों में लोगों के फर्जी स्टांप लगा दिए गए और रजिस्ट्री ऑफिस के अधिकारियों को इसकी जरा सी भी भनक तक नहीं लगी. इन सभी बैनामों में एक बात साफ थी कि ये सभी एक ही अधिवक्ता विशाल वर्मा ने कराए थे.
बैनामा कराने वालों के खिलाफ दर्ज हुई रिपोर्ट:मेरठ उपनिबंधन कार्यालय के कनिष्ठ सहायक निबंधन प्रदीप कुमार ने सिविल लाइंस थाने में बैनामा कराने वालों के खिलाफ 22 मई, 2024 को नामजद रिपोर्ट दर्ज कराई थी. इसके बाद से ही पुलिस भी अपनी जांच पड़ताल में लगी हुई थी. इसके बाद सभी 997 लोगों को स्टांप में कमी बताकर नोटिस जारी कर दिए गए. इसमें जितने के फर्जी स्टांप बैनमों में लगाए गए थे, उनका चार गुना अर्थदंड और 18 प्रतिशत सालाना ब्याज भी लगाया गया.