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लद्दाख भवन के सामने सोनम वांगचुक का अनशन दूसरे दिन भी जारी, कई संगठनों ने की मुलाकात

सोनम वांगचुक के सत्याग्रह को स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया का समर्थन मिला. SFI ने लद्दाख में छठी अनुसूची के समर्थन में अपनी आवाज दी है.

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SFI ने लद्दाख में छठी अनुसूची के समर्थन में अपनी आवाज दी है. (Etv Bharat)

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Oct 7, 2024, 6:49 PM IST

नई दिल्ली: लद्दाख को छठी अनुसूची के तहत राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक का प्रदर्शन दूसरे दिन सोमवार को दिल्ली के लद्दाख भवन में जारी रहा. इस दौरान कई संगठनों ने उनका समर्थन किया और उनसे मुलाकात की. आज, इस आंदोलन को समर्थन देने के लिए स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) की दिल्ली प्रदेश इकाई का एक प्रतिनिधिमंडल लद्दाख भवन में सोनम वांगचुक से मिला.

प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व एसएफआई की सचिव और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) छात्रसंघ की पूर्व अध्यक्ष आईशी घोष ने किया. आईशी घोष ने वांगचुक और उनके समर्थकों के प्रति एकजुटता व्यक्त करते हुए कहा, “हम आपके अनशन और आपकी मांगों के समर्थन में आपके साथ खड़े हैं. आपकी आवाज़ को सामाजिक मंच पर लाना हमारे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है.”

"हम तब तक यहां बैठेंगे जब तक हमें जवाब नहीं मिल जाता कि हम अपने नेताओं से कब मिल पाएंगे. हमने 30-32 दिन तक पैदल यात्रा की है, हम कम से कम एक मुलाकात के तो हकदार हैं. हम कोई असामान्य मांग नहीं कर रहे हैं, हम यहां भाजपा को उसके घोषणापत्र में किए गए वादों की याद दिलाने आए हैं." -सोनम वांगचुक

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मुख्यमंत्री को मिलने की नहीं मिली थी अनुमतिःसोशल एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक ने पिछले चरण में लद्दाख से पैदल चलकर 30 सितंबर को दिल्ली पहुंचने का काम किया. दिल्ली पहुंचने पर उन्हें सिंघु बॉर्डर पर हिरासत में लिया गया था. इस घटना के बाद, दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने बवाना पुलिस स्टेशन में वांगचुक से मिलने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने उन्हें मिलने नहीं दिया. इसको लेकर उन्होंने इसे लोकतंत्र की हत्या करार दिया.

लद्दाख भवन में अनशन:सोनम वांगचुक की पुलिस हिरासत के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी, जिसके बाद सुनवाई से पहले उन्हें रिहा कर दिया गया. इसके बाद वांगचुक ने जंतर मंतर पर शांतिपूर्ण धरना देकर अनशन करने की अनुमति मांगी, लेकिन दिल्ली पुलिस ने इसको भी नकार दिया. परिणामस्वरूप, उन्होंने लद्दाख भवन में अनशन शुरू किया, जिससे उनकी मांग और भी स्थापित हो गई है.

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