सोलन:हिमाचल प्रदेश में साल 2023 में आई आपदा अपने साथ करोड़ों की संपत्ति बहा ले गई तो कई लोगों के आशियाने टूट गए. वहीं, पांच सौ से अधिक लोगों की जिंदगी इस आपदा के भेंट चढ़ गई. आपदा को बीते एक साल का वक्त हो गया है. वहीं, एक बार फिर से मानसून ने दस्तक दे दी है. वहीं, इस मानसून सीजन में आपदा से निपटने को लेकर राज्य सरकार बड़े-बड़े दावे कर रही है. लेकिन धरातल पर हकीकत कुछ और ही है. आलम ये है कि पिछले साल नदियों में गिरे मलबे को हटाया तक नहीं गया है, जिसकी वजह से नदियों का जल स्तर बढ़ने से कई गांवों के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है.
ये बात हम इसीलिए कह रहे हैं क्योंकि सोलन जिले के नालागढ़ विधानसभा क्षेत्र के कोयड़ी कुम्हारहट्टी में पिछली बरसात में सड़क ढहकर नदी में बह गई थी. जिसके बाद नई सड़क का निर्माण किया गया, लेकिन पिछले 1 साल से मलबा नहीं हटाए जाने के कारण नदी बंद पड़ी है और एक विशालकाय तालाब का रूप ले चुकी है, जो मानसून सीजन में आसपास के गांवों में तबाही ला सकता है. इस नदी के जलस्तर बढ़ने से आसपास क्षेत्र के लोग सहमे हुए हैं. क्योंकि अगर जलस्तर इसी तरह से बढ़ता रहा और नदी के पानी की निकासी न हुई कई गांवों के घरों को नुकसान हो सकता है.
नदी के जलस्तर बढ़ने और बारिश होने की वजह से आसपास के गांवों के लोगों के खेत दलदल बन चुके हैं. जमीन लगातार खिसकती जा रही है और अब लोगों के घरों को भी खतरा बना हुआ है. ग्रामीणों का कहना है कि कई बार इस बारे में प्रशासन को अवगत करा चुके हैं. स्वास्थ्य मंत्री धनीराम शांडिल, पीडब्ल्यूडी मंत्री विक्रमादित्य सिंह खुद मौके का निरीक्षण कर चुके हैं. लेकिन समस्या आज भी जस की तस बनी हुई ही है.
ग्रामीणों का कहना है अगर एक बारिश और होती है तो नदी में जलस्तर बढ़ जाएगा और मलबा टूटने की वजह से 10 से 12 गांव इसकी चपेट में आ सकते हैं. जिससे लाखों करोड़ों का नुकसान यहां पर देखने को मिल सकता है. यदि जलस्तर बढ़ा तो इस नदी में बने तालाब का पानी ताल, शीलनु पुल, सेरी चंडी, सल्लेवाल, नंगल, निचली सेरी और ऊपरी सेरी गांवों को नुकसान पहुंचा सकता है.