करनाल:हरियाणा के करनाल में गांव सिरसा के विकास कार्यों में बड़ा घोटाला सामने आया है. जहां फर्जीवाड़ा कर सरकार को 28 लाख का चूना लगाया गया. वहीं, प्रशासन पर सरपंच को बचाने का आरोप लगा है. सिरसी में खंड विकास व पंचायत कार्यालय चिड़ावा द्वारा विकास कार्यों के लिए भेजी गई. राशि में बड़ा घोटाला सामने आया है और मामला अब तूल पकड़ गया है. बड़े से लेकर छोटे अधिकारियों पर मिलीभगत कर जांच प्रभावित करने और दोषियों को बचाने के आरोप लग रहे हैं. वहीं, पंचों समेत मौजिज ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री से जांच की गुहार लगाई है.
अधिकारियों पर जांच प्रभावित करने का आरोप:शिकायतकर्ता सिरसी गांव निवासी व समाजसेवी सुनील काजल, पंच व गांव से मौजिज लोग तथ्यों सहित जांच प्रभावित करने का आरोप लगा है. उनका आरोप है कि जहां भ्रष्टाचार के विरुद्ध सरकार जीरो टॉलरेंस की बात करती है. वहीं, अधिकारी इस माले की जांच को लंबित समेत प्रभावित भी करते नजर आए. अधिकारी दोषियों के साथ मिलीभगत कर उनको बचाने में लगे हुए हैं. उन्होंने कहा कि डीसी की मानें तो गवन किए हुए पैसे को न तो अभी तक अधिकारी रिकवर कर पाए हैं और न ही आरोपियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई कर पाए हैं. ग्रामीण अब सीधे तौर पर मुख्यमंत्री को इस मामले की जांच की मांग कर रहे हैं.
जानें क्या है पूरा मामला:दरअसल, साल 2022 में ग्राम पंचायत सिरसी से अवैध तरीके से राशि निकलवा कर गलत इस्तेमाल करने का आरोप ग्राम सचिव व ग्राम सरपंच पर लगा है. ऐसे में मामला जिला उपायुक्त के संज्ञान में पहुंचा तो डीसी ने तुरंत जांच के आदेश जारी कर दिए थे. पंचायती राज विभाग के एक्सईएन द्वारा ग्राम सरपंच सिरसी द्वारा पंचायत खाते से निकलवाई गई राशि की और विकास कार्यों की बारीकी से जांच की.
पुराने बिल दिखाकर किया घोटाला: जिसमें विकास कार्यों को लेकर सरपंच का कोरम पूरा नहीं था. उसके द्वारा गवन की गई राशि में दो पांचों के हस्ताक्षर फर्जी किए गए. सरपंच और इंटरप्राइजेज द्वारा मिलीभगत कर 1 साल पुराने बिल दिखाकर पैसों का घोटाला किया गया. हरियाणा में पहली बार ऐसा देखने को मिला के 2/3/2023 तक सरपंची का चुनाव भी नहीं हुआ था कि उन बिलों की पेमेंट खंड विकास व पंचायत कार्यालय चिड़ावा द्वारा सिरसी ग्राम सरपंच को दी गई.
लाखों रुपये का किया गबन: शुरुआती जांच में घोटाला सामने आने के बाद डीसी ने तत्कालीन ग्राम सचिव विक्रम को पहले ही निलंबित कर दिया. जिसके बाद पंचायत खातों से लेनदेन पर भी रोक लगा दी. जांच के मुताबिक करीब 28 लाख 55 हजार रुपये की रिकवरी का मामला पाया गया. जो अवैध तरीके से एडवांस निकलवाई गई थी. मामले में डीसी ने ग्राम सरपंच पूनम देवी के पक्ष को सुना और सरपंच द्वारा एक आवेदन पत्र और कुछ दस्तावेज दिखाए. सभी तथ्यों के बाद उपायुक्त को कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला.