अलीगढ़ :आज अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के संस्थापक सर सैयद अहमद खान की जयंती मनाई जा रही है. 207वीं इस जयंती पर एएमयू में भी कार्यक्रम हो रहा है. मुख्य अतिथि फिल्मकार और लेखक मुजफ्फर अली विक्टोरियन युग के 4 पहियों वाले घोड़े से खींचे जाने वाले रथ पर सवार होकर कार्यक्रम स्थल गुलिस्तान-ए-सैयद पहुंचे. कुलपति प्रोफेसर नईमा खातून भी उनके साथ मौजूद रहीं. राइडिंग क्लब के सदस्य उनका स्वागत किया. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को दुल्हन की तरह सजाया गया है.
सर सैयद अहमद खान का जन्म 17 अक्टूबर 1817 को दिल्ली के एक प्रतिष्ठित परिवार में हुआ था. हर साल उनकी जयंती को विश्व में विभिन्न समुदायों की ओर से सर सैयद डे के रूप में मनाया जाता है. एएमयू में भी कई कार्यक्रम होते हैं. आज के कार्यक्रम में स्नेहलता श्रीवास्तव (सेवानिवृत्त आईएएस और पूर्व सचिव, विधि एवं न्याय मंत्रालय), जया वर्मा सिन्हा (सेवानिवृत्त आईआरटीएस व पूर्व अध्यक्ष, भारतीय रेलवे बोर्ड) और अजय चौधरी आईपीएस (विशेष आयुक्त यातायात व लेखक) मानद अतिथि है. कुलपति अध्यक्षीय भाषण देंगी. मुख्य अतिथि भी छात्रों को संबोधित करेंगे.
प्रदर्शनी में सर सैयद अहमद खान ने प्रस्तुत किया था नाटक. (Photo Credit; ETV Bharat) सर सैयद अहमद खान को आधुनिक भारत के वास्तुकारों में से एक माना जाता है. उन्हें उपमहाद्वीप का हितैषी भी कहा जाता है. सर सैयद ने 150 वर्ष पूर्व भारतीयों और विशेषकर भारत के मुसलमानों के उत्थान के लिए आधुनिक शिक्षा की जो रूपरेखा प्रस्तुत की, उसका महत्व मौजूदा समय में भी है. पिता की मृत्यु के बाद सैयद अहमद ने नौकरी संभाली. पहले वे रीडर बने, फिर जूनियर जज बने. उन्होंने अपने सरकारी कर्त्तव्यों को बहुत लगन से निभाया. लिखते भी रहे. सैयद अहमद ने दिल्ली की स्मारकीय इमारतों पर असारुल -सनदीद नामक पुस्तक लिखी, फिर अबुल फजल की लिखी आईने अकबरी का संपादन किया. सर सैयद ने दिल्ली को अपनी चिंता का विषय बनाया.
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी सर सैयद अहमद खान के सपनों को साकार करने वाली यूनिवर्सिटी है. इस संस्था के निर्माण के लिए सर सैयद अहमद खान ने हर संभव प्रयास किया. 8 और 10 फरवरी, 1884 को अलीगढ़ की ऐतिहासिक प्रदर्शनी में सर सैयद अहमद खान ने पैरों में घुंघरू बांधकर एक नाटक प्रस्तुत किया, जिसमें अल्लामा शिबली नोमानी जैसी एक दुकान भी लगी हुई थी. उन्होंने 24 मई, 1875 को एक छोटे से मदरसे से इस अभियान की शुरुआत की, जबकि कॉलेज की आधारशिला वर्ष 1877 में रखी गई थी, सर सैयद का निधन (1898) के बाद साल 1920 में मोहम्मडन एंग्लो ओरिएंटल (एमएओ) कॉलेज को यूनिवर्सिटी का दर्जा मिला.
यह भी पढ़ें :यहां से पढ़कर निकले तो पाकिस्तान के पहले PM बन गए