नई दिल्ली: किसी भी सनसनीखेज मामले को सुलझाने में CCTV फुटेज और टेक्निकल सर्विलांस पुलिस के लिए काफी महत्वपूर्ण होते हैं. कई बार यही फुटेज वायरल होकर दिल्ली पुलिस की किरकिरी भी करा चुके हैं. हाल में नजफगढ़ डबल मर्डर मामले की वायरल सीसीटीवी फुटेज इसका ताजा उदाहरण है. मामले में अभी तक एक भी शूटर पकड़े नहीं गए हैं.
दिल्ली में अनुमान के अनुसार, करीब 2 लाख सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं. उसी सीसीटीवी की फुटेज वायरल हो जाती है, जो पुलिस के लिए परेशानी का सबब बनते हैं. इसको देखते हुए दिल्ली पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा ने इसको लेकर कड़ा रुख अपनाया है. पुलिस सूत्रों के अनुसार, दिल्ली के सभी डीसीपी और थाने के एसएचओ को इस तरह की वीडियो वायरल होने से रोकने के ऑर्डर जारी किए गए हैं. यदि कोई सीसीटीवी फुटेज का वीडियो वायरल होता है, तो जिले के डीसीपी और एसएचओ की जिम्मेदारी तय की जाएगी.
सीसीटीवी फुटेज वायरल होने से आरोपी की शिनाख्त परेड हो जाता है मुश्किल
कहा गया है कि कई गंभीर मामलों की सीसीटीवी फुटेज वायरल होने से जहां एक तरफ पीड़ित की निजता खतरे में पड़ती है. वहीं दूसरी तरफ आरोपी की शिनाख्त परेड कराना भी मुश्किल हो जाता है. क्योंकि वारदात के बाद सीसीटीवी फुटेज लीक होने से उसकी पहचान पहले ही सबके सामने आ जाती है. ऐसे में बाद में शिनाख्त परेड की गुंजाइश नहीं के बराबर रहती है.
फुटेज वायरल होने के कई कारण सामने आए हैं. किसी भी सनसनीखेज मामले की जांच कर रहे पुलिसकर्मी फुटेज को विभिन्न व्हाट्सएप ग्रुप में डालकर आरोपी की पहचान का प्रयास करते हैं. पुलिसकर्मी अपने इन्फॉर्मर को भी भेजकर आरोपी की पहचान करवाने की कोशिश करते हैं, क्योंकि अपराध की काफी घटनाओं को सुलझाने और अपराधियों को पकड़ने में सीसीटीवी से मदद मिलती है. इन सबके बीच वह फुटेज आम लोगों के बीच वायरल हो जाती है, जो परेशानी की वजह बनकर सामने आ जाती है. इसको रोकना पुलिस के लिए आवश्यक हो गया है.