जयपुर. शौर्य दिवस का दिन सेना के युद्ध के इतिहास में एक अनूठा उदाहरण है. 9 अप्रैल 1965 को कच्छ के रण गुजरात में स्थित सरदार पोस्ट में सीआरपीएफ की एक छोटी सी टुकड़ी ने पाकिस्तान की एक पूरी ब्रिगेड का मुकाबला करते हुए पीछे हटने पर मजबूर कर दिया था. तब से 9 अप्रैल के दिन को पूरे भारतवर्ष में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की ओर से शौर्य दिवस के रूप में मनाया जाता है.
राजधानी जयपुर के आमेर में लालवास गांव स्थित सीआरपीएफ की रैपिड एक्शन फोर्स 83 बटालियन की ओर से शौर्य दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया. रैपिड एक्शन फोर्स 83 बटालियन के कमांडेंट प्रवीण कुमार सिंह ने शहीद वाटिका पर शहीदों को पुष्प अर्पित कर याद किया. शौर्य दिवस का दिन केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के लिए बहुत ही ऐतिहासिक और गौरवान्वित है. उत्कृष्ट कार्य करने वाले जवानों और शहीदों की शहादत को याद किया गया.
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रैपिड एक्शन फोर्स की 83वीं बटालियन के कमांडेंट प्रवीण कुमार सिंह के नेतृत्व में शौर्य दिवस समारोह आयोजित किया गया. बटालियन परिसर में शहीद स्मारक पर कमांडेंट प्रवीण कुमार सिंह समेत सभी अधिकारियों और जवानों ने पुष्प अर्पित कर शहीदों को श्रद्धा सुमन अर्पित की. कमांडेंट ने सभी जवानों को भविष्य में देश की रक्षा के लिए सर्वस्व न्योछावर करने वाली परंपरा का निर्वहन करने का संकल्प दिलाया.
रैपिड एक्शन फोर्स 83 बटालियन के कमांडेंट प्रवीण कुमार सिंह ने बताया कि 9 अप्रैल 1965 के दिन कच्छ के रण गुजरात में स्थित सरदार पोस्ट में सीआरपीएफ के सूरमाओं की पराक्रम गाथाओं से सभी जवानों को विस्तृत रूप से अवगत कराया गया है. कम संख्या में रहते हुए सीआरपीएफ की टुकड़ी ने पाकिस्तान की एक पूरी ब्रिगेड का मुकाबला साहस के साथ किया और पाकिस्तान की ब्रिगेड को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया था. हमले में 34 पाकिस्तानी सैनिकों को मौत के घाट उतारकर 4 को जिंदा गिरफ्तार किया गया था. इस संघर्ष में सीआरपीएफ के 6 बहादुर रण बांकुरों ने अपनी शहादत दी थी. यह दिन सेना युद्ध के इतिहास में एक अनूठा उदाहरण है. सीआरपीएफ के बहादुर जवानों की गाथा को श्रद्धांजलि के रूप में हर वर्ष 9 अप्रैल को शौर्य दिवस के रूप में मनाया जाता है.