प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नाबालिग लड़की के साथ रेप के आरोपी को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा कि रेप पीड़िता को दोहरी परेशानी का सामना करना पड़ता है. पहला यौन हिंसा की घटना और दूसरा उसके बाद का मुकदमा.
इन प्रक्रियाओं के कारण पीड़िताओं पर, विशेष रूप से नाबालिगों से जुड़े मामलों में पड़ने वाले गहरे भावनात्मक और शारीरिक दबाव पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यौन हिंसा न केवल एक अमानवीय कृत्य है, बल्कि पीड़ित की निजता और गरिमा का भी गंभीर उल्लंघन है. यौन हिंसा एक अमानवीय कृत्य होने के अलावा, एक महिला की निजता और पवित्रता के अधिकार का गैरकानूनी अतिक्रमण है. यह उसके सर्वोच्च सम्मान के लिए गंभीर आघात है और उसके आत्मसम्मान व गरिमा को ठेस पहुंचाता है.
यह पीड़िता को अपमानित करता है और जब पीड़िता असहाय मासूम बच्ची होती है, तो वह अपने पीछे एक दर्दनाक अनुभव छोड़ जाती है. यह आदेश न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने दिया है. मामले के तथ्यों के अनुसार नाबालिग पीड़िता की मां ने बरेली के क्योलडिया थाने में आईपीसी की धारा 376(2)(एन), 328, 120-बी, 506, 452 व 323, पॉक्सो एक्ट की धारा 5 एल, 5 जे(ii) व 6 के तहत एफआईआर दर्ज कराई. उस समय पीड़िता चार माह की गर्भवती थी.