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हाईकोर्ट ने कहा- यौन हिंसा अमानवीय कृत्य ही नहीं, महिला की निजता और पवित्रता के अधिकार का अतिक्रमण भी - ALLAHABAD HIGH COURT

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नाबालिग लड़की के साथ रेप के आरोपी को जमानत देने से इनकार कर दिया.

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इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश (Photo Credit- ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 16 hours ago

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नाबालिग लड़की के साथ रेप के आरोपी को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा कि रेप पीड़िता को दोहरी परेशानी का सामना करना पड़ता है. पहला यौन हिंसा की घटना और दूसरा उसके बाद का मुकदमा.

इन प्रक्रियाओं के कारण पीड़िताओं पर, विशेष रूप से नाबालिगों से जुड़े मामलों में पड़ने वाले गहरे भावनात्मक और शारीरिक दबाव पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यौन हिंसा न केवल एक अमानवीय कृत्य है, बल्कि पीड़ित की निजता और गरिमा का भी गंभीर उल्लंघन है. यौन हिंसा एक अमानवीय कृत्य होने के अलावा, एक महिला की निजता और पवित्रता के अधिकार का गैरकानूनी अतिक्रमण है. यह उसके सर्वोच्च सम्मान के लिए गंभीर आघात है और उसके आत्मसम्मान व गरिमा को ठेस पहुंचाता है.

यह पीड़िता को अपमानित करता है और जब पीड़िता असहाय मासूम बच्ची होती है, तो वह अपने पीछे एक दर्दनाक अनुभव छोड़ जाती है. यह आदेश न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने दिया है. मामले के तथ्यों के अनुसार नाबालिग पीड़िता की मां ने बरेली के क्योलडिया थाने में आईपीसी की धारा 376(2)(एन), 328, 120-बी, 506, 452 व 323, पॉक्सो एक्ट की धारा 5 एल, 5 जे(ii) व 6 के तहत एफआईआर दर्ज कराई. उस समय पीड़िता चार माह की गर्भवती थी.

डीएनए रिपोर्ट से पुष्टि हुई कि आरोपी ही पीड़िता से जन्मे बच्चे का जैविक पिता है. आरोपी ने अपनी हिरासत अवधि और 30 जुलाई 2024 को दी गई अंतरिम जमानत के आधार पर जमानत मांगी. उसके वकील ने तर्क दिया कि आरोपी ने पीड़िता से शादी करने और बच्चे की जिम्मेदारी लेने की इच्छा व्यक्त की थी लेकिन शादी नहीं हो सकी. इस उसे 20 नवंबर 2024 को सरेंडर करना पड़ा.

कोर्ट ने कहा कि आरोपी और पीड़िता के बीच जबरदस्ती शारीरिक संबंध के कारण पीड़िता गर्भवती हुई और उसने एक बच्चे को जन्म दिया. डीएनए साक्ष्य ने आरोपी को जैविक पिता के रूप में स्थापित किया है, जिससे झूठे आरोप के लिए कोई उचित आधार नहीं बचा है. आरोपों की गंभीरता और रिकार्ड पर मौजूद साक्ष्यों को देखते हुए कोर्ट ने जमानत याचिका खारिज कर दी.

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