बीकानेर.देवताओं में सर्वप्रथम भगवान श्री गणेश की आराधना की जाती है किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से पहले भगवान श्री गणेश का स्मरण पूजन किया जाता है. इसीलिए भगवान श्रीगणेश को प्रथम पूज्य भी कहा जाता है. वैसे तो साप्ताहिक दिनों में बुधवार के दिन भगवान श्रीगणेश का वार है. लेकिन तिथि के अनुसार चतुर्थी तिथि भगवान श्री गणेश को समर्पित है. पंचांग के अनुसार हर महीने दो चतुर्थी आती हैं. एक शुक्ल पक्ष में और एक कृष्ण पक्ष में. हर महीने पड़ने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है, जबकि शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है. वास्तुविद राजेश व्यास बताते है इस बार संकष्टी चतुर्थी 18 नवंबर सोमवार को है.
संकटहर चतुर्थी का परिचय : 'संकट' शब्द का अर्थ है समस्याएं और 'हरा' का अर्थ है हटाना या कम करना. चतुर्थी अमावस्या या पूर्णिमा के बाद का चौथा दिन होता है. इसलिए संकटहर चतुर्थी विशेष रूप से किसी की समस्याओं को दूर करने के लिए होती है. इस दिन को संकष्टी चतुर्थी भी कहा जाता है. यह हर महीने कृष्ण पक्ष के दौरान पूर्णिमा के बाद चौथे चंद्र दिवस (चतुर्थी) को पड़ता है. यह एक शुभ दिन है जब बाधाओं को दूर करने वाले भगवान गणेश की पूजा कठिनाइयों से छुटकारा पाने के लिए की जाती है.
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संकटहर चतुर्थी का महत्व : पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान गणपति या गणेश को भगवान शिव और देवी पार्वती का पुत्र माना जाता है. उन्हें बाधाओं को दूर करने वाला और सफलता का अग्रदूत माना जाता है और इसलिए उन्हें प्यार और सम्मान दोनों दिया जाता है. उनका चेहरा हाथी जैसा है, लेकिन उनका एक आदिम रूप भी है जिसमें एक मानव सिर है. उन्हें शक्ति के नायक, एक खुशमिजाज नर्तक, एक प्यारे बच्चे और कई अन्य नामों से जाना जाता है. किसी भी प्रयास को शुरू करने या कोई भी उद्यम शुरू करने से पहले उनका आशीर्वाद लेना एक अच्छा रिवाज माना जाता है.