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लखनऊ के पकवान, कारीगरी और विरासत से रूबरू कराएगा ये डिजिटल म्यूजियम - First digital Awadh Museum

अवध और लखनऊ की परंपरा को अब डिजिटली देखा जा सकेगा. सनतकदा संस्था ने ए सिटी ऑफ म्यूज़ियम ऑफ कल्चर को तैयार किया है. लोगों को अब शहर और अवध की संस्कृति और विरासत से परिचित होने का मौका मिलेगा. 31 मई को इसका शुभारंभ किया गया है.

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FIRST DIGITAL AWADH MUSEUM (Etv Bharat archive)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jun 1, 2024, 11:49 AM IST


लखनऊ:अवध और लखनऊ का इतिहास बताते कई संग्राहलय हैं. लेकिन, डिजिटल दुनिया में अवध को दर्शाते पहला ऑनलाइन और ऑफलाइन म्यूजियम तैयार हो गया है. संस्कृति और परम्परा से रू-ब-रू कराने वाली संस्था सनतकदा लखनऊ ने अवध पर आधारित पहले म्यूजियम को तैयार किया है. जिसका उद्घाटन 31 मई को किया गया. इस म्यूजियम में जो कुछ ऑफलाइन होगा, उसे गूगल आर्ट एण्ड कल्चर के माध्यम से ऑनलाइन पूरी दुनिया भर में देखा जा सकेगा. अवध को समर्पित इस तरह के म्यूजियम में इतिहास, कहानी, परम्परा, ऑडियो, वीडियो और फोटो के साथ ही अभिलेख भी होंगे.

सनतकदा लखनऊ संस्थापिका माधवी कुकरेजा ने दी जानकारी (Etv Bharat reporter)
अवध और लखनऊ का इतिहास सिर्फ पुरानी इमारतों में नहीं बसा है. यहां की गलियों, पहनावे और रहन-सहन में भी अवध का इतिहास बसता है. इन्ही सब चीजों के अभिलेख तैयार कर ऑनलाइन म्यूजियम का निर्माण किया गया है. तस्वीरों में भी अवध की कहानी और वीडियो में इतिहास को संजोकर डिजिटल दुनिया में उतारा जा रहा है.

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सनतकदा लखनऊ संस्थापिका माधवी कुकरेजा ने कहा, कि निश्चित रूप से अवध पर आधारित ये पहला म्यूजियम हैं. इससे पहले ऑफलाइन म्यूजियम ही रहे, बाद में उनकी फोटो डिजीटल पर पर साझा की गई. लेकिन, सीधे ऑनलाइन म्यूजियम की नई परंपरा अब शुरू होने जा रही है. माधवी कुकरेजा ने कहा, कि लखनऊ और अवध को हम साथ लेकर चल रहे है. ऑनलाइन म्यूजियम में सिर्फ लखनऊ की इमारते नहीं होंगी, बल्कि इन इमारतों में पुराने दौर के नवाबो, उसके बाद आए लोगों की रिहाईश कैसी होती थी, यहां के पकवान, कारीगरी ये भी दर्शाया जाएगा. यहां के जो खास पकवान है उनकी सिर्फ फोटो नहीं, बल्कि उनकी शुरुआत कब हुई और उसकी रेसिपी कैसे तैयार हुई, जैसे रोचक किस्से भी होंगे.

डिजिटल डॉक्यूमेंट भी तैयार किये गए:माधवी कुकरेजा ने बताया, कि अवध का कथक, यहां के पकवानों में मशहूर हैं. परिधान में कुर्ता-पायजामा, लहंगा, शरारा, गरारा मशहूर है. इसके साथ ही चांदी के वर्क का काम, चिकनकारी, जरदोजी जैसे काम यहां की पहचान रहे हैं. इन सभी का डिजिटली डाक्यूमेंटशन किया किया गया है.

अवध और नवाबों की विरासत को जिन्दा रखना उद्देश्य:माधवी कुकरेजा ने कहा, कि हमारा प्रयास ऑनलाइन म्यूजियम से आम आदमी को जोड़ने का है. ताकि परम्पराओं को जिन्दा रखा जा सके. हमारे पुराने खेल, पुराने काम, तंग गलियों की पहचान से नए दौर की पीढ़ी को रू-ब-रू होना चाहिए. इसलिए अवध और लखनऊ से जुड़ी प्रत्येक चीज को गहराई से ऑनलाइन म्यूजियम के लिए तैयार किया गया है.

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