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सहारनपुर के पुलिस कप्तान की कोठी पर ही जता दिया मालिकाना हक, नोटिस भेज कहा- किराया दो, नहीं तो खाली करो - Saharanpur SSP Kothi Dispute

सहारनपुर एसएसपी की कोठी पर मालिकान हक (Saharanpur SSP Kothi Dispute) को लेकर विवाद गहराता जा रहा है. हालांकि पुलिस और प्रशासनिक टीम ने कोठी के मालिकाना हक को लेकर दावाकर्ता को झूठा साबित किया है.

एसएसपी डॉ. विपिन ताड़ा.
एसएसपी डॉ. विपिन ताड़ा. (Photo Credit-Etv Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jun 8, 2024, 6:45 PM IST

Updated : Jun 8, 2024, 8:49 PM IST

सहारनपुर : उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में अजीबो गरीब मामला सामने आया है. कुछ लोगों ने फर्जी दस्तावेज तैयार कर एसएसपी की कोठी पर न सिर्फ मालिकाना हक जताया है बल्कि किराया देने की मांग की है. किराया न देने पर कोठी खाली करने को कहा है. बताया जा रहा है कि अंग्रेजों की जमाने की यह कोठी 1889 से एसएसपी के नाम आवंटित है. देहरादून रोड पर बनी इस कोठी की कीमत 150 करोड़ ज्यादा बताई जा रही है.

बता दें, 2022 में एसएसपी सहारनपुर को नोटिस मिला था. एसएसपी को भेजे गए नोटिस में दावा किया कि जिस कोठी में एसएसपी रहते हैं, वहउ निजी जमीन पर बनी हुई है. उनकी कोठी में एसएसपी किरायेदार के तौर पर रहते हैं. इससे पहले रहे एसएसपी को भी इसी तरह का नोटिस भेजा गया था. जिसकी सूचना एसएसपी ने शासन को दी थी. मौजूदा एसएसपी डॉ. विपिन ताड़ा को नोटिस मिला तो उन्होंने सबंधित दस्तावेज मांगे, लेकिन दावाकर्ता किरायानामा या पूर्व में दिए गए किराये की रसीद उपलब्ध नहीं करा पाए. इस पर एसएसपी ताड़ा और जिलाधिकारी डॉ. दिनेश चंद्र के आदेश पर सात सदस्यीय कमेटी बनाई गई. इसमें एसपी ट्रैफिक, अपर नगरायुक्त और एसडीएम सदर आदि अधिकारी शामिल थे..

जांच कमेटी ने दावाकर्ता को झूठा साबित किया है. जांच रिपोर्ट के अनुसार देहरादून हाइवे स्थित कोठी वर्ष 1889 से एसएसपी सहारनपुर के नाम पर अभिलेखों में दर्ज है. तत्कालीन तहसीलदार न्यायिक सदर द्वारा अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर नामांतरण आदेश पारित किए गए थे, जो कानून के अनुसार नहीं है. एसएसपी कार्यालय के रिकॉर्ड में भी ऐसा कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं है, जिससे दावाकर्ता का दावा सही साबित हो सके. 3 मई 2024 को नगर निगम से मिली जानकारी के अनुसार "यह संपत्ति लंबे समय से निजी व्यक्तियों के नाम से चल रही है और एसएसपी का नाम किरायेदार के कॉलम में दर्ज है. उस समय किस आधार पर यह नाम दर्ज किया गया, नगर निगम में इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है. नगर निगम की तरफ से लिखित में दिया गया कि "नगर निगम के दस्तावेजों में किसी व्यक्ति का नाम दर्ज किया जाना मालिकाना हक नहीं, बल्कि गृहकर दस्तावेजों में केवल कर वसूली के लिए नाम दर्ज किए जाते हैं.

एसएसपी डॉ. विपिन ताड़ा ने बताया कि मामले की जांच कराई तो कोठी के दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ पाई गई है. जांच कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर सभी पत्रावली तैयार कर शासन को भेज दी गई है. राजस्व परिषद में दोबारा अपील की गई है. इसके अलावा हाईकोर्ट में जवाब दाखिल कर दिया गया जो भी आदेश होगा उसके अनुरूप कार्रवाई की जाएगी.

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Last Updated : Jun 8, 2024, 8:49 PM IST

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