अलवर.सरिस्का टाइगर रिजर्व देश-विदेशों में बाघों के लिए विख्यात है, लेकिन विदेशी परिंदों को भी यहां का जंगल खूब रास आ रहा है. इन दिनों सरिस्का में रूसी प्रवासी पक्षी रोजी स्टार्लिंग (गुलाबी मैना) अपना डेरा जमाए हुए हैं. सरिस्का के लाहाका बास बांध के किशोरी गांव जाने वाले रास्ते के आसपास पेड़ों पर यह रूसी प्रवासी पक्षी आसानी से दिखाई दे जाते हैं. शाम के समय इन प्रवासी पक्षियों का समूह आकाश में उड़ान भरता है, तब सरिस्का में अलग ही नजारा दिखाई पड़ता है.
बन रहा प्रवासी पक्षियों का बसेरा :सरिस्का टाइगर रिजर्व बाघ, पैंथर, सांभर, चीतल आदि वन्यजीवों के साथ ही प्रवासी पक्षियों का बसेरा भी बन गया है. सरिस्का में वर्षा काल, शीत ऋतु में कई देशों के प्रवासी पक्षी आते हैं. इन विदेशी परिंदों का यहां कई महीनों तक प्रवास रहता है. बाद में मौसम की अनुकूलता को देख इनमें से ज्यादातर विदेशी पक्षी अपने देशों को लौट जाते हैं.
गुलाबी मैना के नाम से विख्यात : वन्य जीव प्रेमी निशांत सिंह का कहना है कि विदेशी परिंदे रूसी रोजी स्टार्लिंग को सरिस्का में गुलाबी मैना या तिल्यार के नाम से जाना जाता है. प्रवासी पक्षी गुलाबी मैना का भारत में प्रवास करीब 6 से 8 माह तक रहता है. इन पक्षियों का प्रवास मैदानी व जंगली क्षेत्र होता है. गुलाबी मैना की सिर, छाती व पूंछ काले रंग का होता है. इस पर नीले व बैंगनी रंग की चमक दिखाई पड़ती है. रूसी रोजी स्टार्लिंग का पिछला हिस्सा, छाती के नीचे का हिस्सा व पेट का रंग पीला गुलाबी दिखाई पड़ता है. वहीं चोंच पीली और पंजे चमकीले गुलाबी रंग व आंख की पुतली भूरे रंग की होती है. हालांकि इस प्रवासी पक्षी में नर व मादा एक जैसे दिखाई पड़ते हैं, लेकिन प्रजनन के समय नर पक्षी का रंग मादा की बजाय ज्यादा चमकदार दिखाई देता है.