रांची:हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली बनी नई सरकार में भाकपा माले शामिल होगा या नहीं इस सवाल का जवाब जानने के लिए 02 दिसंबर तक का इंतजार करना पड़ सकता है, क्योंकि शुक्रवार को भाकपा माले की स्टैंडिंग कमेटी की बैठक के बाद भी भाकपा माले के कोई भी नेता खुलकर नहीं बता पाए कि हेमंत कैबिनेट में शामिल होने को लेकर पार्टी का रूख क्या होगा. एक बात जरूर है कि भाकपा माले के धनवार से प्रत्याशी रहे पूर्व विधायक राजकुमार यादव और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने सरकार के साथ-साथ संघर्ष की बात कर यह इशारा जरूर कर दिया कि उनका नई सरकार में क्या रूख रहने वाला है.
चुनाव नतीजे का राजनीति पर पड़ेगा असरः दीपांकर
भाकपा माले के महासचिव दीपांकर भट्टचार्य ने आज की स्टैंडिंग कमेटी की बैठक को बेहद महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि भाजपा और उनके नेताओं ने क्या कुछ नहीं किया, लेकिन राज्य की जनता ने उन्हें हरा दिया. दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि भाजपा की साजिश पूरे झारखंड को अडानी के हाथों में सौंपने की थी. जिसे राज्य की जनता ने असफल कर दिया.
जनता सरकार के साथ-साथ संघर्ष भी चाहती हैः दीपांकर
क्या सीपीआई माले हेमंत मंत्रिमंडल में शामिल होगा? इस सवाल के जवाब में दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि सरकार और संघर्ष को मिलाकर देखने की जरूरत है. यहां अंदर या बाहर की कोई बात नहीं है. दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि जनता चाहती है कि सरकार भी रहे और जनमुद्दों पर संघर्ष भी होता रहे.
इन क्षेत्रों में भाजपा को कमजोर करेंगे
माले के महासचिव ने कहा कि जनता राज्य में इंडिया ब्लॉक की सरकार भी चाहती है और वह संघर्ष भी चाहती है. इन दोनों के साथ माले पलामू और उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल में भाजपा को कमजोर करेगा. उन्होंने कहा कि निर्णायक जीत के साथ सरकार बनी है. अब सरकार 07 गारंटी पूरी करे.