नई दिल्ली: दिल्ली में डीटीसी (दिल्ली परिवहन निगम) की बसों में 10 हजार मार्शलों की बहाली का मुद्दा इन दिनों गरम है. लंबे समय से इस बहाली की मांग को लेकर बस मार्शल प्रदर्शन कर रहे हैं. वहीं, आम आदमी पार्टी (AAP) इस मुद्दे पर लगातार उपराज्यपाल और भारतीय जनता पार्टी (BJP) को घेरने में जुटी हुई है. यह सियासत केवल राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आम परिवहन से जुड़े सुरक्षा और सेवाओं के मुद्दे से भी जुड़ी हुई है.
बस मार्शल की भूमिकाएं और उनकी जरूरत:बस मार्शल की भूमिका यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने, बसों के अंदर व्यवस्था बनाए रखने और अव्यवस्थाओं को रोकने के लिए होती है. हालांकि, ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इन मार्शलों की नियुक्ति गृह विभाग से होती है, तो ही समस्या का समाधान संभव हो पाएगा.
अनिल छिकारा की चिंताएं:दिल्ली सरकार के ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट से सेवानिवृत डिप्टी कमिश्नर अनिल छिकारा ने इस मामले में अपनी राय प्रस्तुत की है. उनका कहना है कि डीटीसी में रखे गए बस मार्शलों के लिए अलग से बजट नहीं आता है. इनका वेतन 20 से 22 हजार रुपये प्रति माह होता है, जो कि रोड सेफ्टी के बजट से दी जाती है. उन्होंने यह भी कहा कि पब्लिक वेलफेयर के लिए जो पैसा रखा गया था, वह अब बस मार्शल को वेतन देने में खर्च हो रहा है.
विकल्प और समाधान:अनिल छिकारा के अनुसार, यदि बस मार्शल को सिविल डिफेंस से जोड़ा जाए और उन्हें दिल्ली सरकार के होम डिपार्टमेंट की ओर से प्रॉपर चैनल के तहत नियुक्त किया जाए, तो यह भविष्य में विवादों को रोकने में सहायक हो सकता है. हालांकि, इससे पहले भी दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच समझौता होना चाहिए ताकि स्थिति में सुधार हो सके.