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ओरण गोचर भूमि के मुद्दे पर रविन्द्र सिंह भाटी ने आवाज की बुलंद, कहा-2-3 महीने जेल भी जाना पड़ा तो तैयार - PROTEST AGAINST LAND ALLOTMENT

शिव विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने जैसलमेर के बईया गांव की जमीन सोलर प्लांट को आवंटित करने का विरोध किया है.

MLA Ravindra Singh Bhati
रविन्द्र सिंह भाटी (ETV Bharat Jaisalmer)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 9, 2024, 9:51 PM IST

जैसलमेर:जिले के झिंझिनियाली थाना हल्के के बईया गांव में सरकार द्वारा निजी कंपनी को सोलर प्लांट स्थापित करने के लिए दी गई जमीन आवंटन पर ग्रामीणों का विरोध चरम पर है. शनिवार को बाड़मेर जिले के शिव से निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी के नेतृत्व में इस जमीन आवंटन के खिलाफ ग्रामीणों ने विरोध प्रदर्शन किया.

रविन्द्र सिंह भाटी ने ओरण गोचर भूमि के आवंटन का जताया विरोध (ETV Bharat Jaisalmer)

रविन्द्र सिंह भाटी ने मंच से बोलते हुए कहा कि यह सिर्फ जमीन का सवाल नहीं है. यह हमारी पहचान, हमारी धरोहर और हमारी प्रकृति की रक्षा का प्रश्न है. हम बईया गांव के लोगों को उनके अधिकारों से वंचित नहीं होने देंगे. यह ओरण और गोचर की जमीन है, जो न केवल हमारी संस्कृति बल्कि हमारे अस्तित्व का प्रतीक भी है. निजी कंपनियों के नाम पर इसका विनाश किसी भी कीमत पर सहन नहीं किया जाएगा.

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उन्होंने जनता को संबोधित करते हुए कहा कि मैं विकास के खिलाफ नहीं हूं, लेकिन यह जो लोग दादागिरी करके हमारी ओरण और गोचर भूमि पर जबरदस्ती सोलर प्लांट लगाना चाहते हैं, यह कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. भाटी ने कहा कि उनकी प्राथमिकता अपने क्षेत्र की परंपरा, संस्कृति और पर्यावरण को सुरक्षित रखना है. उन्होंने स्पष्ट किया कि विकास का नाम लेकर जबरदस्ती ओरण और गोचर भूमि का दोहन अस्वीकार्य है. ऐसी किसी भी कोशिश का वह पुरजोर विरोध करेंगे.

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रविंद्र सिंह भाटी ने कहा कि ओरण गोचर भूमि के पूर्वजों ने अपना माथा (अपनी जान दी) दिया. ऐसे में हम दो-दो ,तीन-तीन महीने जेल जाने को तैयार हैं. उन्होंने लोगों से कहा कि अगर आज हम सब इस मुद्दे पर एकजुट नहीं हुए, तो इतिहास हमें कभी माफ नहीं करेगा. उन्होंने लोगों से कहा कि इस मुद्दे को लेकर गांव-गांव में जाकर जन जागरण का काम करें.

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ग्रामीणों ने तहसीलदार के माध्यम से जिला कलेक्टर को मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें उन्होंने मांग की है कि इस इलाके की ओरण की जमीन को तुरंत निजी कंपनी से मुक्त किया जाए. इसके अलावा, उन्होंने यह भी मांग की है कि ओरण और गोचर की जमीन को राजस्व में दर्ज करवाया जाए, ताकि भविष्य में ऐसी जमीनों का विनाश रोका जा सके. ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि वे इस आंदोलन को तब तक जारी रखेंगे, जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होती.

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