राजगढ़:देश के कई हिस्सों में आज भी कई ऐसी कुप्रथा और परंपराएं हैं, जिसे ग्रामीण बहुत शौक से मनाते हैं. जबकि यह कुप्रथा किसी की जिंदगी और सपनों को मार देता है. ज्यादातर इन कुप्राथाओं का शिकार शुरू से आज तक लड़कियां या कहें महिलाएं ही हुईं हैं. जो किसी समाज की दकियानूसी सोच और कुरोतियों की बली चढ़ जाती हैं. ऐसी ही एक कुप्रथा मध्य प्रदेश के राजगढ़ में देखने मिली. जिसका नाम नातरा और झगड़ा प्रथा है.
राजगढ़ जिले केखिलचीपुर थाना क्षेत्र के स्थित गोरधनपुरा गांव में एक महिला का 'झगड़ा' परंपरा के तहत शोषण और प्रताड़ित किए जाने का मामला सामने आया है. बताया गया कि जब वह छोटी थी तो उसकी शादी कर दी गई थी, लेकिन अब ससुराल वाले उसे प्रताड़ित करने लगे और मायके भेज दिए. इसके बाद ससुराल वाले "झगड़ा' परंपरा के तहत पैसों की मांग करने लगे. पैसे नहीं देने पर उसके गांव के लोगों की फसल बर्बाद कर दी और गोबर से बने हुए उपले (कंडे) के पिंडावड़ा में आग लगाना शुरू कर दिया.
बिना तलाक होती हैं कई शादियां (ETV Bharat) पैसों के लिए करना पड़ेगा नातरा
वहीं पीड़िता ने बताया कि "हमने पुलिस थाने से लेकर एसपी ऑफिस के भी चक्कर लगाए. एफआईआर भी दर्ज कराई, लेकिन कोई समाधान नहीं हो सका. हमारे गांव के लोग लगातार गांव में हो रहे नुकसान को देखते हुए हमारे ऊपर झगड़े की रकम को अदा करने का दबाव बना रहे हैं. पंचायत ने 'झगड़ा' के तौर पर 7 लाख रुपए तय किया है. मैं अपने पुराने पति से छुटकारा पाकर पापा के घर रहना चाहती थी, लेकिन पैसे नहीं होने की वजह से अब मजबूरी में मुझे नातरा (पुनर्विवाह) करना पड़ेगा. इसके बाद ये रकम मेरे नए ससुराल वाले अदा करेंगे."
कुप्रथा को रोकने लोगों को कर रहे जागरूक
कलेक्टर गिरीश कुमार मिश्रा ने कहा कि "जिले में प्रचलित बाल विवाह और नातरा झगड़ा जैसी कुप्रथाओं को रोकने के लिए हमारी टीमें लगातार फील्ड में है. लोगों के बीच पहुंचकर उन्हें जागरूक करने के प्रयास किए जा रहे है.' वहीं पंचायतों के माध्यम से होने वाले झगड़े के फैसले पर कलेक्टर ने कहा कि "पिछली कार्यशाला में ही हमने यह हमारे ग्राम पंचायतों के जनप्रतिनिधियों को स्पष्ट कर दिया था कि यदि वे ऐसी किसी भी गैर-कानूनी पंचायतों में शामिल पाए जाते हैं तो उन्हें पद से हटाने की कार्रवाई की जाएगी."
कुप्रथाओं पर लगाम लगाने की कोशिश
राजगढ़ एसपी आदित्य मिश्राने कहा "पुलिस का काम है एफआईआर दर्ज करना, आरोपियों को पकड़ना और उन्हें न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करना, लेकिन ये लोग चाहते है कि पुलिस भी इनकी गैर-कानूनी पंचायत का हिस्सा बने और इनका डायवोर्स कराए. मैं नियमानुसार कार्रवाई कर सकता हूं, लेकिन मैं तलाक नहीं करवा सकता. डिवोर्स कोर्ट में होता है, थाने में नहीं."
उन्होंने बताया कि "पहले जो 'झगड़ा' जैसे कुप्रथाओं को लेकर खुलेआम पंचायतें होती थी, लेकिन इस पर लगाम लगाया जा रहा है. पिछले 2 सालों में झगड़ा और नातरा से संबंधित 691 मामले में एफआईआर दर्ज की है, जिसमें 2024 में ही 200 से ज्यादा एफआईआर दर्ज की गई है. हमारा प्रयास है कि ये कुप्रथा समाप्त हो."
बाल विवाह इन कुप्रथा को देती है जन्म
इन कुप्रथाओं के विरुद्ध लगातार अपनी आवाज बुलंद कर रहे पीजी कॉलेज में पदस्थ सोशियोलॉजी की प्रोफेसर सीमा सिंह से ईटीवी भारत ने बात की. उन्होंने कहा कि "ये पुरानी कुप्रथाएं है, जिसमें अभी ज्यादा बदलाव देखने को नहीं मिला है. मेरा मानना है कि शासन प्रशासन अपनी ओर से प्रयास कर रहा है, लेकिन इसमें और अधिक सख्ती की जरूरत है. बाल विवाह की आड़ में बच्चों का भविष्य खराब किया जा रहा है, क्योंकि बालिग होने के बाद या अन्य किसी वजह से जब वो एक दूसरे को पसन्द नहीं करते तो ये सब बातें नातरा और झगड़ा प्रथा को जन्म देती है.
जो इस समय काफी घातक रूप ले रही है और एक तुगलकी फरमान की तरह ये एक पक्ष पर लाद दिया जाता है. इसका रकम नदेने पर फसल काटना और आगजनी जैसी घटनाएं आम बात है. ये वैसे ही गरीब लोग है और इनकी गरीबी में इजाफा देखने को मिलता है. इस कुप्रथा को खत्म करने के लिए राजनीतिक, सामाजिक और प्रशासनिक सभी लोगों को एकजुट होकर आगे आना पड़ेगा.
बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम का सख्ती से करना होगा पालन
ईटीवी भारत की टीम ने इस मामले को लेकर पूर्व में पब्लिक प्रॉसिक्यूटर रह चुके एडवोकेट जगदीश प्रसाद शर्मा से बात की. उन्होंने कहा कि "यदि बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम का सख्ती से पालन कराया जाए तो इन कुरीतियों को समाप्त किया जा सकता है." उन्होंने कहा कि "ऐसे कोई प्रकरण मेरी जानकारी में नहीं आया है. जिसमें इन मामलों को लेकर बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम के तहत राजगढ़ में किसी को सजा हुई हो."
क्या है झगड़ा और नातरा प्रथा
आपके मन में सवाल होगा कि नातरा और झगड़ा प्रथा क्या है. तो आपको बता दें बचपन में कई लड़कियों की सगाई या कच्ची उम्र में शादी कर दी जाती है. जिसके बाद उनके वयस्क होने पर किसी वाद-विवाद या झगड़ा के कारण यदि दंपति साथ नहीं रहना चाहते हैं या किसी और से शादी से करना चाहते हैं तो 'झगड़ा' प्रथा लागू होती है. जिसमें यदि लड़की पक्ष शादी तोड़ना चाहती है तो उसके परिवार को झगड़ा प्रथा के तहत लड़के पक्ष को पैसे देने होते हैं. इसके लिए पंचायत बैठती है और एक रकम तय करती है जो 7-8 लाख से 12-15 लाख तक हो सकती है.
यदि रकम वापस पूर्व पति को नहीं दी जाती तो, तो लड़का पक्ष की ओर से लड़की पक्ष के गांव में नुकसान पहुंचाया जाता है. जैसे फसल काट लेना, फसल जला देना, गांव में आगजनी आदि करने जैसे घटनाओं को अंजाम दिया जाता है. इसके बाद लड़की के परिवार वालों पर गांव वालों के हो रहे नुकसान भरने का दबाव भी बनाया जाता है.
बिना तलाक दूसरी शादी करना 'नातरा' है
लड़की पक्ष के पास पैसे नहीं होने के कारण इन परेशानियों से बचने के लिए मजबूरी में उन्हें पुनर्विवाह करना पड़ता है, जिसे नातरा कहा जाता है. इसमें लड़की के नए दुल्हा पक्ष को पंचायत में हुए फैसले के अनुसार रकम अदा करना होता है. इस प्रकार पुराने पति से लड़की को छुटकारा मिलता है. इस कुप्रथा में लड़कियों को अपना जीवनसाथी चुनने का पूरा अधिकार होता है, लेकिन अपने ही समाज में. इसके बाहर या इसके अलावा उनके पास दूसरा कोई अधिकार नहीं होता. अगर इस प्रथा में लड़की को घर-खेत का काम नहीं आता तो लड़का उस लड़की को छोड़कर, दूसरी-तीसरी चौथी नातरा कर सकता है.
पंचायत लेती है सारे फैसले
देश के संविधान में बिना तलाक दूसरी शादी गैरकानूनी है. लेकिन इस समाज के लोग नातरा और झगड़ा को अहमियत देते हैं. एक तरह से पंचायती तौर पर लड़कियों को पत्नी का दर्जा तो मिलता है, लेकिन कानून तौर पर नहीं. इस कुप्रथा में सारे फैसले पंचायत द्वारा ही लिए जाते हैं.