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हाईकोर्ट ने गलता पीठ के महंत अवधेशाचार्य की नियुक्ति को किया रद्द, दिए ये निर्देश - Rajasthan High Court

राजस्थान हाईकोर्ट ने गलता पीठ से जुड़ी याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा कि सरकार गलता पीठ का महाकाल और राम मंदिर की तर्ज पर विकास करे. कोर्ट ने पीठ के महंत अवधेशाचार्य की नियुक्ति को भी रद्द कर दिया है.

SHOULD DEVELOP GALTA PEETH,  MAHAKAL AND RAM TEMPLE
राजस्थान हाईकोर्ट. (ETV Bharat jaipur)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jul 22, 2024, 8:55 PM IST

जयपुर.राजस्थान हाईकोर्ट ने गलता पीठ के महंत अवधेशाचार्य की नियुक्ति को रद्द कर दिया है. अदालत ने कहा कि गलता पीठ के महंत पद पर राज्य सरकार ही नियुक्ति कर सकती है. विरासत के आधार पर गलता पीठ का महंत नियुक्त नहीं हो सकता. इसके साथ ही अदालत ने गलता की संपत्ति पर मूर्ति का अधिकार मानते हुए राज्य सरकार को इसका संरक्षक बताया और सरकार को गलता तीर्थ का उज्जैन के महाकाल मंदिर और अयोध्या के राम जन्म भूमि मंदिर की तर्ज पर विकास करने को कहा है. जस्टिस समीर जैन की एकलपीठ ने यह आदेश स्वर्गीय रामोदराचार्य की पत्नी गायत्री देवी, पुत्र अवधेशाचार्य और सुरेश मिश्रा सहित कुल सात याचिकाओं को खारिज करते हुए दिए. मामले में कोर्ट ने गत 22 फरवरी को सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था.

याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एके भंडारी, वरिष्ठ अधिवक्ता एमएम रंजन व अधिवक्ता सुरुचि कासलीवाल व अन्य ने सहायक देवस्थान आयुक्त के आदेश और इसके खिलाफ पेश अपील पर देवस्थान आयुक्त की ओर से दिए आदेश को याचिका में चुनौती दी. देवस्थान आयुक्त ने गलता पीठ की देखरेख के लिए कमेटी बना दी थी. प्रार्थी पक्ष ने यह भी कहा कि रामोदराचार्य की महंत पद पर नियुक्ति के समय पब्लिक ट्रस्ट एक्ट अस्तित्व में नहीं था, इस कारण तत्कालीन राजपरिवार ने उनकी नियुक्ति की. उधर, जयपुर शहर हिंदू विकास समिति, राज्य सरकार व अन्य की ओर से तत्कालीन महाधिवक्ता एमएस सिंघवी, वरिष्ठ अधिवक्ता वीरेन्द्र लोढा, आरके माथुर, अतिरिक्त महाधिवक्ता बसंत सिंह छाबा व अन्य ने याचिकाओं का विरोध किया.

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कोर्ट ने सभी पक्ष सुनने के बाद कहा कि गलता पीठ की सम्पत्ति का संरक्षण व देखरेख के लिए सरकार जिम्मेदार है. महंत के रूप में रामोदराचार्य के अधिकार सीमित थे. इसके साथ ही कोर्ट ने गलता ठिकाने को जागीर मानने से भी इनकार कर दिया. गलता पीठ की सम्पत्ति पर होटल चलाने को जनता के साथ धोखाधड़ी माना गया, वहीं गलता की सम्पत्ति को याचिकाकर्ताओं की निजी संपत्ति मानने से भी इनकार कर दिया.

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