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सरकारी स्कूल में डमी शिक्षकों से अध्यापन कराया तो होगी बर्खास्तगी, दर्ज होगी एफआईआर - Rajasthan High Court

राजस्थान हाईकोर्ट ने स्कूलों में डमी शिक्षकों से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करते हुए दायर याचिका को खारिज कर दिया है. साथ ही कहा कि जांच में दोषी पाए जाने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए.

COURT DISMISSED THE PETITION,  PETITION RELATED TO DUMMY TEACHER
राजस्थान हाईकोर्ट का आदेश. (ETV Bharat gfx)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jul 31, 2024, 9:46 PM IST

जयपुर.राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश की सरकारी स्कूलों में खुद के बजाए डमी शिक्षकों से अध्यापन कराने वाले शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई की मंशा जताते हुए मुख्य सचिव और शिक्षा विभाग को जीरो टॉलरेंस पॉलिसी अपनाने के लिए कहा है. अदालत ने मुख्य सचिव और शिक्षा सचिव को कहा है कि वे इस संबंध में सभी संस्थाओं के प्रमुख व अफसरों को निर्देश जारी करें.

ऐसे मामले की जांच में शिक्षक दोषी पाए जाएं तो उन्हें बर्खास्त और निलंबित करते हुए जरूरी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए. इसके साथ ही डमी शिक्षक और अन्य दोषियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाए. जस्टिस अनूप कुमार ढंड ने यह आदेश डमी शिक्षक मामले में बारां के राजपुरा ग्राम के प्राथमिक स्कूल की शिक्षिका मंजू गर्ग की याचिका खारिज करते हुए दिए.

अदालत ने की टिप्पणीःअदालत ने कहा कि सरकारी स्कूलों में डमी शिक्षकों की यह प्रथा शिक्षक के इस पेशे के लिए भी बड़ा प्रहार है. यह बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने से वंचित करती है. ऐसे में सरकारी स्कूलों में डमी शिक्षकों की मौजूदगी शर्मनाक है. इस पर अंकुश लगाना जरूरी है. हर छात्र के जीवन में शिक्षक सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. पौराणिक कथाओं में शिक्षक का महत्व भगवान से भी अधिक बताया गया है. शिक्षा प्रत्येक नागरिक का मौलिक अधिकार है और इसमें गुणवत्ता युक्त शिक्षा भी शामिल है.

याचिका में याचिकाकर्ता ने शिक्षा विभाग के 22 दिसंबर 2023 के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उसे निलंबित करते हुए उसका मुख्यालय बारां से बदलकर बीकानेर कर उसे चार्जशीट भी दे दी थी. याचिकाकर्ता पर आरोप है कि उसने खुद की जगह पढ़ाने के लिए डमी शिक्षक लगा रखा था.

मुख्य सचिव और शिक्षा विभाग को यह दिए निर्देश

  1. प्रदेश के सभी सरकारी स्कूलों का नियमित आधार पर आकस्मिक निरीक्षण करने के लिए कमेटी का गठन किया जाए. इससे पता चल सके कि स्कूलों में वास्तविक शिक्षकों की जगह कहीं डमी शिक्षक तो नहीं पढ़ा रहे.
  2. कोई डमी शिक्षक बच्चों को पढ़ाता हुआ मिला तो ऐसे गैर हाजिर शिक्षकों व डमी शिक्षकों को सुनवाई का मौका देते हुए उनके खिलाफ जांच की जाए. इसमें दोषी पाए जाने पर उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की जाए. वहीं, नियमानुसार राशि की रिकवरी भी की जाए.
  3. स्कूलों में पढ़ाने के लिए नियुक्त किए गए शिक्षकों के फोटो भी लगाए जाएं, ताकि वास्तविक व डमी शिक्षकों की पहचान आसानी से हो सके.
  4. सरकारी स्कूलों के प्रधानाचार्यों, प्रधानाध्यापकों सहित प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा अधिकारियों को परिपत्र जारी किए जाएं, जिससे यह सुनिश्चित हो कि उनके संस्थान में कोई डमी शिक्षक नहीं पढ़ा रहा. वहीं, ऐसा होने पर शिक्षकों के अलावा, प्रत्येक दोषी अधिकारी और स्कूल के प्रधानाचार्य के साथ-साथ उस अधिकारी के खिलाफ भी कार्रवाई की जाए, जिसके क्षेत्राधिकार में ऐसा हुआ है.
  5. डमी शिक्षकों के खिलाफ आम जनता की ओर से शिकायत दर्ज करवाने के लिए एक वेबसाइट व पोर्टल शुरू करें. इसमें प्रदेश के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों व मुख्य कार्यकारी अधिकारी का विवरण मौजूद हो. वहीं, इस पर एक टोल फ्री नंबर भी हो.
  6. अदालती आदेश की साल में चार बार अदालत में पालना रिपोर्ट पेश की जाए.

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