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Rajasthan: धर्म परिवर्तन के खिलाफ बिल लाएगी राजस्थान सरकार, मंत्री बोले- कड़ी सजा का प्रावधान करेंगे - RAJASTHAN GOV NEW BILL

धर्म परिवर्तन के खिलाफ बिल लाएगी राजस्थान सरकार. मंत्री जोगाराम पटेल ने अगले विधानसभा सत्र में बिल लाने के संकेत दिए हैं.

Bill Against Religious Conversion
धर्म परिवर्तन के खिलाफ बिल लाएगी सरकार (ETV Bharat Jaipur)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 4, 2024, 4:58 PM IST

जयपुर: राजस्थान सरकार की मंशा के मुताबिक धर्म बदलवाने और उसमें सहयोग करने वालों पर जेल और भारी जुर्माना करने की तैयारी है. मंत्री जोगाराम पटेल ने ईटीवी भारत को बताया है कि विधि विभाग धर्म परिवर्तन के खिलाफ बिल के ड्राफ्ट को फाइनल करने में जुटा है. पटेल के मुताबिक सरकार की ओर से उत्तराखंड और मध्यप्रदेश के धर्म परिवर्तन से जुड़े कानूनों की स्टडी की जा रही है. बिल पारित होने के बाद ऐसी गतिविधियों में शामिल संस्थाओं के रजिस्ट्रेशन खारिज करने के साथ कड़ी कार्रवाई होगी.

गौरतलब है कि साल 2006 और 2008 में धर्म स्वातंत्र्य बिल दो बार पास हुआ था, लेकिन तब केंद्र की यूपीए सरकार से इसे मंजूरी नहीं मिल पाई थी. ताजा बिल में धर्म स्वातंत्र्य विधेयक-2008 के कई प्रावधानों को भी शामिल किया जाएगा. 2008 के धर्म स्वातंत्र्य बिल में कलेक्टर की मंजूरी के बिना धर्म बदलने पर रोक थी.

जोगाराम पटेल, विधि मंत्री (ETV Bharat Jaipur)

कानून मंत्री बोले- कड़ी सजा का प्रावधान करेंगे : कानून मंत्री जोगाराम पटेल ने ईटीवी भारत से बताया कि अगले विधानसभा सत्र में हम बिल ला रहे हैं. इस पर विचार चल रहा है. सभी पक्षों से इसकी राय भी ले रहे हैं. उन्होंने कहा कि कोई जोर जबरदस्ती, लोभ-लालच देकर, पैसा देकर धर्म परिवर्तन करवाए तो यह सरासर गलत है. इसे बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं. पटेल ने कहा कि हम उत्तराखंड सहित अन्य राज्यों के धर्मांतरण विरोधी कानूनों का अध्ययन करवा रहे हैं. केंद्र में अटके बिल को हमने वापस ले लिया है और उसकी जगह नया बिल ला रहे हैं.

कांग्रेस विधायक ने पूछा था सवाल : कांग्रेस विधायक हरिमोहन शर्मा के सवाल के जवाब में सरकार ने वसुंधरा सरकार का 2008 का बिल केंद्र से वापस लेकर नया ड्राफ्ट तैयार करने के फैसले की जानकारी दी है. गृह विभाग ने अपने जवाब में लिखा है- राजस्थान धर्म स्वातंत्रय विधेयक, 2008 राष्ट्रपति की अनुमति के लिए केंद्र सरकार को भेजा गया था, जिस पर केंद्र सरकार से अनुमति नहीं मिलने पर राजस्थान धर्म स्वातंत्रय विधेयक, 2008 को वापस लिये जाने का फैसला किया है. साथ ही इस नए बिल का ड्राफ्ट तैयार किए जाने का निर्णय लिया गया है, कार्यवाही प्रक्रियाधीन है.

उत्तराखंड की तर्ज पर हो सकते हैं प्रावधान : उत्तराखंड में धर्म परिवर्तन के खिलाफ 2018 से कानून बना हुआ है. 2022 में उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता संशोधन विधेयक पारित कर जबरन धर्म परिवर्तन पर 10 साल की सजा और 50 हजार तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया था. जानकारों का कहना है कि बीजेपी सरकार उत्तराखंड के कानून के कुछ प्रावधान, धर्म परिवर्तन के नियम को नए बिल में शामिल कर सकती है. उत्तराखंड में जबरन या लोभ लालच देकर धर्म परिवर्तन करवाने पर एक से पांच साल तक की सजा का प्रावधान है. इसमें दो से ज्यादा लोगों का धर्म परिवर्तन करवाने को सामूहिक धर्म परिवर्तन माना जाता है.

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सामूहिक धर्म परिवर्तन करने पर 3 से 10 साल तक की सजा और 50 हजार तक का जुर्माना है. जबरन धर्म परिवर्तन के पीड़ित को भी 5 लाख तक जुर्माना देने का प्रावधान. यह धर्म परिवर्तन करवाने वाले व्यक्ति, संस्था से वसूला जाएगा. किसी महिला का धर्म परिवर्तन करके शादी की जाती है, तो शादी को पारिवारिक कोर्ट शून्य घोषित कर देगा. धर्म परिवर्तन के लिए व्यक्ति को 60 दिन के भीतर जिला मजिस्ट्रेट को एक डिक्लेरेशन देना होता है. अगर धर्म परिवर्तित व्यक्ति मजिस्ट्रेट के सामने पेश नहीं हुआ और तय प्रक्रिया नहीं अपनाई, तो धर्म परिवर्तन अवैध माना जाएगा.

धर्मांतरण पर अभी 3 साल तक सजा का प्रावधान : राजस्थान हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट प्रतीक कासलीवाल के मुताबिक धर्मांतरण पर अभी अलग से कोई कानून नहीं है. धर्मांतरण पर अभी भारतीय न्याय संहिता की धारा 299 में ही मामला दर्ज होता है. यह धारा धार्मिक भावनाओं को जानबूझकर ठेस पहुंचाने के मामले में लगती है. इसी धारा में धर्मांतरण के मामलों में कार्रवाई होती हैं, इसमें 3 साल तक की सजा का प्रावधान है.

वसुंधरा सरकार में दो बार आया धर्म स्वातंत्र्य बिल : वसुंधरा राजे सरकार के समय दो बार धर्मांतरण विरोधी बिल पारित हुए थे. पहले अप्रैल 2006 में बिल पास हुआ, तो राज्यपाल ने कुछ आपत्तियों के साथ सरकार को लौटा दिया. इसके बाद दूसरी बार मार्च 2008 में यह बिल विधानसभा से पास कर भेजा गया था. इस पर भारी विवाद के बाद राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए केंद्र को भेजा गया. जब मंजूरी नहीं मिली, तो 2008 में फिर से विधानसभा में पारित कर बिल केंद्र को भेजा गया. इस बिल पर केंद्र सरकार ने कई आपत्तियां लगाकर सरकार से जवाब मांगा. 16 साल तक यह बिल केंद्र सरकार में अटका हुआ था. राज्य सरकार ने हाल ही इस बिल को केंद्र से वापस मंगवाया है.

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