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Rajasthan: उपचुनाव की तस्वीर हुई साफ, 5 सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला, दो पर कांग्रेस-भाजपा में सीधी टक्कर - RAJASTHAN ASSEMBLY BY ELECTION

7 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में नामांकन वापसी के बाद 5 सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला दिख रहा है. दो सीटों पर सीधी टक्कर है.

उपचुनाव की तस्वीर हुई साफ
उपचुनाव की तस्वीर हुई साफ (ETV Bharat GFX)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 30, 2024, 10:16 PM IST

जयपुर : प्रदेश की 7 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में इस बार मुकाबला रोचक हो गया है. सात विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए नाम वापसी के बाद तस्वीर साफ हो गई. नामांकन वापसी के बाद अब 69 प्रत्याशी मैदान में हैं. खास बात है कि इन सात सीटों में से पांच सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला बन गया है. इनमें चौरासी, सलूम्बर, झुंझुनू, खींवसर और देवली-उनियारा सीट शामिल है. वहीं, दो सीटों दौसा, रामगढ़ में भाजपा और कांग्रेस आमने-सामने नजर आ रही है. जिन सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला बन रहा है, उनमें दो सीटें सलूम्बर और चौरासी पर भाजपा-कांग्रेस के आलावा बीएपी, खींवसर में आरएलपी, देवली-उनियारा में कांग्रेस के बागी नरेश मीणा और झुंझुनू में पूर्व गहलोत सरकार में मंत्री रहे निर्दलीय राजेन्द्र सिंह गुढ़ा ने मुकाबले को त्रिकोणीय बनाया है.

इन सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला

चौरासी विधानसभा सीट:आदिवासी बाहुल्य सीट चौरासी में भी इस बार कोई गठबंधन नहीं होने से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है. कांग्रेस और बीजेपी के साथ इस बार भी भारत आदिवासी पार्टी चुनाव मैदान में है. बीएपी से अनिल कटारा, तो कांग्रेस ने महेश रोत, वहीं बीजेपी से कारीलाल निनामा मैदान में डटे हुए हैं. पिछले चुनाव में बीएपी के राजकुमार रोत ने बड़े अंतर से चुनाव जीता था.

राजनीतिक विश्लेषक श्यामसुंदर शर्मा. (ETV Bharat jaipur)

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सलूंबर विधानसभा सीट : विधायक अमृत लाल मीणा के निधन के बाद खाली हुई इस सीट पर इस बार भारत आदिवासी पार्टी के चुनावी मैदान में डटे रहने से इस सीट पर भी मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है. बीजेपी से दिवंगत विधायक अमृतलाल मीणा की पत्नी शांता देवी मीणा, कांग्रेस ने रेशमा मीणा और बीएपी ने अपनी पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष जितेश कुमार कटारा को मैदान में उतारा है. पिछली बार भाजपा जीती थी, लेकिन कांग्रेस और उसके बाद बीएपी भी यहां अच्छे वोट लेकर गई थी. ऐसे में इस बार भी तीनों में कड़ी टक्कर की उम्मीद है.

खींवसर विधानसभा सीट : आरएलपी की गढ़ मानी जाने वाली खींवसर विधानसभा सीट पर इस बार त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है. नाम वापसी के बाद अब इस सीट पर राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी का मुकाबला कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियों से है. आरएलपी से हनुमान बेनीवाल की पत्नी कनिका बेनीवाल, कांग्रेस से रतन चौधरी चुनाव मैदान में है. वहीं, भाजपा की ओर से कभी हनुमान बेनीवाल के करीबी रहे रेवंतराम डांगा इस बार भी चुनौती देने को तैयार हैं, इसलिए सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला बन रहा है. पिछले तीन चुनावों से इस सीट पर आरएलपी का कब्जा है. भाजपा के डांगा का गत विधानसभा चुनाव में बेनीवाल से सीधा मुकाबला था, जिसमें वे केवल 2049 वोटों से ही हारे थे.

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झुंझुनू विधानसभा सीट :झुंझुनू विधानसभा सीट पर भी इस बार त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलेगा. पूर्व मंत्री राजेंद्र गुढ़ा के निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरने से इस बार कांग्रेस और बीजेपी को त्रिकोणीय मुकाबला का सामना करना पड़ेगा. कांग्रेस की ओर से ओला परिवार की तीसरी पीढ़ी अमित ओला तो बीजेपी से पिछले चुनाव में बागी होकर निर्दलीय चुनाव में 42 हजार से ज्यादा वोट लेने वाले राजेन्द्र भांबू मैदान में है. वहीं, उदयपुरवाटी में विधायक और गहलोत सरकार में मंत्री रहे राजेन्द्र गुढ़ा ने नामांकन वापस नहीं लेकर मुकाबला त्रिकोणात्मक बना दिया है.

देवली-उनियारा विधानसभा सीट : इस सीट पर कांग्रेस बीजेपी के साथ-साथ कांग्रेस बागी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नरेश मीणा ने नामांकन वापस नहीं लेकर मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है. कांग्रेस की ओर से केसी मीणा, तो बीजेपी की ओर से राजेंद्र गुर्जर चुनाव मैदान में डटे हुए हैं.

दो सीटों पर कांग्रेस-बीजेपी का सीधा मुकाबला :सात विधानसभा सीटों में से दो विधानसभा सीट रामगढ़ और दौसा सीट पर कांग्रेस और बीजेपी का सीधा मुकाबला है. रामगढ़ विधानसभा सीट पर नाराज नेताओं को मनाकर भाजपा सीधे मुकाबले के लिए तैयार है. इस सीट पर कांग्रेस के प्रत्याशी आर्यन जुबेर खान तो भाजपा के सुखवंत सिंह के बीच आमने-सामने का मुकाबला है. वहीं, दौसा सीट पर मजबूत बागी उम्मीदवार मैदान में नहीं होने से मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच दिखाई दे रहा है. बीजेपी की ओर से किरोड़ी लाल मीणा के भाई जगमोहन मीणा और कांग्रेस प्रत्याशी डीडी मीणा के बीच मुकाबला है.

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मुकाबला आसान नहीं होगा :वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक श्यामसुंदर शर्मा कहते हैं कि 7 सीटों पर होने वाले उपचुनाव ना कांग्रेस के लिए आसान है, ना ही बीजेपी के लिए. इस बार तस्वीर अलग नजर आएगी, लेकिन नामांकन वापसी के बाद जिस तरह से दो सीटों पर निर्दलीय और तीन सीटों पर स्थानीय राजनीतिक पार्टियों ने अपने उम्मीदवारों को मैदान में उतार रखा है, उससे यह मुकाबला पांच सीटों पर त्रिकोणीय हो गया है. कांग्रेस भी देवली-उनियारा से बागी बनकर चुनाव मैदान में ताल ठोकने वाले नरेश मीणा को मनाने में नाकाम रही, तो वहीं झुंझुनू विधानसभा सीट पर चुनाव में डटे पूर्व मंत्री राजेंद्र गुढ़ा कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियों को नुकसान पहुंचा सकते हैं. खींवसर विधानसभा सीट जो की पूर्व में आरएलपी के मजबूत सीट मानी जाती है, वहां पर कांग्रेस और बीजेपी अपना खाता खोलने की कोशिश में है. हालांकि, दो विधानसभा सीट ऐसी है जिसमें दौसा और रामगढ़ जहां पर बीजेपी और कांग्रेस का सीधा मुकाबला देखने को मिलेगा.

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