आगरा :सिनेमा स्टार राज बब्बर ने सन् 1977 में फिल्म ‘किस्सा कुर्सी का’ से बॉलीवुड में कदम रखा था. फिल्म के 22 साल बाद राज बब्बर ने वास्तविक राजनीति में एंट्री की और आगरा लोकसभा सीट से 1999 में चुनाव मैदान में उतरे. आगरा में भाजपा विजयी रथ रोकर साइकिल दौडाई थी. राज बब्बर आगरा से 1999 और 2004 में सांसद बने. जिससे भाजपा में खलबली मच गई थी. क्योंकि, आगरा लोकसभा में वैश्य मतदाता का बोलबाला है. जिसके दम पर ही कमल खिल रहा था. लेकिन सिने स्टार की चमक से भाजपा का कोर वोटर भी छिटक गया, जिससे ही आगरा में साइकिल दौड़ी.
बता दें कि राज बब्बर का जन्म 23 जून 1952 को यूपी के फिरोजाबाद जिले के टुंडला में हुआ था. तब टूंडला आगरा का हिस्सा था. जब फिरोजाबाद जिला बना तो उसमें आगरा चला गया. राज बब्बर की शिक्षा आगरा में हुई. आगरा कॉलेज से स्नातक करके राज बब्बर दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा चले गए. उन्होंने दिल्ली में एनएसडी से एक्टिंग की ट्रेनिंग की और मुंबई चले गए. उन्होंने रीना रॉय के साथ अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की. राज बब्बर को बॉलीवुड में असली पहचान फिल्म इंसाफ का तराजू से मिली.
पीएम ने कराई थी राजनीति में एंट्री :सन् 1989 में देश के तत्कालीन पीएम वीपी सिंह ने राज बब्बर की राजनीति में जनता दल से एंट्री कराई थी. इसके बाद राज बब्बर समाजवादी पार्टी से जुड़ गए. तत्कालीन सपा मुखिया पूर्व सीएम मुलायम सिंह यादव ने राज बब्बर 1994 से 1999 तक राज्यसभा के सदस्य बनाया.
रोका था भाजपा का विजयी रथ :सन् 1999 में सपा ने आगरा से राज बब्बर को लोकसभा चुनाव मैदान में उतारा. जबकि, आगरा लोकसभा सीट पर 1991, 1996 और 1998 में भगवान शंकर रावत ने कमल खिलाकर जीत की हैट्रिक लगाई थी. जिससे भाजपाइयों में जोश चरम पर था. राजनीतिक विश्लेषक ब्रज खंडेलवाल बताते हैं कि सपा से उम्मीदवार बने राज बब्बर ने आज जनता से सीधा संवाद किया. जिससे ही आगरा की जनता के दिलों पर राज किया. उन्होंने अपने पहले ही लोकसभा चुनाव में सन् 1999 में भाजपा के गढ़ में बेहरीन प्रदर्शन किया. राज बब्बर ने तीन बार के भाजपा सांसद भगवान शंकर रावत को 1.12 लाख वोटों से हराया था. इसके बाद 2004 के लोकसभा चुनाव में भी एक बार फिर सपा के टिकट पर भाजपा के मुरारीलाल फतेहपुरिया को 57 हजार वोटों से हराया.