बिलासपुर : कोरबा में कोयला खदान के लिए अधिग्रहित जमीन का उचित मुआवजा नहीं मिलने और रोजगार नहीं मिलने को लेकर इससे प्रभावित भूविस्थापितों ने एसईसीएल मुख्यालय का घेराव किया. कोरबा के कुसमुंडा, बालगीखर, दीपिका, गेवरा और ढुलढुल खदान के भूविस्थापितों ने SECL मुख्यालय के गेट के सामने धरना प्रदर्शन पर बैठ गए. उनकी मांग है कि उचित मुआवजा के साथ परिवार के सदस्य को नौकरी देने का वादा किया गया था.लेकिन वह वादा अब तक पूरा नहीं हुआ है. साथ ही खदान में काम करने ठेका पद्धति से उन्हें मजदूरी करवाई जा रही है. जिसका भी भुगतान ठेकेदार पूरा नहीं करता. पूरे मामले की जानकारी पहले से ही एसईसीएल प्रबंधन को है. लेकिन ठेकेदार से मिली भगत कर अधिकारी क्षेत्र के आदिवासी मजदूरों का शोषण कर रहे हैं. जिसको लेकर मुख्यालय के सामने बैठे ग्रामीणों ने जमकर नारेबाजी की.
भूविस्थापितों ने मुआवजा और नौकरी की मांग की :कोरबा में चार कोल प्रोजेक्ट चल रहे हैं. जिसमें गेवरा, दीपका, बालगीखार, कुसमुंडा और ढुलढुल खदान शामिल हैं. इन कोयला खदानों को शुरू करने से पहले राज्य सरकार और एसईसीएल ने मिलकर आदिवासियों से उनकी जमीन ली थी. जमीन लेने और मकान तोड़े जाने के बाद उचित मुवाआजा के साथ नौकरी देने की बात कही गई थी.लेकिन खदान शुरु होने के बाद प्रबंधन ने अपना वादा नहीं निभाया. जिसे लेकर भूविस्थापित समय-समय पर एसईसीएल कार्यालय के सामने धरना प्रदर्शन करते हैं. लेकिन इसके बाद भी एसईसीएल प्रबंधन किसी की नहीं सुन रहा है. जिसे लेकर आदिवासी ग्रामीणों में आक्रोश बढ़ गया है. एक बाद भूविस्थापित सोमवार को बिलासपुर के एसईसीएल मुख्यालय के सामने गेट पर विरोध प्रदर्शन करने पहुंचे. ग्रामीण सड़क पर ही बैठकर धरना प्रदर्शन करते रहे और एसईसीएल के खिलाफ नारेबाजी की.