श्रीनगर/नैनीताल: हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विवि की कुलपति प्रोफेसर अन्नपूर्णा नौटियाल का पांच साल का कार्यकाल 30 अक्टूबर को पूरा हो गया है. प्रोफेसर नौटियाल 19 अक्टूबर 2018 से करीब डेढ़ साल बतौर कार्यवाहक और उसके बाद स्थायी कुलपति का कार्यकाल मिलाकर अभी तक करीब साढ़े छह साल कुलपति पद पर कार्य कर चुकी हैं. कार्यकाल पूर्ण होने के तीन दिन गुजर जाने के बाद अभी तक केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय से कोई दिशा निर्देश न आने पर विवि के नए कुलपति को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है. फिलहाल कुलसचिव ने मंत्रालय से आदेश नहीं आने तक वीसी पद पर प्रोफेसर अन्नपूर्णा नौटियाल के बने रहने की बात कही है. वहीं, नैनीताल हाईकोर्ट ने भी नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका को रद्द कर दिया है.
गढ़वाल केंद्रीय विवि में प्रो. अन्नपूर्णा नौटियाल राजनीति विज्ञान विभाग की प्रोफेसर के साथ ही विवि की डीन भी रही हैं. उन्हें 2019 में स्थायी तौर पर पांच वर्षों के लिए विवि की कुलपति नियुक्त किया गया था. 30 अक्टूबर 2024 को अंतिम कार्य दिवस होने के साथ ही उनके पांच वर्ष का कार्यकाल पूर्ण हो गया है. बताया जा रहा है कि केंद्रीय विवि एक्ट के तहत कुलपति की नियुक्ति न होने तक कार्यरत कुलपति को अस्थायी तौर पर उनकी इच्छा के तहत इस पद पर बने रहने या विवि के वरिष्ठ प्रोफेसर को कार्यवाहक तौर पर कुलपति नियुक्त करने का प्रावधान है. लेकिन इस मामले में अभी केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की ओर से कोई दिशा-निर्देश प्राप्त नहीं हो पाए हैं.
अग्रिम आदेश तक गढ़वाल विश्वविद्यालय की कुलपति बनी रहेंगी प्रोफेसर नौटियाल (VIDEO-ETV Bharat) अग्रिम आदेश तक वीसी बनी रहेंगी प्रोफेसर नौटियाल: इस मामले पर गढ़वाल विवि के कुलसचिव प्रो एनएस पंवार का कहना है कि कुलपति का कार्यकाल पूर्ण होने के बाद नए कुलपति को लेकर केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय से अभी कोई निर्देश प्राप्त नहीं हुए हैं. तीन नवंबर तक विवि में अवकाश था. जबकि आज विवि पूर्ण रूप से खुला है. जब तक मंत्रालय द्वारा कोई अग्रिम आदेश नहीं मिल जाते तक तक कुलपति पद पर प्रो. अन्नपूर्णा नौटियाल वीसी पद पर बनी रहेंगी. उन्होंने इसके पीछे विवि एक्ट का हवाला दिया है.
नियुक्ति के मामले पर HC में हुई सुनवाई: वहीं, उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हेमवती नंदन बहुगुणा केंद्रीय विश्वविद्यालय गढ़वाल के वीसी अन्नपूर्णा नौटियाल की नियुक्ति को चुनौती देती याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई करते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा की खंडपीठ ने उनकी नियुक्ति को यूजीसी व केंद्रीय विश्वविद्यालय एक्ट के तहत वैध मानते हुए नियुक्ति को चुनौती देती याचिका को खारिज कर दिया है.
कोर्ट ने निरस्त की याचिका: खंडपीठ ने आज याचिकाकर्ता, विश्वविद्यालय और केंद्र सरकार का विस्तृत रूप से पक्ष सुना. सुनवाई पर केंद्र सरकार और विश्वविद्यालय के द्वारा कहा गया कि सलेक्शन कमेटी ने वीसी की नियुक्ति यूजीसी की नियमावली 2018 और केंद्रीय विश्वविद्यालय नियमावली 2009 के तहत की है. किसी भी नियमावली का उल्लंघन नहीं किया है. कमेटी इस पद के लिए योग्य अभ्यर्थी को ही नियुक्त किया है. इसलिए याचिका को निरस्त किया जाए.
ये था मामला: मामले के अनुसार समाज सेवी देहरादून निवासी रविंद्र जुगरान ने 2021 में याचिका दायर कर कहा है कि हेमवती नंदन बहुगुणा केंद्रीय विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर की नियुक्ति यूजीसी की नियमावली 2009 के विरुद्ध की गई है. याचिका में कहा गया कि पहले वाइस चांसलर की नियुक्ति करने के लिए विज्ञप्ति जारी हुई, जिसमें 203 अभ्ययर्थियों ने आवेदन किया. बाद में 15 अभ्यर्थियों की एक शॉर्ट लिस्ट बनाई गई. इन 15 अभ्यर्थियों में से तीन अभ्यर्थी इस पद के योग्य पाए गए. परंतु सलेक्शन कमेटी ने इस पद पर इन तीन अभ्यर्थियों में से न करके किसी चौथे अभ्यर्थी को वाइस चांसलर के पद पर नियुक्ति कर दी. जिस व्यक्ति की नियुक्ति की गई उसने कभी इस पद पर आवेदन किया ही नहीं, न ही उसके पास इस पद के लिए योग्यता है. फिर किस आधार पर उनकी नियुक्ति इस पद पर कर दी गई. लिहाजा उनकी नियुक्ति को निरस्त किया जाए.
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