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कदली वृक्ष से बनाई गई मां नंदा और सुनंदा की मूर्तियां, खुद धारण करती हैं स्वरूप - MA NANDA SUNANDA FESTIVAL 2024 - MA NANDA SUNANDA FESTIVAL 2024

Mother Nanda Sunanda Festival नैनीताल में पौराणिक और ऐतिहासिक नंदा देवी मेले की धूम मची हुई है. स्थानीय कलाकार कदली वृक्ष यानी केले के पेड़ से मां नंदा सुनंदा की मूर्तियों का निर्माण कर कर दिया गया. मां नंदा और सुनंदा की इन प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा के बाद श्रद्धालु दर्शन कर सकेंगे.

Local artist making idols of mother Nanda and Sunanda
मां नंदा और सुनंदा की मूर्तियां बनाती स्थानीय कलाकार (Photo- ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Sep 11, 2024, 10:02 AM IST

Updated : Sep 11, 2024, 10:45 AM IST

नैनीताल:सरोवर नगरीनैनीताल में मां नंदा देवी के मेले का आगाज हो गया है. कदली वृक्ष यानी केले के पेड़ से मां नंदा सुनंदा की मूर्तियों का निर्माण कर दिया गया है. जिसके बाद अब ब्रह्म मुहूर्त में मां नंदा और सुनंदा की इन प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा कर भक्तों के दर्शन के लिए खोल दिया गया है.

नैनीताल में कदली वृक्ष से बनाई गई मां नंदा और सुनंदा की मूर्तियां (Video- ETV Bharat)

इको फ्रेंडली होती हैं मूर्तियां:नैनीताल में मां नंदा सुनंदा की मूर्तियों को पूर्ण रूप से हाथों से बनाया जाता है और ये मूर्तियां पूरी तरह से इको फ्रेंडली होती हैं. इन मूर्तियों को बनाने में रुई, बांस, कपास, केले के पेड़ समेत प्राकृतिक रंगों का प्रयोग किया जाता है. मूर्तियों को इको फ्रेंडली बनाने का मुख्य कारण है कि डोला विसर्जन के बाद इनसे निकलने वाले पदार्थ किसी प्रकार से प्रकृति को नुकसान नहीं पहुंचते हैं.

मां नंदा सुनंदा खुद लेती है अपना स्वरूप:कई वर्षों से मां नंदा सुनंदा की मूर्तियों का निर्माण कर रहीं कलाकार आरती बताती हैं कि मां नंदा और सुनंदा अपना आकर (स्वरूप) खुद धारण करती हैं. कभी मां का हंसता हुआ चेहरा बनता है, तो कभी दुख भरा सामने आता है. जिससे आने वाले समय का भी आकलन किया जाता है, कि आने वाला समय कैसा होगा. कई सालों से मां की मूर्ति को आकर दे रहे कलाकार बताते हैं कि उनके द्वारा मां की मूर्ति के निर्माण में जो भी रंग और सामान प्रयोग में लाए जाते हैं, वो पूरी तरह से इको फ्रेंडली होते हैं.

गहनों से सजाई जाती हैं मूर्तियां:वहीं मां की मूर्ति के निर्माण में करीब 24 घंटे का समय लगता है. जिसको बांस, कपड़ा, रूई, आदी से बनाया जाता है. जिसके बाद मां की मूर्ति को सोने चांदी के सुंदर गहनों से सजा दिया जाता है. जिसके बाद ही मां की मूर्ति को भक्तों के दर्शन के लिए खोला जाता है.

जानिए मां नंदा और सुनंदा की मार्मिक कथा:पौराणिक कथा के अनुसार एक बार मां नंदा सुनंदा अपने ससुराल जा रही थी तभी राक्षस रूपी भैंस ने नंदा सुनंदा का पीछा किया, जिनसे बचने के लिए मां नंदा सुनंदा केले के पेड़ के पीछे छिप गई. तभी वहां खड़े बकरे ने उस केले के पेड़ के पत्तों को खा दिया, जिसके बाद राक्षस रूपी भैंस ने मां नंदा सुनंदा को मार दिया. इस घटना के बाद से ही मां नंदा सुनंदा का ये मेला मनाया जाता है. जिसमें मां अष्टमी के दिन स्वर्ग से धरती में अपने ससुराल आती हैं और कुछ दिन यहां रह कर वापस अपने मायके को लौट जाती हैं.
पढ़ें-रैलाकोट दुला गांव से लाए गए कदली वृक्ष, उत्तराखंड की कुलदेवी मां नंदा सुनंदा की मूर्ति का होगा निर्माण

Last Updated : Sep 11, 2024, 10:45 AM IST

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