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वन नेशन-वन इलेक्शन पर झारखंड में भी गरमाई राजनीति, झामुमो का विरोध, भाजपा ने फैसले का किया स्वागत - One Nation One Election

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Sep 18, 2024, 8:52 PM IST

केंद्र सरकार द्वारा कैबिनेट से वन नेशन वन इलेक्शन के प्रस्ताव को पारित किए जाने के बाद इस पर राजनीति शुरू हो गई है. विरोध और समर्थन में बयान आने लगे हैं. झामुमो ने जहां इसका विरोध किया है तो वहीं भाजपा इस फैसले का स्वागत कर रही है.

One Nation One Election
सुप्रियो भट्टाचार्या और प्रदीप सिन्हा (Etv Bharat)

रांची :केंद्रीय कैबिनेट द्वारा देश में वन नेशन वन इलेक्शन का प्रस्ताव पारित किये जाने के बाद इसके समर्थन और विरोध में बयानबाजी तेज हो गयी है. झामुमो जहां इसका खुल कर विरोध कर रही है, तो भाजपा ने केंद्र सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है.

झामुमो ने किया विरोध

राज्य की सबसे बड़ी क्षेत्रीय पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा ने देश में एक साथ चुनाव कराने की संभावना के संबंध में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति की अनुशंसा को कैबिनेट द्वारा मंजूरी दिये जाने को अधिनायकवाद की ओर पहला कदम बताया है. झामुमो के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि मोदी सरकार 3.0 की उपलब्धियां गिनाते हुए प्रधानमंत्री ने देश को अधिनायकवाद की ओर ले जाने का मन बना लिया है. झारखंड मुक्ति मोर्चा इसका पुरजोर विरोध करता है.

वन नेशन-वन पर झामुमो का विरोध (Etv Bharat)

सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी देश के संविधान को बदलने और बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर, डॉ राजेंद्र प्रसाद जैसे महापुरुषों के विचारों को बदलने की मंशा से काम कर रही है. वह आरएसएस के एजेंडे पर आगे बढ़ रही है जो मनुवाद की सोच के साथ काम करती है. वन नेशन वन इलेक्शन के लागू होने से देश में लोकतंत्र कमजोर होगा और अधिनायकवाद बढ़ेगा. समाजवाद की जगह साम्राज्यवाद स्थापित होगा.

'राष्ट्रपति शासन लगाकर सत्ता हासिल करना चाहती है भाजपा'

उन्होंने कहा कि जिन राज्यों में विधानसभा का कार्यकाल 2026-27-28 में समाप्त हो जाएगा, क्या वहां 2029 तक चुनाव न कराकर और राष्ट्रपति शासन लगाकर भाजपा अप्रत्यक्ष रूप से सत्ता हासिल करना चाहती है, यह बड़ा सवाल है. उन्होंने कहा कि पूरे देश में लोकतांत्रिक संस्थाएं देश की लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा, विधान परिषद, जिला परिषद, ग्राम पंचायत और उसके साथ नगर पालिका, नगर पंचायत, नगर परिषद के लगभग 25 लाख जनप्रतिनिधि चुनती हैं. वन नेशन वन इलेक्शन देश में जनता का प्रतिनिधित्व करने वालों के अधिकारों पर सीधा हमला है.

भाजपा ने वन नेशन वन इलेक्शन का किया स्वागत

वहीं भाजपा ने केंद्रीय कैबिनेट के वन नेशन वन इलेक्शन के फैसले का स्वागत किया है. भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रदीप सिन्हा ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी एक देश एक चुनाव की समर्थक रही है. आज केंद्रीय कैबिनेट द्वारा पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व में गठित समिति की रिपोर्ट को मंजूरी दिए जाने के बाद हम इस दिशा में आगे बढ़े हैं.

वन नेशन-वन का भाजपा ने किया स्वागत (Etv Bharat)

उन्होंने कहा कि लोकसभा से लेकर निचले स्तर तक के चुनाव अलग-अलग समय पर कराने से प्रशासनिक कार्यों में बर्बाद होने वाला समय या आचार संहिता लगने से विकास कार्यों में बाधा आने से बचा जा सकेगा, हालांकि इसका फार्मूला क्या होगा, इस पर विभिन्न राजनीतिक दलों की राय आना अभी बाकी है. एक साथ चुनाव कराने के कई फायदे हैं. प्रशासनिक दृष्टिकोण से चुनाव कार्य संपन्न कराना आसान होगा और साथ ही चुनाव के दौरान खर्च होने वाले करोड़ों रुपये बचेंगे.

'राज्यों की लेनी होगी मंजूरी'

सामाजिक कार्यकर्ता और विश्लेषक अमरनाथ झा का मानना ​​है कि एक राष्ट्र एक चुनाव का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि फोकस चुनाव पर नहीं बल्कि विकास पर रहेगा और बार-बार चुनाव होने और विकास कार्य प्रभावित होने के कारण लगने वाली आचार संहिता से राहत मिलेगी. जाहिर है चुनाव के दौरान होने वाले खर्च पर भी लगाम लगेगी और कहीं न कहीं कालेधन पर भी लगाम लगने की संभावना है. हालांकि केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी मिलने के बाद संविधान में संशोधन करना होगा और राज्यों की मंजूरी भी लेनी होगी, इसके बाद ही इसे लागू किया जा सकेगा. गौरतलब है कि 1951 से 1967 तक देश में एक साथ चुनाव होते रहे थे.

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