नई दिल्ली :भारत मंडपम में चल रहे विश्व पुस्तक मेले में साहित्य प्रेमियों का हुजूम देखने को मिल रहा है. इस बात में कोई दो राय नहीं है कि डिजिटल के दौर में भी पाठकों की एक बड़ी संख्या फिजिकली तौर पर पुस्तकों को पढ़ना पसंद करती हैं. आखिर, क्या वजह है कि लोगों का रुझान आज भी फिजिकली पुस्तकें पढ़ने की तरफ ज्यादा है? इस सिलसिले में 'ETV भारत' ने मेले में आए पुस्तक प्रेमियों से बात की. आइए जानते हैं उन्होंने क्या बताया...
डिजिटल बुक्स फिजिकल बुक की जगह नहीं ले सकते :पुस्तक प्रेमी नगमा ने बताया कि डिजिटल बुक्स कभी भी फिजिकल बुक की जगह नहीं ले सकती. खास तौर पर मेरे लिए. फिजिकल बुक पढ़ने में जो फील आता है, वह डिजिटल बुक्स कभी नहीं दे सकती. जो सच में पुस्तक प्रेमी है उसको केवल फिजिकल बुक पढ़ना ही पसंद आता है. किताब में लिखी कहानी, कथा, कविता, उपन्यास, आदि जैसे भी हों लेकिन फील फिजिकल बुक पढ़ने में आता है.
पुस्तक मेले में भारी संख्या में साहित्य प्रेमी मौजूद :पुस्तक मेला घूमने आई चांदनी ने बताया कि एक टाइम था, जब सभी इस विषय पर खूब चर्चा करते थे कि क्या डिजिटल मीडिया पर बुक्स आने के बाद लोग फिजिकल बुक पढ़ेंगे ? इसकी सच्चाई बुक फेयर में आकर मालूम होती है. यहां भारी संख्या में साहित्य प्रेमी मौजूद हैं. आज भी 70 फीसदी से ज्यादा लोग यही चाहते हैं कि वह फिजिकली तौर पर ही बुक पढ़ें.
डिजिटल बुक्स के आने से फिजिकल बुक्स का शौक हुआ कम :पुस्तक प्रेमियों को किताब पढ़ते समय उसकी खुशबू और फील आनी जरूरी है. लेकिन किंडल (डिजिटल बुक ऐप) पर भी बुक पढ़ना गलत नहीं है. खास तौर पर ट्रेवलिंग के समय. जब सामान ज्यादा है, तो किंडल मददगार साबित होता है. साथ यह कहना गलत नहीं होगा कि डिजिटल बुक्स के आ जाने से फिजिकल बुक्स को पढ़ने का शौक कम हुआ हो.