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कोरिया के पटना सरकारी कॉलेज में लाइब्रेरी की किताबों के लिए छात्रों से पैसे लेने का आरोप - Patna Govt College in Korea

Jwala Prasad Upadhyay Govt College, Patna Govt College in Korea कोरिया के पंडित ज्वाला प्रसाद उपाध्याय शासकीय महाविद्यालय पर छात्रों ने किताबों के लिए पैसे मांगने का आरोप लगाया है. कॉलेज की लाइब्रेरी की किताबों के लिए छात्रों से पैसे लिए गए.

Jwala Prasad Upadhyay Govt College
ज्वाला प्रसाद उपाध्याय महाविद्यालय (ETV Bharat Chhattisgarh)

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Sep 14, 2024, 8:02 AM IST

कोरिया:जिले के पटना नगर पंचायत में स्थित पंडित ज्वाला प्रसाद उपाध्याय शासकीय कॉलेज पर छात्रों और उनके परिजनों ने गंभीर आरोप लगाए हैं. कॉलेज पर बिना रसीद दिए पैसे वसूलने का आरोप लगाया गया है, जो छात्रों में आक्रोश का कारण बन गया है.

क्या है पूरा मामला? :ज्वालाप्रसाद सरकारी कॉलेज में एमए इतिहास और राजनीति विज्ञान विभाग के छात्रों से लाइब्रेरी में किताबें रखने के लिए 500-500 रुपये लिए गए. जब इस पर प्राचार्य से सवाल किया गया कि क्या यह नियमानुसार सही है, तो उन्होंने जवाब दिया कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि यह नियमों में है या नहीं. इससे पहले के प्राचार्यों ने भी छात्रों से किताबों के लिए पैसे लिए गए थे. जिसके आधार पर उन्होंने इस प्रथा को जारी रखा.

ज्वाला प्रसाद उपाध्याय महाविद्यालय पर आरोप (ETV Bharat Chhattisgarh)

प्रिंसीपल ने कहा, किताबों की कमी: ज्वालाप्रसाद सरकारी कॉलेज के प्रिंसीपल शिव शंकर रजवाड़े ने बतायाकि एमए की क्लासेस में विभागिय पुस्तकालयों के लिए 500 रुपये लिए गए हैं. रजवाड़े ने बताया कि उनकी किताबें अलग से आती है जो उपलब्ध कराई जाती है. साथ ही ये भी माना कि किताबों की हमारे पास कमी है, और एमए के सेलेबस के हिसाब से कुछ बाहर की किताबों की भी जरूर पड़ती है. उन्होंने कहा कि दूसरे कॉलेज से विभागीय लाइब्रेरी के बारे में जानकारी ली गई. उसके बाद यहां के छात्रों से पैसे लिए गए. हालांकि प्राचार्य ने आश्वासन दिया कि यदि यह प्रक्रिया नियमों के खिलाफ पाई जाती है, तो छात्रों के पैसे वापस कर दिए जाएंगे.

लिस्ट में किताबों की कीमतों पर उठे सवाल:सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जब कॉलेज की तैयार की गई किताबों की लिस्ट देखी गई, तो उसमें पुस्तकों के दाम पहले से ही लिखे हुए मिले, जबकि न तो किसी कोटेशन की प्रक्रिया अपनाई गई, न ही खरीदी के मानक पूरे किए गए.

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