पन्ना।मध्य प्रदेश काटाइगर रिजर्व जो देश दुनिया में बाघों की बढ़ती हुई संख्या के लिए विख्यात है. यहां लगातार बाघों की संख्या में इजाफा हो रहा है. यही कारण है कि यहां बाघों का दीदार करने के लिए दूर दराज से प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में पर्यटक आ रहे हैं. आलम ये है कि अब लोगों को राह चलते बाघों की अटखेलियां देखने को मिल रही हैं. बता दें की पन्ना टाइगर रिजर्व के हर बाघ-बाघिन की अपनी ही एक कहानी है, लेकिन आज हम जिस बाघिन की बात कर रहे हैं वह किसी फिल्मी दुनिया से कम नहीं है.
रिहायशी इलाकों में पहुंची बाघिन
मां से जल्दी अलग हो जाने की वजह से एक बाघिन शिकार के गुण नहीं सीख पाई. जिसके चलते अब वह रिहायशी इलाकों में गाय व भैंसों के शिकार पर निर्भर है. यही कारण है कि बाघिन का जंगल से मोह भंग हो गया है और वह बार-बार रिहायशी क्षेत्र में जा रही है. जिसको लेकर गांव के लोग तो दहशत में हैं ही, साथ ही पन्ना टाइगर रिजर्व की टीम भी सारे काम छोड़ कर इस बाघिन की निगरानी कर रही है.
बाघिन का हुआ रेस्क्यू
पन्ना टाइगर रिजर्व की बाघिन को आज पन्ना टाइगर रिजर्व के अमले ने रेस्क्यू कर एक बड़े पिंजरे में कैद कर लिया. बताया गया है कि अब इसे टाइगर रिजर्व के कोर एरिया में छोड़ा जाएगा. बता दें कि लगभग एक माह से यह बाघिन रात्रि के वक्त जंगल से निकलकर गांव के आसपास खेतों खलिहानों और बाग बगीचों में पहुंच जाती थी. लगातार कई बार पन्ना टाइगर रिजर्व की टीम हाथियों के दल के साथ पहुंचकर इस बाघ को जंगल की ओर खदेड़ा जा चुका था. आज पन्ना टाइगर रिजर्व की टीम ने छह हाथियों के साथ मौके पर पहुंचकर ग्राम बराछ के पास बाघिन को घेर कर वन्य प्राणी चिकित्सक के द्वारा बेहोशी का इंजेक्शन देकर बेहोश होने के बाद बाघिन को एक बड़े पिंजरे में कैद कर लिया गया.
मवेशियों का शिकार कर रही बाघिन
हाथियों पर सवार हाथों में डंडा लिए पीटीआर की टीम जो आज गुरुवार सुबह से ही बाघिन का रेस्क्यू कर हांका लगा रही है. बता दें की पन्ना टाइगर रिजर्व की बाघिन पी-234(23) की एक बाघिन जन्म के बाद जल्दी ही अपनी मां से अलग हो गई. जिस कारण वह पूरी तरह अपनी मां से शिकार करने और जंगल में रहने के नियम नहीं सीखा पाई और जंगल को छोड़ पीटीआर से लगे क्षेत्र ग्राम बराछ एवं डोभा में किसानों के खेतों में रहकर उनके जानवरों का शिकार कर अपनी भूख मिटा रही थी.
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