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Delhi: पद्मश्री नृत्यांगना गीता चंद्रन ने पूरे किए भरतनाट्यम नृत्य के 50 साल, 1974 में पहली बार मंच पर दी थी प्रस्तुति

-12 साल की उम्र से नृत्य के क्षेत्र में हैं गीता चंद्रन -देश-विदेश में भी दे चुकी हैं प्रस्तुति -नाट्य वृक्ष संस्था की संस्थापक

भरतनाट्यम नृत्यांगना गीता चंद्रन
भरतनाट्यम नृत्यांगना गीता चंद्रन (ETV Bharat)

By ETV Bharat Delhi Team

Published : 4 hours ago

Updated : 4 hours ago

नई दिल्ली:भरतनाट्यम नृत्य की ऐसी विधा है, जिसमें महारत हासिल कर पाना सबके बस की बात नहीं. लेकिन कई लोग ऐसे भी हैं, जिन्होंने समर्पण से इस क्षेत्र में बड़ा नाम बनाया. पद्मश्री गीता चंद्रन ऐसे ही बेहतरीन कलाकारों में से एक हैं, जिन्होंने मात्र 12 साल की आयु से उन्होंने मंच पर प्रस्तुतियां देनी शुरू की थी और उन्हें इस क्षेत्र में पांच दशक के दौरान पद्मश्री, केंद्रीय संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, टैगोर राष्ट्रीय फैलोशिप और नृत्य चूड़ामणि सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है. अपनी इस महत्वपूर्ण वर्षगांठ पर गीता चंद्रन ने राजधानी के मंडी हाउस स्थित कमानी सभागार में दो दिवसीय भरतनाट्यम महोत्सव का आयोजन किया था. 25 अक्टूबर को गीता चंद्रन ने अपना एकल भरतनाट्यम प्रस्तुत किया.

उन्होंने सबसे पहली प्रस्तुति 25 अक्टूबर, 1974 को दी थी, जिसके बाद ये सिलसिला रुका नहीं. वर्तमान में चंद्रन नृत्य शैली के प्रचारक के रूप में काम कर रही हैं, बल्कि एक गुरू के रूप में भी भरतनाट्यम का पोषण और प्रचार कर रही हैं. इस वर्ष उनके सफर को 50 वर्ष पूरे हुए हैं. आइए जानते हैं कैसा रहा उनका ये सफर?

देश-विदेश में भी दे चुकी हैं प्रस्तुति (SOURCE: ETV BHARAT)

देश-विदेश में दी प्रत्सुति: उन्होंने बताया कि वे 50 वर्षों से नृत्यांगना, कोरियोग्राफर और टीचर का दायित्व निभा रही हैं. उन्होंने कहा, इस दौरान कई भूमिकाएं निभाने का मौका मिला. बचपन के कुछ वर्ष नृत्य शिक्षा ग्रहण करने में निकल गए. उसके बाद जो भी सीखा, उसको खुद में उतारना और चरितार्थ करने में लगा. फिर रूचि जगी कि बच्चों को भारतीय नृत्य शैली के बारे में जानकारी होनी चाहिए. इसलिए 30 वर्ष पहले शिक्षिका बनने का निर्णय लिया और नाट्य वृक्ष नाम की संस्था बनाई. इन 50 वर्षों में बहुत कुछ सीखने को मिला और कई अच्छे लोगों के सानिध्य में आने का अवसर प्राप्त हुआ. भरतनाट्यम को बढ़ावा देने के लिए भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी कई प्रस्तुतियां की.

"नृत्य जीवन के 50 वर्ष पूरे होने की दहलीज पर खड़ी होकर, मैं अपने गुरुजनों को हृदय से धन्यवाद देती हूं. उन्होंने न केवल मुझे इस कला का ज्ञान दिया, बल्कि मुझे अपनी रचनात्मकता से इसे नए आयाम देने की स्वतंत्रता भी प्रदान की. मेरे जीवन में हर दिन भरतनाट्यम मुझे ऊर्जा प्रदान करता है. यह मुझे प्रदर्शन, शिक्षण, संचालन और सहयोग के माध्यम से इसकी विशेष क्षमता को उजागर करने के लिए प्रेरित करता है."- गीता चंद्रन, नृत्यांगना

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अधिक सख्त मानकों की आवश्यकता: भारतीय शास्त्रीय नृत्य की वैश्विक लोकप्रियता के बावजूद, गीता चंद्रन का मानना है कि आकस्मिक सीखने वालों और समर्पित अभ्यासकर्ताओं के बीच अंतर करने के लिए अधिक सख्त मानकों की आवश्यकता है. उन्होंने कहा, "हालांकि कला की पहुंच निर्विवाद है, शौकीनों और आजीवन भक्तों के बीच स्पष्ट अंतर इसकी निरंतर प्रतिभा सुनिश्चित करेगा."

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Last Updated : 4 hours ago

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