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'मुसीबतें फुल, कब बनेगा पुल', 15 साल बीते, अब तो सुन लो सरकार - GAYA BRIDGE

बिहार-झारखंड के लोग करीब 15 वर्षों से मोरहर नदी पर पुल के लिए तरस रही है. लोग जिंदगी दांव पर लगाकर पार कर रहे हैं.

गया में एक पुल की दरकार
गया में एक पुल की दरकार (ETV Bharat)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Dec 6, 2024, 7:39 PM IST

गया:बिहार और झारखंड से घिरा 20 गांव एक पुल के लिए तरस रही है. ऐसा नहीं कि गया के इमामगंज विधानसभा क्षेत्र में विकास के कई कार्य हुए, परंतु कई गांव ऐसे हैं जहां से होकर गुजरने वाली नदियों पर आज तक पुल का निर्माण नहीं हो सका. यहां बड़ी समस्या झारखंड और बिहार को जोड़ने वाली मोरहर नदी है. जिसपर न ताे बिहार ध्यान दे रही और न ही झारखंड सरकार.

पुल बनने की बाट जोह रहे हैं लोग: ये 20 गांव विकास की बाट जोह रही है. मोरहर नदी पर लोग अरसे से पुल बनने की बाट जोह रहे हैं. लोगों को बारिश के दिनों में दूसरे क्षेत्रों में जाने के लिए नदी में उतरना पड़ता है. दरअसल, इमामगंज के कोठी थाना के बिकोपुर और झारखंड के प्रतापपुर थाना क्षेत्र की घोरीघाट पंचायत के बीच में एक मोरहर नदी है. नदी लगभग 200 मीटर चौड़ी है. विकास कार्यों के दावे के बीच अब तक इस नदी पर पुल नहीं बना है.

गया में कुछ इस तरह से नदी पार कर जाते लोग (ETV Bharat)

10 किमी दूरी हो जाती 25 किमी:घोरीघाट से इमामगंज की दूरी लगभग 10 किमी है, लेकिन यही रास्ता नदी पर पुल नहीं होने के कारण 25 किमी से अधिक हो जाता है. खास कर बरसात में तो अधिक समस्या होती है, हालांकि इमामगंज विधानसभा क्षेत्र की और भी नदियां हैं, जहां पर पुलों का निर्माण नहीं किया गया, इस में पथरा सलिया गांव भी है. पथरा गांव इमागंज विधानसभा क्षेत्र में है और नदी भी इमामगंज क्षेत्र में है लेकिन यहां पुल नहीं बना है.

झारखंड के छात्र पढ़ने के लिए आते हैं गया : झारखंड के घोरीघाट, तेतरिया, भरही, कौरा, चक, रहरिया, बौरा शरीफ, रबदा, जोलहबीघा, हुमाजंग, लिप्ता, बिशनपुर, जफरडीह, झरना आदि समेत दर्जनों गांव के लोग इलाज और छात्र पढ़ाई के लिए गया जिले के इमामगंज और रानीगंज जाते हैं, हालांकि नदी पर पुल नहीं होने के कारण यह दूरी बढ़ जाती है.

नदी के रास्ते आवागमन करते लोग (ETV Bharat)

इन गांवों की टूटने लगी उम्मीदें:गया जिले के बिकोपुर कोठी कोसमाही, धरेरा, हयातचक, बाहा, सोबरी और तलवारी समेत कई गांव हैं. जिन्हें सिलदाह बाजार व उसके क्षेत्र में जाने के लिए नदी पार करना पड़ता है.जबकि झारखंड में घोरीघाट, सीलदाहा बाजार, मथुरापुर, झगरा, भरही, राजपुर, कवलिया,बौरा शरीफ तितरिया, हेड दोहर, जगनडीह समेत कई गांव हैं, जहां इस नदी से होकर इमामगंज और गया के लिए जाते हैं.

"मोरहर नदी पर पुल नहीं होने से सैकड़ों गांवों के लगभग एक लाख लोगों को आवागमन में परेशानी होती है. अभी नदी में पानी कम है, लेकिन रेत के कारण लोग दुर्घटना का शिकार हो रहे हैं, प्रतिदिन 5 हजार से अधिक लोग इस नदी को पार कर के जाते हैं."- प्रमोद कुमार, ईसापुर गांव

गया में नदी किनारे कार (ETV Bharat)

एक लाख आबादी होती है प्रभावित: बीकापुर और घोरीघाट के बीच से होकर गुजरने वाली नदी लगभग दो दर्जन से अधिक गांवों को जोड़ती है. इमामगंज विधानसभा क्षेत्र के बिकोपुर पंचायत की लगभग 20 हजार आबादी, लावाबार पंचायत, झिकटिया पंचायत समेत कई और पंचायत के लोगों का इस नदी से किसी न किसी काम को लेकर आना जाना लगा होता है.

"अब स्थिति ऐसी है कि पुल नहीं बनने पर अंतिम संस्कार तक के लिए दिक्कत होती है. नदी के कारण इस क्षेत्र के लोगों को शादी ब्याह में भी समस्या है. दोनों तरफ के नेताओं से उम्मीद थी की क्षेत्र का विकास होगा. परंतु कुछ जगहों पर विकास अभी भी नहीं पहुंचा है."- मो. अफसर खान, स्थानीय निवासी

दो राज्यों को जोड़ती है नदी: मोरहर नदी बिहार और झारखंड दोनों राज्यों की सरहद को जोड़ती है. झारखंड का सिलदाहा बाज़ार में दोनों तरफ के लोग खरीदारी करने पहुंचते हैं, जबकि इसी तरह झारखंड के प्रतापपुर प्रखंड की पंचायत में घोरीघाट पंचायत, भरही पंचायत, कौरा पंचायत, लिपता पंचायत समेत कई और पंचायत के लोग इमामगंज, रानीगंज में ही मार्केट समेत चिकित्सा का लाभ लेते हैं.

"नदी का आधा हिस्सा बिहार के गया और आधा झारखंड के चतरा में है. दो राज्यों में होने के कारण दोनों राज्य सरकारें इस पर ध्यान नहीं दे रही हैं. संयोग यह भी है कि पिछले 15 वर्षों से दोनों राज्य के संसदीय क्षेत्र औरंगाबाद और चतरा से सांसद भाजपा के रहे हैं. लेकिन दोनों की ओर कोई पहल नहीं की गई."-साहेब खान, स्थानीय निवासी

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