बेतिया: बिहार के नियोजित शिक्षकों के लिए 26 फरवरी से सक्षमता परीक्षा होने वाली है. इसका अभी से विरोध शुरू हो गया है. बेतिया के नियोजित शिक्षकों में नाराजगी है. शिक्षक इसे सरकार का तुगलक्की फरमान बता रहे हैं. उनका कहना है कि सरकार का यह फरमान कहीं से उचित नहीं है. अगर नियोजित शिक्षक असक्षम है तो उनसे 15- 20 वर्षों से काम क्यों लिया जा रहा था. उनके हाथों में बच्चों का भविष्य क्यों दिया गया.
नियोजित शिक्षक आक्रोशितः सरकार ने निर्णय लिया है कि नियोजित शिक्षकों की सक्षमता परीक्षा ली जाएगी. तीन बार में अगर शिक्षक पास नहीं होते हैं तो उन शिक्षकों की सेवा समाप्त कर दी जाएगी. शिक्षकों ने कहा कि यह कहीं से उचित नहीं है. हमारी लड़ाई राज्य कर्मी दर्जा देने की हुई थी. लेकिन सरकार अपने वादे से मुकर गई है. सरकार शिक्षकों को प्रताड़ित कर रही है. सरकार हमारी मांगों से हमें भटकाना चाहती है.
"इसको लेकर राज्य कमेटी पटना में बैठक कर रही है. कुछ लोग न्यायालय में भी गए हैं. कमेटी की ओर से जो आदेश आएगा इसका अनुपालन किया जाएगा. पूर्व की नियामावली में वर्णित है कि 60 साल तक नौकरी दी जाएगी. बीच में कोई भी नियम लाकर उसे हटाया नहीं जाएगा. यह संविधान का उल्लंघन है."-नंदन कुमार, शिक्षक
नौकरी से हटाने की साजिशः नाराज शिक्षकों का कहना है कि नियोजित शिक्षकों में कई ऐसे शिक्षक हैं जिन्हें, कंप्यूटर का ज्ञान नहीं है. उनसे ऑनलाइन परीक्षा ली जा रही है. बीपीएससी पढ़कर आए हुए हैं उनसे ऑफलाइन एग्जाम लिया गया और जो नियोजित शिक्षक है, उनसे ऑनलाइन एग्जाम क्यों लिया जा रहा है. यह पूरी तरह से गलत है. हम शिक्षकों को नौकरी से निकलने का सरकार का ये एक अलग तरीका है.