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अब रतौंधी का इलाज हुआ सम्भव, GSVM के नेत्र रोग विभाग ने किया शोध, इस तकनीक से हो रहा मरीजों का इलाज - night blindness treatment in GSVM

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के नेत्र रोग विभाग ने नया शोध किया है. अब रतौंधी का इलाज संभव हुआ है.शहर ही नहीं, बल्कि पूरे देश से मरीज जीएसवीएम में इलाज कराने के लिए आ रहे है.

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NIGHT BLINDNESS TREATMENT IN GSVM (Etv Bharat reporter)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : May 29, 2024, 10:18 AM IST

कानपुर: रतौंधी एक ऐसी बीमारी है, जिसमें समय के साथ आंखों की रोशनी पूरी तरह से चली जाती है. देश भर में इस बीमारी के इलाज को लेकर कई शोध किए जा रहे है. लेकिन, अभी तक किसी को भी सफलता नहीं मिली है. शहर के जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के नेत्र रोग विभाग द्वारा पहली बार एक ऐसी तकनीक विकसित की गई है, जिससे अब रतौंधी के मरीजों की आंखे वापस आ रही है. इसके साथ ही जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज अब देश भर में रतौंधी के इलाज का सबसे बड़ा केंद्र भी बन गया है. जहां पर कानपुर शहर ही नहीं, बल्कि पूरे देश से मरीज इलाज कराने के लिए आ रहे है. और उन्हें लाभ भी मिल रहा है.

नेत्र रोग विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. शालिनी मोहन ने दी जानकारी (etv bharat reporter)
ईटीवी भारत संवाददाता से खास बातचीत के दौरान नेत्र रोग विभाग की विभाग अध्यक्ष डॉ. शालिनी मोहन ने बताया, कि रतौंधी एक प्रकार की जन्मजात और अनुवांशिक बीमारी है. इस बीमारी से ग्रसित लोगों को रात में धीरे-धीरे दिखना कम हो जाता है. अभी तक रतौंधी की बीमारी का इलाज कहीं भी नहीं हुआ था. लेकिन, कानपुर के जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के नेत्र रोग विभाग द्वारा एक ऐसा शोध किया गया है. जिस वजह से अब इस बीमारी का इलाज संभव हो गया है. उन्होंने बताया कि, इसमें विभिन्न प्रकार की कोशिकाओं को सुपराक्लोरी मोड़ से डालकर उसका इलाज करने की कोशिश की जा रही है. अब तक इसके सफल परिणाम देखने को मिले है.खून के रिश्तो में शादी करने से ज्यादा जल्दी फैलती है, ये बीमारी: नेत्र रोग विभाग की विभाग अध्यक्ष डॉ. शालिनी मोहन ने बताया, कि अगर यह बीमारी आपके घर में किसी को भी है तो इस बीमारी के होने की संभावना काफी ज्यादा बढ़ जाती है. घर के किसी भी सदस्य को अगर यह बीमारी है, तो आपको समय-समय पर अपनी आंखों का चेकअप कराते रहना चाहिए. दूसरी बात यह है, कि जो लोग अपने खून के रिश्तों में शादियां कर रहे है. ऐसे लोगों में भी रतौंधी की शिकायत काफी ज्यादा देखने को मिल रही है. लोगों को इसमें काफी सावधानी बरतनी चाइए. वरना ये बीमारी उनके होने वाले बच्चों में भी हो सकती है. अगर आप इन बातों का विशेष रूप से ध्यान रखते हैं, तो आगे आने वाली जो पीढ़ी है, उसमें इस बीमारी के होने की संभावना काफी ज्यादा कम हो जाती है.

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स्टेम सेल थेरेपी से किया जा रहा है रतौंधी के मरीजों का इलाज:ईटीवी भारत संवाददाता से खास बातचीत के दौरान डॉ. शालिनी मोहन ने बताया, कि इस बीमारी से ग्रसित मरीज को दिन में तो ठीक से दिखाई देता है, लेकिन जैसे-जैसे शाम होने लगती है वैसे-वैसे उन्हें दिखना कम हो जाता है. उन्होंने बताया कि, अभी जो हमारे द्वारा शोध किया गया है. उसमें स्टेम सेल को निकालकर सुपराक्लोरी मोड से डाला जा रहा है. जिससे की ये जो स्टेम सेल्स है ये उसे रीच एंड रेट करें. जो हमारे सेल्स की आंख के पर्दे में कोशिकाएं होती है.उनको रीच एंड रेट करें. और जो कोशिकाओं पर डैमेज हो रहा है उसे बनाने का काम करें.

कानपुर शहरी नहीं बल्कि, देश के हर कोने से आ रहे मरीज:डॉ. शालिनी मोहन ने बताया कि, रतौंधी का इलाज करने के लिए देशभर से मरीज आ रहे है.जिनका इलाज किया जा रहा है. काफी अच्छी खासी संख्या में मरीजों में इसके सफल परिणाम देखने को भी मिले है. उन्होंने ने बताया कि,रोजाना ओपीडी में 8 से 10 मरीज आ रहे है. इसके साथ अभी कई और तकनीक पर भी नेत्र रोग विभाग के द्वारा शोध किया जा रहा है.जल्द ही कई और भी नई तकनीक भी सामने आएंगी. जिससे, देशभर के मरीज को इस बीमारी से लाभ मिल सकेगा.

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