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शक्तिस्वरूपा: पति की बीमारी ने घर की कमर तोड़ी तो खुद संभाला मोर्चा, परिवार के लिए हालातों से जमकर लड़ रही - lucknow news

तीन बच्चों के भविष्य को संवारने के लिए सड़क पर इडली बेच परिवार को बचाने की कर रही कोशिश.

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पति के ब्लड कैंसर ने बदल दी जिंदगी (photo credit- Etv Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 5, 2024, 12:57 PM IST

लखनऊ: वर्ष 2019 तक तो सब कुछ ठीक था, अजय अपना टूर एंड ट्रेवेल का बिजनेस संभाल रहे थे, मैं अपना ब्यूटी पार्रलर चला रही थी. लेकिन, अचानक एक दिन वो बेहोश होकर गिर गए. डॉक्टर के पास गए तो उन्होंने बताया, कि अजय बस कुछ ही महीने के मेहमान है. तब तो मेरे पैरो तले जमीन खिसक गयी. बीते चार वर्षो में इलाज में सब बिक गया. अब अपने पति को नई जिंदगी देने और तीन बच्चों के भविष्य को संवारने के लिए सड़क पर इडली बेच रही हूं. उम्मीद है, कि सब ठीक हो जायेगा. यह कहते हुए बिजनौर कि रहने वाली रेनू यादव रोने लगी.

एक रात ने बदल दी पूरी जिंदगी:मूल रूप से आजमगढ़ की रहने वाली रेनू यादव की 13 वर्ष पहले लखनऊ के आलमबाग निवासी अजय कुमार से शादी हुई थी. शादी के कुछ माह के बाद ही अजय ने अपना टूर एंड ट्रेवेल का बिजनेस शुरू किया. धीरे धीरे तीन गाड़ियां खरीद ली. रेनू के दो बेटे और एक बेटी हुई. सभी अच्छे स्कूल में पढ़ते थे. रेनू बताती है कि कोरोना काल में उनहोंने आलमबाग का घर बेच कर बिजनौर इलाके में प्लाट लिया और यहां उन्होंने अपना बुटीक खोला. सब जीवन अच्छे से चल रहा था. लेकिन, अचानक अप्रैल 2020 को वो एक गाड़ी लेकर बुकिंग पर गए थे. रात को अचानक बेहोश हो गए. जिन्हे उनका भाई और ड्राइवर लेकर घर आया और फिर कई अस्पताल में दिखाया. जहां सिर्फ खून कि कमी बताई गयी.

डॉक्टर ने कहा पति बस कुछ माह के मेहमान:रेनू के मुताबिक, पति कि हालत बिगड़ती जा रही थी. पैसे इलाज में खर्च होते जा रहे थे. इसलिए वो अपना परिवार लेकर आजमगढ़ मायके चली गयी. वहां भी कई डॉक्टर को दिखाया. लेकिन, कुछ भी सही नहीं हुआ. एक डॉक्टर के कहने पर पीजीआई आई. जहां डॉक्टर ने कहा, कि उन्हें ब्लड कैंसर है और अब वो कुछ ही महीनों की मेहमान है. रेनू कहती है कि यह सुनकर उनके पैरो तले से जमीन खिसक गयी. लेकिन, फिर इलाज शुरू हुआ. पैसे काफी खर्च हो रहे थे. लिहाजा गाड़ियां बेच दी और बुटीक का भी सामान ऑने पौने दाम में बेच कर इलाज करवाया. बच्चों कि पढ़ाई तो खत्म ही हो गयी थी. हालत ये थे, कि घर चलना मुश्किल हो रहा था.
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शक्ति का रूप होती है महिला, ठान ले कुछ भी कर सकती है: रेनू ने बताया कि, एक दिन वो अकेले बैठ अपने परिवार के भविष्य के विषय में सोच रही थी. तब उन्होंने ठाना, कि महिला शक्ति का रूप होती है और जो भी ठान ले वो हो कर ही रहता है. तब उन्होंने शर्म लिहाज छोड़ आशियाना इलाके में इडली और सांभर बनाकर पहुंच गयी. लोगों को उनके हाथ का स्वाद अच्छा लगा और ठीक ठाक कमाई होने लगी.

पति के ब्लड कैंसर ने बदल दी जिंदगी, रेनू यादव ने ईटीवी भारत से साझा की जानकारी (video credit- Etv Bharat)
बोन मैरो ट्रांसप्लांट के लिए दिन रात की मेहनत:रेनू ने बताया कि, उनके पति के इलाज में सरकारी मदद तो मिली लेकिन वो नाकाफी थी. बावजूद इसके उन्होंने कड़ी मेहनत की है. अब वो इलाज करवाने के साथ साथ अपने बच्चों की पढ़ाई का खर्चा उठा रही है. उन्होंने बताया कि, पति रिकवर तो कर रहे लेकिन लड़ाई अभी बहुत लम्बी है. ब्लड कैंसर दोबारा न हो इसके लिए डॉक्टर ने बोन मैरो ट्रांसप्लांट बताया है. रेनू हंसते हुए कहती है, कि जब अपने पति को मौत के मुंह से निकाल लाई, अपने बच्चों के भविष्य को अंधेरे से उजाले तक ले आई तो आगे भी मेहनत कर पति का बोन मैरो ट्रांसप्लांट भी करवा ही दूंगी.

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