शिमला: हिमाचल प्रदेश के डिपुओं में उपभोक्ताओं को गेहूं का आटा, चावल, तीन दालें, नमक, सरसों तेल के साथ अब प्राकृतिक खेती से तैयार मक्की का आटा भी उपलब्ध होगा. प्रदेश में पढ़े लिखे युवाओं के पलायन को रोकने और खेती बाड़ी के पेशे से जोड़ने के लिए सुक्खू सरकार ने प्राकृतिक खेती से तैयार मक्की को 30 रुपए के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने की अनूठी पहल की है. जिसके लिए प्रदेश के 10 जिलों में 25 अक्टूबर से मक्की की खरीद शुरू की थी. इसके तहत अब तक करीब 400 मीट्रिक टन मक्की खरीदी गई है. जो अब हिमाचल प्रदेश राज्य नागरिक आपूर्ति निगम के गोदाम में स्टोर की गई है. ऐसे में अब मिलों में पिसाई के बाद उपभोक्ताओं को इसी महीने से डिपुओं में मक्की का आटा उपलब्ध होगा. जिसकी लॉन्चिंग मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू 15 दिसंबर को करेंगे.
इतने किलो पैकिंग में उपलब्ध होगा आटा
हिमाचल के डिपुओं में पहली बार उपभोक्ताओं को प्राकृतिक खेती की तकनीक से तैयार की गई मक्की का आटा मिलेगा. जो एक किलो और पांच किलो की पैकिंग में उपलब्ध होगा. इसके लिए खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग ने 15 मिलें चिन्हित की है. इस तरह अब पिसाई के बाद उपभोक्ताओं को डिपुओं में मक्की का आटा मिलेगा. खासकर सर्दियों के मौसम में शहरों में मक्की के आटे की सबसे अधिक डिमांड रहती है. प्राकृतिक खेती से तैयार मक्की का आटा उच्च गुणवत्ता से भरपूर होता है. इसमें कीटनाशकों और रसायनों का प्रयोग नहीं किया जाता है. डिपुओं में इसे उपलब्ध करवाने से आम जनता तक इसकी पहुंच बढ़ेगी और उन्हें एक पोषक और प्राकृतिक आहार का विकल्प भी मिलेगा. मक्की के आटे में फाइबर, प्रोटीन और कई महत्वपूर्ण विटामिन होते हैं जो सेहत के लिए फायदेमंद है.
25 अक्टूबर से मक्की की खरीद हुई थी शुरू
प्रदेश की सुक्खू सरकार पहली बार किसानों से प्राकृतिक खेती से तैयार मक्की की फसल को 30 रुपये प्रति किलो के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद रही है. इसके लिए प्रदेशभर में प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के तहत 25 अक्टूबर से मक्की को खरीदने की प्रक्रिया शुरू की गई है. सरकार ने किन्नौर और लाहौल स्पीति को छोड़कर अन्य 10 जिलों में 508 मीट्रिक टन मक्की खरीदने का लक्ष्य तय किया था. जिसके तहत अब तक 400 मीट्रिक टन मक्की की खरीद की गई है. किसान से अधिकतम 30 क्विंटल मक्की खरीदी गई है. देशभर में मक्की पर दिया जाने वाला ये सबसे अधिक न्यूनतम समर्थन मूल्य है. जिससे किसानों की आर्थिकी मजबूत होगी.