नैनीतालः उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य आंदोलनकारियों को सरकारी नौकरी में दस प्रतिशत आरक्षण देने के मामले में सुनवाई करते हुए प्रदेश सरकार को निर्देश दिए कि इस मामले पर 27 नवंबर तक अपना जवाब प्रस्तुत करें. मामले की अगली सुनवाई 27 नवंबर की तिथि नियत की है.
आज मामले की सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा की खंडपीठ में हुई. अब इस मामले की अगली सुनवाई 27 नवंबर को होगी. आज हुई सुनवाई पर प्रदेश सरकार की ओर से महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर पेश हुए. उन्होंने कहा कि एक दो दिन में जवाब पेश कर दिया जाएगा.
अदालत ने उनकी मांग को स्वीकार कर लिया और अगली सुनवाई के लिए 27 नवंबर की तिथि तय कर दी. इससे पहले 19 सितंबर को सुनवाई करते हुए अदालत ने सरकार से पूछा था कि कितने आंदोलनकारियों को सरकारी नौकरी में आरक्षण का लाभ मिला है और कितनों को नहीं मिला है.
याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि हाईकोर्ट वर्ष 2017 में एक जनहित याचिका के जवाब में सरकार के इस कदम को पहले ही खारिज कर चुका है. इसी साल प्रदेश सरकार ने पुनः अधिसूचना जारी कर राज्य आंदोलनकारियों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने की बात कही है, जो कि गलत है. इस मामले में भुवन सिंह ने याचिका दायर की है.
18 अगस्त को मिली मंजूरी: गौर है कि 18 अगस्त 2024 को उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों को सरकारी नौकरियों में 10 प्रतिशत आरक्षण के विधेयक को राज्यपाल ने मंजूरी दी. 13 मार्च 2023 को ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक में राज्य आंदोलनकारियों को 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण बिल के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी. इसके बाद सदन में बिल को पास कराया गया था.
ये भी पढ़ेंःराज्य आंदोलनकारियों के लिए खुशखबरी, राजभवन ने क्षैतिज आरक्षण को दी मंजूरी, जल्द मिलेगा लाभ