MP Rajya Sabha By Poll 2024: मोदी मंत्रिमंडल में टेलिकॉम और पू्र्वोत्तर विभाग के मंत्री बनाए गए ज्योतिरादित्य सिंधिया की राज्यसभा की सीट रिक्त घोषित कर दी गई है. ज्योतिरादित्य सिंधिया ने गुना-शिवपुरी लोकसभा सीट पर यादवेंद्र सिंह को 5 लाख 40 हजार 929 वोटों से हराकर जीत दर्ज की है. ऐसे में अब उनकी राज्यसभा की सीट पर उपचुनाव होगा. 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया जब बीजेपी में शामिल हुए थे तब उन्हें पार्टी ने राज्यसभा का सांसद बनाया था और नागरिक उड्डयन विभाग की जिम्मेदारी सौंपी थी.
बीजेपी उम्मीदवार केपी यादव से हार गए थे सिंधिया
2019 का लोकसभा चुनाव ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस के टिकट पर लड़ा था और वे भाजपा उम्मीदवार केपी यादव से हार गए थे. उसके बाद उन्होंने 2020 में बीजेपी ज्वाइन कल ली थी. इसके बाद मध्यप्रदेश में कमलनाथ की 15 महीने की सरकार गिर गई थी और शिवराज सिंह चौहान फिर से मुख्यमंत्री बनाये गये थे. अब सिंधिया के लोकसभा सांसद बनने के बाद उनकी राज्यसभा सीट को रिक्त घोषित कर दिया गया है.
मध्य प्रदेश में राज्यसभा का उपचुनाव
ज्योतिरादित्य सिंधिया की सीट खाली होने के बाद अब उपचुनाव कराया जायेगा. इस सीट पर भाजपा की तरफ से कौन प्रत्याशी होगा इसकी अभी घोषणा नहीं हुई है. बताया जा रहा है राज्यसभा उपचुनाव के कार्यक्रम का ऐलान होने के बाद घोषणा की जायेगी. वहीं, इस सीट से राज्यसभा भेजने के लिए कई नामों की चर्चा चल रही है. ज्योतिरादित्य सिंधिया का कार्यकाल 21 जून 2026 तक है. सिंधिया जून 2020 में राज्यसभा सांसद चुने गए थे. वहीं, लोकसभा चुनाव से पहले तक मध्य प्रदेश से बीजेपी के 8 सांसद राज्यसभा में थे. सिंधिया के अलावा उमेश नाथ महाराज, बंसीलाल गुर्जर, एल. मुरूगन, माया नरोलिया, कविता पाटीदार, सुमित्रा वाल्मीकि, सुमेर सिंह सोलंकी बीजेपी से राज्यसभा सांसद हैं. वहीं, कांग्रेस के 3 राज्यसभा सांसद हैं अशोक सिंह, विवेक तन्खा और दिग्विजय सिंह. मध्य प्रदेश में राज्यसभा की कुल 11 सीटें हैं.
रेस में हैं ये दिग्गज
मध्य प्रदेश में राज्यसभा की एक सीट खाली होने के बाद अब भाजपा में सियासत तेज हो गई है. कई हारे हुए दिग्गजों में उम्मीद जाग उठी है कि उन्हें शायद राज्यसभा में भेज दिया जाये. इस फेरिस्त में सबसे पहला नाम नरोत्तम मिश्रा का आता है. वे शिवराज सरकार में गृहमंत्री की भूमिका निभा चुके हैं और 2023 के विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा. हालांकि, उन्हें उम्मीद थी की पार्टी उन्हें लोकसभा चुनाव में टिकट देगी, लेकिन ऐसा न हुआ. नरोत्तम मिश्रा की दावेदारी इसलिए भी मजबूत मानी जा रही है क्योंकि इस लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने कांग्रेस को पूरी तरह से छलनी कर दिया और 18 हजार से अधिक कांग्रेसियों को भाजपा में शामिल करा दिया.
केपी यादव मजबूत दावेदार