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रोडवेज बस स्टैंड की जमीन पर व्यक्ति ने जताया मालिकाना हक, 27 लोगों को भेजा नोटिस - Morena Roadways land Dispute - MORENA ROADWAYS LAND DISPUTE

मुरैना के पुराने रोडवेज बस स्टैंड की जमीन को नीलामी के जरिए बेचे जाने के मामले में विवाद शुरू हो गया है. इस जमीन पर मालिकाना हक जताने वाले व्यक्ति ने 27 प्रतिवादियों को नोटिस भेजा है.

MORENA BUS STAND LAND SELLING CASE
मुरैना रोडवेज बस स्टैंड की जमीन पर व्यक्ति ने जताया मालिकाना हक (ETV Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 3, 2024, 11:19 AM IST

मुरैना: पुराने बस स्टैंड की जमीन का विवाद अब धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है. इस जमीन को लेकर मालिकाना हक मुरैना गांव निवासी अभय शर्मा ने ठोका है. अभय शर्मा ने जिला एवं सत्र न्यायाधीश के यहां दावा पेश करते हुए 27 लोगों को प्रतिवादी बनाया है. नोटिस मिलने और पहली सुनवाई होने के बाद जिन लोगों ने यहां प्लाट खरीद लिए हैं, उनमें हड़कंप मचा हुआ है.

नीलामी के जरिए बेची गई थी बस स्टैंड की जमीन (ETV Bharat)

नीलामी के जरिए बेची गई थी जमीन

दरअसल, मुरैना शहर के पुराना रोडवेज बस स्टैंड की जमीन को लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग ने बेचा था. 11 बीघा जमीन के एक हिस्से यानि 66 हजार स्क्वेयर फीट जमीन 65 करोड़ रुपए में नीलामी के जरिए बेची गई थी. हाल ही में इस जमीन का असल स्वामी होने का दावा करते हुए अभय शर्मा निवासी मुरैना ने मध्य प्रदेश शासन और प्लॉट खरीदने वालों को कोर्ट के माध्यम से नोटिस भेजे हैं.

27 लोगों को बनाया गया प्रतिवादी

जिला न्यायालय में दावा पेश करने वाले अभय शर्मा द्वारा मध्य प्रदेश सरकार, मध्य प्रदेश विद्युत वितरण कंपनी, मध्य प्रदेश रोड ट्रांसपोर्ट निगम, मध्य प्रदेश स्टेट ट्रांसपोर्ट कार्पाेरेशन, शांति सॉलविक्स प्राइवेट लिमिटेड के संचालक श्याम बंसल, माधव गोयल, श्रीनिवास बंसल, अभय अग्रवाल, जसराम गोयल, रामसेवक गोयल, धीरज चिमनानी, निकिता चिमनानी, रमेशचंद्र चिमनानी, साधना गुप्ता, उमा अग्रवाल पत्नी मनोज अग्रवाल, संतोष कुमार दबानी, सुनील कुमार जैन, निधि खंडेलवाल, गीता गुप्ता, महेश कुमार राठौर, कुसुमलता जैन सहित 27 को प्रतिवादी बनाया गया है.

दान की गई जमीन पर बना था रोडवेज बस स्टैंड

जानकारी के मुताबिक, इस जमीन पर साल 1940-45 से पहले बिजली कंपनी का प्लांट हुआ करता था. इस जमीन को मुरैना के एक परिवार ने जनहित के लिए दी थी. बाद में इस जमीन के 11 बीघा हिस्से पर रोडवेज बस स्टैंड बनाया गया. असल भू-स्वामी की मृत्यु के बाद इस जमीन पर 2005 तक रोडवेज बस स्टैंड का संचालन हुआ. इसके बाद रोडवेज बसों का संचालन भी बंद हो गया. इसके बाद शासन ने 2018 में इस जमीन के एक हिस्से को नीलामी के जरिए बेच दिया था.

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अभय शर्मा के वकील ने किया बड़ा दावा

बस स्टैंड की जमीन पर अपना दावा करने वाले अभय शर्मा के वकील अनिल सक्सेना ने बताया कि ''पुराना बस स्टैंड की जमीन में अभय शर्मा के पूर्वजों का नाम बतौर भूमि स्वामी दर्ज था. अभय शर्मा उनके वारिस हैं, जो कागज उन्होंने निकलवाए हैं, उनमें सरकार द्वारा पूर्वजों को भूमि स्वामी के इंद्राज से काट दिया गया और उसमें रोडवेज इंद्राज हो गया. उसके बाद बिजली घर इंद्राज हो गया. खसरे में इंद्राज कानूनी प्रक्रिया के अनुसार होते हैं. सक्षम अधिकारी आदेश देता है और सामने वाले का इंद्राज हटाने के लिए सुनवाई करता है. इन दोनों के बिना और किसी सक्षम अधिकारी के आदेश दिए बगैर गैर कानूनी तरीके से इंद्राज हो गए और फिर शासन ने जमीन को अपना मान लिया. शासन ने जमीन को अपना मानकर ऑक्शन करते हुए एसडीओ के द्वारा उसे विक्रय करा दिया. इस सब को चैलेंज करते हुए अभय शर्मा के द्वारा जिला एवं सत्र न्यायाधीश के यहां दावा पेश किया है.''

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