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कॉलेजों में मोहन सरकार खिलाएगी पिट्ठू और मलखंब, उच्च शिक्षा विभाग बनाएगा छात्रों का कैरियर - Malkhamb Pitthu College Curriculum - MALKHAMB PITTHU COLLEGE CURRICULUM

मध्य प्रदेश में पुरातन खेलों को खेला जाएगा. भगवान श्री कृष्ण के प्रिय खेल मलखंब अब मध्य प्रदेश के कॉलेजों में खेला जाएगा. उच्च शिक्षा विभाग के वार्षिक खेल कैलेण्डर में इस खेल को शामिल किया गया है. मोहन यादव सरकार के निर्देश के बाद कॉलेजों के लिए यह निर्णय लिया गया है.

Malkhamb Pitthu College Curriculum
मलखंब और पिट्ठू खेलते नजर आएंगे युवा (Getty Image)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 9, 2024, 3:35 PM IST

Updated : Sep 9, 2024, 4:35 PM IST

भोपाल:भगवान कृष्ण की शिक्षा के बाद अब उनका प्रिय खेल भी मध्य प्रदेश के कॉलेजों में खेला जाएगा. एमपी में पहली बार मलखंब भी उच्च शिक्षा विभाग के वार्षिक खेल कैलेण्डर में शामिल हुआ है. खास बात ये है कि सीएम डॉ मोहन यादव के निर्देश के बाद इस पुरातन खेल को कॉलेजों में खिलाए जाने के निर्देश जारी हुए हैं. खास बात ये है कि अलग-अलग जिलों में अलग-अलग खेल खिलाए जाएंगे. उज्जैन में मलखंब की प्रतियोगिताएं होगी. मलखंब के साथ पिट्ठू को भी वार्षिक खेल कैलेण्डर में शामिल किया गया है.

वार्षिक खेल कैलेण्डर में शामिल मलखंब और पिट्ठू (ETV Bharat)

उच्च शिक्षा विभाग की ओर से जो निर्देश जारी किए गए हैं. उसमें कहा गया है कि पारंपरिक स्वदेशी खेल पिट्टू मलखंब को अंतर विश्वविद्यालयी प्रतियोगिता में भी शामिल किए गए हैं.

मोहन के उज्जैन में गड़ेगा मलखंब..इंदौर में पिट्ठू

एमपी में मोहन यादव की सरकार में भगवान श्रीकृष्ण के विचार जन-जन तक पहुंचाने के बाद कृष्ण के प्रिय खेलों को भी कॉलेजों में शुरू करवाने की पहल कर रही है. शुरुआत मलखंब और पिट्टू जैसे पुरातन खेलों से हो रही है. उच्च शिक्षा विभाग ने इस वर्ष के वार्षिक कैलेण्डर में इन दोनों खेलों को भी शामिल किया है. अखिल भारतीय विश्वविद्यालय खेल संघ नई दिल्ली की ओर से जारी अंतर विश्वविद्यालय प्रतियोगिता 2024-25 में नवीन खेल विधा के साथ प्राचीन और पारंपरिक स्वदेशी खेल पिट्टू और मलखंब को भी शामिल किया गया है.

मोहन यादव सरकार का आदेश (ETV Bharat)

इस कैलेण्डर में बाकायदा संभागवार खेल निर्धारित किए गए हैं. जिसमें मलखंड उज्जैन में खेला जाएगा. जबकि पिट्टू के लिए इंदौर का चयन किया गया है. सात संभागों में से केवल ये दो संभाग हैं, जो इन स्वदेशी खेलों के लिए चुने गए हैं.

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कृष्ण से जुड़ा है मलखंब का इतिहास

जिन पारंपरिक खेलों को उच्च शिक्षा विभाग ने कैलेण्डर में शामिल किया है. पिट्टू के साथ मलखंब ये दोनों ही खेल भारत पुरातन क्रीड़ाओं में शामिल रहे हैं. खास ये है कि ये स्वदेशी खेलों के विषय में धार्मिक ग्रंथ भी बताते हैं. मलखंब की शुरुआत महाराष्ट्र से भी कही जाती है. मल्ला और खंब से मिलकर बना है, मल्लखंब. जिसमें मल्ला का मतलब है पहलवान और खंब के मायने खंबा. खंबे पर ही पहलवान करतब दिखाता है.

Last Updated : Sep 9, 2024, 4:35 PM IST

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