गोड्डाः इंडिया गठबंधन की ओर से लंबे इंतजार के बाद गोड्डा लोकसभा सीट से उम्मीदवार का ऐलान कर दिया गया है. गोड्डा लोकसभा सीट कांग्रेस के कोटे में आई थी. इस कारण कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व ने महगामा विधायक दीपिका पांडेय सिंह के नाम पर अंतिम मुहर लगाते हुए उन्हें गोड्डा लोकसभा का प्रत्याशी बनाया है. गौरतलब हो कि कांग्रेस में गोड्डा लोकसभा सीट के लिए पोड़ैयाहाट विधायक प्रदीप यादव और महगामा से विधायक दीपिका पांडेय सिंह का नाम आगे चल रहा था, लेकिन अंत में कांग्रेस पार्टी ने दीपिका पांडेय सिंह पर विश्वास जताया है.
कौन हैं दीपिका पांडेय सिंह
बता दें कि महगामा विधायक दीपिका पांडे सिंह पुराने कांग्रेसी दिग्गज नेता अरुण पांडेय और प्रतिभा पांडेय की पुत्री हैं. अरुण पांडेय संयुक्त बिहार के पार्षद रह चुके हैं और मां प्रतिभा पांडेय समाज कल्याण बोर्ड की अध्यक्ष रह चुकी हैं. हालांकि कुछ दिन के लिए पार्टी से नाराज होकर भाजपा में इनके माता पिता चले गए थे, लेकिन पुनः कांग्रेस में वापस लौट आये थे. चार माह पूर्व ही अरुण पांडेय का निधन रांची में हो गया था.
वहीं दीपिका पांडेय सिंह फिलहाल अपने ससुर को विरासत संभाल रही हैं. दीपिका पांडेय को शादी महगामा विधानसभा के चार बार के कांग्रेसी विधायक और मंत्री रहे अवध बिहारी सिंह के पुत्र इंजीनियर रत्नेश्वर सिंह से हुई है. दीपिका पांडेय सिंह महगामा विधानसभा से विधायक हैं.दीपिका पांडेय सिंह ने पहली बार महगामा विधानसभा से भाग्य आजमाया और जीत दर्ज की थी. उन्होंने भाजपा के दिग्गज और तीन बार के विधायक अशोक भगत को धूल चटाई थी. दीपिका पांडेय सिंह राहुल गांधी के यूथ ब्रिगेड की कोर कमेटी मेंबर भी हैं. पहले उन्हें कांग्रेस यूथ विंग का महासचिव बनाया गया फिर महिला मोर्चा का राष्ट्रीय सचिव और वर्तमान में दीपिका कांग्रेस की राष्ट्रीय सचिव हैं. वही पिछले चुनाव में उत्तराखंड, हिमाचल समेत कई राज्यों में प्रभारी रह चुकी हैं.
आखिर पार्टी ने किन वजहों से दीपिका पर जताया विश्वास
दीपिका पांडेय का राजनीति में स्ट्राइक रेट बेहतर है. पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ी और जीत दिलाई, जबकि प्रदीप यादव को पिछली बार कांग्रेस और जेवीएम गठबंधन से उमीदवार बनाया गया था, लेकिन सीधे मुकाबले में डेढ़ लाख से ज्यादा मतों से निशिकांत दुबे से हार गए थे. 2002 में प्रदीप यादव उपचुनाव भाजपा के टिकट पर जीते थे, लेकिन चार बार लगातार उन्हें हार का सामना करना पड़ा.