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अपनी डिग्री पर नहीं दिल जो कहे उसपर करिए भरोसा - MBA pass tea seller - MBA PASS TEA SELLER

कहते हैं पंखों में नहीं इरादों में जान होनी चाहिए. महासमुंद के धनंजय चंद्राकर ने इस बात को सच कर दिखाया है. लाखों की सालाना नौकरी छोड़कर धनंजय ने अपना ढाबा खोल लिया. अपनी टपरी से वो न सिर्फ रोजगार पैदा कर रहे हैं बल्कि परिवारों की गाड़ी भी चला रह हैं.

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चाय पीने के लिए करना होगा सुर्र सुर्र (ETV Bharat)

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Aug 4, 2024, 6:39 PM IST

Updated : Aug 5, 2024, 7:37 PM IST

महासमुंद: चाय के दीवानों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. सुबह की पहली चाय हो या फिर शाम की चाय. एक प्याली बेहतरीन चाय के लिए लोग अपने चुनिंदा दुकानों पर पहुंच जाते हैं. चाय बनाना भी एक कला है. अगर आप भी चाय के प्रेमी हैं तो आपको भी किसी न किसी के हाथ की बनी चाय पसंद होगी. महासमुंद में इन दिनों एक चाय वाले की धूम है. चाय बनाकर पिलाने वाले धनंजय एमबीए पास हैं. लाखों की सालाना नौकरी छोड़कर धनंजय ने ढाबा खोल लिया है.

मिलिए MBA पास चाय वाले भइया से (ETV Bharat)

मेहनत से मिला मुकाम: अपनी मेहनत से धनंजय न सिर्फ अपने रोजगार को तेजी से बढ़ा रहे हैं बल्कि कई लोगों को नौकरी भी दे रहे हैं. धनंजय ने अपना ढाबा महासमुंद नेशनल हाइवे पर दिव्यदर्श कैफे के नाम से खोल रखा है. इनके कैफे पर आने वाला ग्राहक इनकी चाय का दीवाना हो जाता है. धनंजय चंद्राकर ने बाकायदा अपनी दुकान पर लिखवा रखा है कि ''यहां अगर चाय पीनी है तो सुर्र करके ही पीनी होगी.''

एमबीए पास चाय वाला:धनंजय के पिता रिटायर्ड शिक्षक हैं. पिता ने बड़े अरमान से अपने बेटे को एमबीए की पढ़ाई कराई. पिता चाहते थे कि बेटा उनसे भी आगे जाए और बड़ा अफसर बने. धनंजय ने पढ़ाई के बाद देश के कई बड़े बैंकों में बिज़नेस डेवलपमेन्ट मैनेजर और रिलेशनशिप मैनेजर की नौकरी की. कंपनी की ओर से धनंजय को अच्छी खासी पगार भी मिली. जब कोरोना का दौर आया तो नौकरी छोड़नी पड़ी. परिवार पर आर्थिक दबाव भी बढ़ने लगा.

पत्नी और पिता ने बढ़ाया हौसला: उस वक्त परिवार के लोगों ने उसकी हिम्मत बढ़ाई और उसे कुछ और कामों में हाथ आजमाने को कहा. घरवालों का हौसला देखकर धनंजय ने मार्केटिंग की फील्ड में हाथ आजमाया. पारिवारिक रिश्तों और दूसरे की गलतियों से कारोबार बंद हो गया. नुकसान उठाना पड़ा सो अलग.

अब दूसरों को दे रहे हैं रोजगार: पिता की मदद से एक बार फिर धनंजय ने ढाबे के कारोबार में हाथ आजमाया. इस बार कारोबार चल पड़ा. अच्छी आमदनी भी होने लगी. कुछ ही दिनों में जमीन के मालिक ने ढाबा हटाने का आदेश दे दिया. इस बार धनंजय का साथ हिम्मत ने नहीं छोड़ा. धनंजय ने पास में जमीन का टुकड़ा लेकर ढाबे को जमा लिया.

कोई काम छोटा नहीं होता,सोच बड़ी होनी चाहिए: एमबीए पास धनंजय आज वो अपने ढाबे से पूरे परिवार का पेट भर रहे हैं. आमदनी बढ़ने के बाद कई लोगों को अब वो रोजगार भी दे रहे हैं. भविष्य में वो व्यापार में और कुछ नया करने की सोच रखते हैं. धनंजय को देखकर ये बात माननी पड़ेगी कि जिंदगी डिग्री से नहीं हौसले से चलती है. राहुल भोई, संवाददाता महासमुंद

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Last Updated : Aug 5, 2024, 7:37 PM IST

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