महासमुंद: चाय के दीवानों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. सुबह की पहली चाय हो या फिर शाम की चाय. एक प्याली बेहतरीन चाय के लिए लोग अपने चुनिंदा दुकानों पर पहुंच जाते हैं. चाय बनाना भी एक कला है. अगर आप भी चाय के प्रेमी हैं तो आपको भी किसी न किसी के हाथ की बनी चाय पसंद होगी. महासमुंद में इन दिनों एक चाय वाले की धूम है. चाय बनाकर पिलाने वाले धनंजय एमबीए पास हैं. लाखों की सालाना नौकरी छोड़कर धनंजय ने ढाबा खोल लिया है.
मेहनत से मिला मुकाम: अपनी मेहनत से धनंजय न सिर्फ अपने रोजगार को तेजी से बढ़ा रहे हैं बल्कि कई लोगों को नौकरी भी दे रहे हैं. धनंजय ने अपना ढाबा महासमुंद नेशनल हाइवे पर दिव्यदर्श कैफे के नाम से खोल रखा है. इनके कैफे पर आने वाला ग्राहक इनकी चाय का दीवाना हो जाता है. धनंजय चंद्राकर ने बाकायदा अपनी दुकान पर लिखवा रखा है कि ''यहां अगर चाय पीनी है तो सुर्र करके ही पीनी होगी.''
एमबीए पास चाय वाला:धनंजय के पिता रिटायर्ड शिक्षक हैं. पिता ने बड़े अरमान से अपने बेटे को एमबीए की पढ़ाई कराई. पिता चाहते थे कि बेटा उनसे भी आगे जाए और बड़ा अफसर बने. धनंजय ने पढ़ाई के बाद देश के कई बड़े बैंकों में बिज़नेस डेवलपमेन्ट मैनेजर और रिलेशनशिप मैनेजर की नौकरी की. कंपनी की ओर से धनंजय को अच्छी खासी पगार भी मिली. जब कोरोना का दौर आया तो नौकरी छोड़नी पड़ी. परिवार पर आर्थिक दबाव भी बढ़ने लगा.