कैंसर सर्वाइवर मनदीप को उनके हमनाम ने दी नई जिंदगी नई दिल्ली:राजधानी के कनॉट प्लेस स्थित राजीव गांधी अस्पताल में ब्लड कैंसर को पराजित करने वाले मनजीत जब अपने जीवनदाता हमनाम मनजीत से मिले तो वह अपनी भावनाओं पर नियंत्रण नहीं रख पाए. भावुकता में उनके आंसू छलक आए. यह कोई फिल्मी कहानी नहीं है, बल्कि एक सच्ची घटना है जिसे डॉ. सोना शर्मा ने 'मनदीप मिट्स मनदीप' शीर्षक से कलमबद्ध किया है. जिसे कनॉट प्लेस स्थित ऑक्सफोर्ड बुक स्टोर में अनावरण किया गया.
यह एक नॉन-फिक्शन किताब है जो मनदीप नाम के एक मरीज की असल ज़िंदगी की कहानी पर आधारित है. मनदीप ने ब्लड कैंसर के खिलाफ अपनी लड़ाई तब जीती, जब उनका हमनाम मनदीप स्टेम सेल ट्रांसप्लांट के लिए सबसे उपयुक्त डोनर बनकर सामने आया. 'मनदीप मीट्स मनदीप' पुस्तक डॉ. सोना शर्मा द्वारा लिखी गई है, जो पेशे से एक चिकित्सक एवं लेखिका हैं. सच्ची घटनाओं पर आधारित यह पुस्तक दो ज़िंदगियों की एक अद्भुत कहानी बयां करती है. संयोग से एक-दूसरे से जुड़ने वाले दोनों लोगों का नाम मनदीप है, जिनका एचएलए टाइप भी एक-दूसरे से मेल खाता है.
मैचिंग डोनर ढूंढने का सफर कठिन था:ब्लड कैंसर को मात देने वाले मनदीप सिंह ने बताया कि पहले तो मैं कैंसर की चपेट में आने के बाद बेबस महसूस कर रहा था. मैचिंग डोनर ढूंढने का सफर, सचमुच भूसे के ढेर में सुई ढूंढ़ने की तरह कठिन था. डीकेएमएस-बीएमएसटी डेटाबेस के माध्यम से मनदीप मान के रूप में डोनर मिल गया. उनके निःस्वार्थ भाव से किए गए स्टेम सेल के दान ने उन्हें एक नया जीवन दिया. उनसे मिलने की खुशी और उनके प्रति आभार को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता.
पत्नी को भी था कैंसर, इसलिए मदद करना अच्छा लगा:मनदीप मान ने स्टेम सेल डोनर के रूप में जिंदगी बचाने का अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि स्टेम सेल डोनर होना उनके लिए बड़े गौरव की बात है. कैंसर से जूझ रही अपनी पत्नी से प्रेरित होकर उन्होंने मनदीप को स्टेम सेल डोनेट करने का निर्णय लिया. उनसे मिलना एक सपने के सच होने जैसा अनुभव था, जिसमें एक ही नाम और आनुवंशिक बंधन के माध्यम से दो लोगों की दुनिया जुड़ गई.