लखनऊ/वाराणसी: लोकसभा चुनाव-2024 के परिणाम आ चुके हैं. उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी ने एक बार फिर से अपना दमखम दिखाया है और भारतीय जनता पार्टी से अधिक सीटों पर कब्जा किया है. अखिलेश यादव की इस बड़ी सियासी जीत के पीछे कई कारण हैं. सियासी रणनीति भी शामिल है.
बीते दो चुनावों 2014 और 2019 में समाजवादी पार्टी अलग-अलग गठबंधन के साथ और अलग-अलग मुद्दों के साथ चुनाव में उतरी थी. मगर इस बार दलित और पिछड़ा के नाम से सपा ने जमकर वोट बटोरे हैं. सपा संविधान को बचाने, दलितों का आरक्षण बचाने का नारा लेकर दलितों के बीच पहुंची थी.
भाजपा पर आरोप लगे कि सत्ता में आने पर आरक्षण खत्म हो जाएंगे. दरअसल, भारतीय जनता पार्टी ने जब 400 पार का नारा दिया तब बीजेपी के फैजाबाद से सांसद लल्लू सिंह सहित कई नेताओं ने आरक्षण और संविधान समाप्त करने की बात कह डाली. इसको अखिलेश यादव और राहुल गांधी ने बड़ा मुद्दा बना डाला. ऐसे में इस संदेश को लोगों तक पहुंचाने का काम सपा ने किया और उसी का परिणाम है कि दलित सपा के साथ आ गए.
इसी का नतीजा ये रहा कि सपा ने यूपी में ऐतिहासिक जीत दर्ज की. अब तक के इतिहास में सपा ने कभी किसी लोकसभा चुनाव में यूपी की 37 सीटों पर कब्जा नहीं जमाया था. लेकिन, इस बार अखिलेश यादव ने ये करिश्मा कर दिखाया.
अखिलेश की जीत के 5 प्रमुख कारण
- अखिलेश यादव का कांग्रेस के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ना और बसपा से पूरी तरह से दूरी बनाए रखना.
- आरक्षण और संविधान समाप्त करने की बात को मुद्दा बनाकर जनता के बीच पेश करना.
- जातिगत जनगणना करने का वादा करना.
- किसानों की आय दोगुनी न करके किसानों को केंद्र सरकार द्वारा छलने की बात करना.
- पेपर लीक और प्रतियोगी परीक्षाओं में भ्रष्टाचार करके नौकरी न दिए जाने का बड़ा मुद्दा अखिलेश यादव ने उठाया.
सपा ने जातीय गोलबंदी का खेला खेल:माना जाता है कि चुनाव में अगर जीत दर्ज करनी है तो जातीय समीकरण को अपने खेमे में लाना जरूरी है. लोकसभा चुनाव 2024 में समाजवादी पार्टी की ओर से जो जातीय गोलबंदी का होमवर्क किया गया, उसने निश्चित रूप से न सिर्फ दलित वोट बैंक को लाने का काम किया बल्कि एक बड़ा फायदा भी पहुंचाया है, जिसकी तस्वीर लोकसभा चुनाव-2024 के परिणामों में उत्तर प्रदेश में नजर आ रही है.
लोकसभा चुनाव-2024 में न सिर्फ बीते दो चुनावों का रिकॉर्ड टूटा है, बल्कि समाजवादी पार्टी ने अकेले दम पर भारतीय जनता पार्टी से अधिक सीटें निकाली हैं. ऐसे में यह माना जा रहा है कि जातीय समीकरण के चलते INDI गठबंधन को इसका फायदा मिला है.