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महाकौशल का 15 सौ बरस पुराना देवी मंदिर, चारों ओर मुस्लिम आबादी, लेकिन आस्था हिंदुओं के बराबर - Mahakaushal oldest Devi temple - MAHAKAUSHAL OLDEST DEVI TEMPLE

जबलपुर का बुडी खेर माई मंदिर लगभग 1500 साल प्राचीन है. मंदिर में देवी की मूर्ति के साथ ही गाड़ीवान की मूर्ति की भी पूजा की जाती है. मंदिर के चारों ओर मुस्लिम आबादी है लेकिन मुस्लिम इस मंदिर के प्रति आस्थावान हैं. हालांकि यहां पुलिस 24 घंटे तैनात रहती है.

Mahakaushal oldest Devi temple
जबलपुर का बुडी खेर माई मंदिर लगभग 1500 साल प्राचीन

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Apr 10, 2024, 12:43 PM IST

Updated : Apr 10, 2024, 1:22 PM IST

जबलपुर का बुडी खेर माई मंदिर लगभग 1500 साल प्राचीन

जबलपुर। जबलपुर के बुडी खेर माई मंदिर के ठीक बाहर एक गाड़ीवान की मूर्ति भी लगी हुई है. लोगों की मान्यता है कि यही गाड़ीवान बुडी खेर माई की मूर्ति को लेकर इस मंदिर में आए थे. आज से लगभग 1500 साल पहले इस मंदिर में उनकी स्थापना की थी. इसलिए मंदिर में देवी की मूर्ति के साथ ही गाड़ीवान की मूर्ति की भी पूजा की जाती है. मुस्लिम बहुल इलाके में इस मंदिर में पूजा पुलिस की देखरेख में होती है. यहां पूरे साल पुलिस की तैनाती रहती है.

जबलपुर का बुडी खेर माई

लगभग 1500 सालों से लगातार माता की पूजा

जबलपुर बुडी खेर माई मंदिर में बीते लगभग 1500 सालों से लगातार माता की पूजा हो रही है. इस मंदिर को जबलपुर में बूडी खेर माई के नाम से जाना जाता है. रानी दुर्गावती की कुलदेवी इस मंदिर के पुजारी आत्मानंद वाजपेयी बताते हैं "बूडी खेर बाई गोंडवाना साम्राज्य के राजाओं की कुलदेवी हुआ करती थीं. गोंडवाना साम्राज्य का इतिहास 500 साल पुराना है. माना जाता है कि इस पूरे इलाके में गोड वंश के लोग रामायण काल से निवास करते रहे हैं."

जबलपुर का बुडी खेर माई मंदिर

जबलपुर में गोंडवाना संस्कृति के कई पुराने मंदिर

जबलपुर में गोंडवाना संस्कृति से जुड़े कई पुराने मठ और मंदिर हैं. इनमें बजाना मठ, अघोरी बाबा का मंदिर, बड़ी खेरमाई का मंदिर और बुडी खेरमाई का मंदिर खास हैं. श्रद्धालु अशोक कुमार सोनी ने बताया "बूढी खेर माई मंदिर फिलहाल जबलपुर की हनुमान ताल के पास घनी मुस्लिम बस्ती के बीच में हो गया है. यहां कभी एक छोटा तालाब हुआ करता था. उसके किनारे यह मंदिर बना हुआ था. धीरे-धीरे इस पूरे इलाके में बस्ती बनती चली गई. अब यहां कोई भी हिंदू आबादी नहीं है लेकिन इसके बावजूद मंदिर में पूजन अर्चन होता है. लोग पूरी श्रद्धा के साथ पूजा पाठ करते हैं." हालांकि इस मंदिर के ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए यहां पूरे समय पुलिस तैनात रहती है. लेकिन यहां कभी कोई विवाद नहीं होता और दोनों ही समाज माता को मानते हैं.

जबलपुर की बुडी खेर माई

मंदिर में सदियों पुरानी मूर्तियों की पूजा

इस मंदिर में आज भी सदियों पुरानी मूर्तियां हैं. इनमें देवी की मूर्तियां हैं. कुछ दूसरे देवताओं की मूर्तियां हैं और कुछ मूर्तियां ऐसी भी हैं, जिनके बारे में किसी को सही जानकारी नहीं है. हालांकि मंदिर का पुनर्निर्माण कई बार हुआ है लेकिन स्थल में कोई परिवर्तन नहीं हुआ. मंदिर के पुजारी बताते हैं कि यह देवस्थल केवल पुराना ही नहीं है, बल्कि यह सिद्ध स्थल भी है. लोगों की मान्यताएं हैं कि यहां मांगी हुई मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इसीलिए लोग यहां आते हैं.

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संवेदनशील इलाका होने से पुलिस तैनात

वहीं, मंदिर की सुरक्षा में तैनात पुलिस अधिकारी शशि धुर्वे ने बताया "यहां पूरे साल 24 घंटे सुरक्षा व्यवस्था रहती है. नवरात्रि के समय श्रद्धालु ज्यादा पहुंचते हैं. इसलिए पुलिस की तैनाती बढ़ा दी जाती है. इस मंदिर के चारों तरफ 100% मुस्लिम आबादी है और बीच में यह मंदिर है. इसलिए यह जबलपुर का सबसे संवेदनशील इलाका माना जाता है. पूरे इलाके के मुस्लिम भी मंदिर को लेकर श्रद्धालुओं की मदद करते हैं. हालांकि मंदिर तक आने के लिए एक बेहद संकरी गली से गुजरना होता है लेकिन आप किसी भी मुस्लिम से यदि मंदिर का पता पूछेंगे तो वह बड़ी श्रद्धा के साथ आपको मंदिर तक पहुंचा देगा."

Last Updated : Apr 10, 2024, 1:22 PM IST

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