नई दिल्ली: दिल्ली की सातों लोकसभा सीटों के चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद अब चुनाव से संबंधित आंकड़ें सामने आ रहे हैं. चुनाव आयोग के आंकड़ों में एक ऐसी लोकसभा सीट का डेटा सामने आया है जो काफी चौंकाने वाला है.
दिल्ली के एक संसदीय क्षेत्र की एक विधानसभा से विधायक प्रत्याशी के बेटे हैं लेकिन इस चुनाव में चली बीजेपी की आंधी में उनके बेटे भी अपने पिता के लिए लोगों से ज्यादा वोट नहीं जुटा पाए. बीजेपी ने विधायक बेटे की सीट पर वोटों में बड़ी सेंधमारी की और वहां से विधायक के पापा को हराकर अच्छा वोट मार्जिन हासिल किया.
हम बात कर रहे हैं वेस्ट दिल्ली लोकसभा सीट की जहां से आम आदमी पार्टी ने 'इंडिया गठबंधन' के प्रत्याशी के रूप में पूर्व सांसद महाबल मिश्रा को चुनावी मैदान में उतारा था. महाबल मिश्रा के बेटे विनय मिश्रा उनके संसदीय क्षेत्र की द्वारका विधानसभा से आम आदमी पार्टी के मौजूदा विधायक हैं.इतना ही नहीं वह आम आदमी पार्टी के राजस्थान संगठन के स्टेट प्रभारी की जिम्मेदारी भी संभाल रहे हैं. लेकिन वह इस सीट पर बीजेपी को मात देने में पीछे रह गए हैं.
विनय मिश्रा की कब्जे वाली द्वारका विधानसभा में भी आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी और उनके पिता महाबल मिश्रा के पक्ष में सिर्फ 57196 वोट पड़े थे जोकि कुल 43.07% होता है जबकि इस विधानसभा में बीजेपी की कैंडिडेट कमलजीत सहरावत को बंपर वोटिंग हुई थी. कमलजीत सहरावत के पक्ष में इस विधानसभा में 72572 वोट पड़े थे जोकि कुल प्रतिशत 54.65 बनता है.
गौर करने वाली बात यह भी कि महाबल मिश्रा खुद द्वारका विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर तीन बार के विधायक रह चुके हैं और एक बार 2009 से 2014 तक सांसद भी रह चुके हैं. बावजूद इसके वो इस बार के चुनाव में अपने और बेटे के गढ़ से भी ज्यादा से ज्यादा वोट हासिल नहीं कर पाए.महाबल मिश्रा अपने ही गढ़ में धराशाही हो गए. इस द्वारका विधानसभा सीट को उनके बड़े गढ़ के रूप में देखा जाता रहा है लेकिन यहां जनता ने लोकसभा चुनाव में उनको वोट देने में कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखाई है.
इस संसदीय सीट के अंतर्गत एक खास विधानसभा और आती है जोकि नजफगढ़ विधानसभा है. यह सीट भी अपने आप में बेहद खास है क्योंकि यहां से आम आदमी पार्टी के विधायक कैलाश गहलोत हैं. कैलाश गहलोत दिल्ली सरकार में कैबिनेट मंत्री भी हैं और जाट समुदाय से ताल्लुक रखते हैं. जाट बाहुल्य मानी जाने वाली इस संसदीय सीट और नजफगढ़ विधानसभा में भी वह AAP कैंडिडेट के पक्ष में ज्यादा वोट नहीं दिला पाए.