जयपुर: गणेश चतुर्थी का पर्व छोटी काशी जयपुर में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. शहर के मोती डूंगरी गणेश मंदिर, नहर के गणेश मंदिर, गढ़ गणेश मंदिर, सिद्धिविनायक गणेश मंदिर समेत तमाम मंदिरों में अल सुबह से लेकर रात तक भक्तों का तांता लगा रहा. वहीं जोरावर सिंह गेट पर 5100 दीपक जलाकर भगवान गणेश की पूजा अर्चना की गई. हवामहल विधायक स्वामी बालमुकुंद आचार्य ने गेट पर विराजमान गणेश जी की पूजा-अर्चना की.
राजधानी के परकोटा की सुरक्षा के लिए बने सात गेटों का काफी महत्व है. यह गेट शहर के सुरक्षा कवच माने जाते हैं. जयपुर परकोटे में प्रवेश के लिए बनाए गए गेटों का निर्माण भगवान सूर्य के साथ अश्वों के परिचायक के तौर पर किया गया था. सूरजपोल गेट, जोरावर सिंह गेट, चांदपोल गेट, सांगानेरी गेट, गंगापोल गेट समेत अन्य गेटों का निर्माण किया गया था. परकोटे के सभी गेटों पर भगवान गणेश की प्रतिमा विराजमान है.
पढ़ें:बारिश के बीच गणेश चतुर्थी पर लाखों भक्तों ने त्रिनेत्र गणेश जी के किए दर्शन - Ganesh Chaturthi in Ranthambore
गणेश चतुर्थी के अवसर पर हवा महल विधायक बालमुकुंद आचार्य ने सबसे पहले गंगापोल गेट पर विराजमान भगवान गणेश जी की पूजा-अर्चना की. शनिवार देर शाम को जोरावर सिंह गेट पर भगवान गणेश की पूजा अर्चना करके 5100 दीपकों से महाआरती की गई. कार्यक्रम में जयपुर शहर सांसद मंजू शर्मा, पार्षद अनीता जैन, पार्षद रजत विश्नोई समेत काफी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए. जनकल्याण आमेर रोड विकास समिति और श्री गणेश पूजन समिति की ओर से कार्यक्रम आयोजित किया गया.
पढ़ें:ढोल नगाड़ों की गूंज के बीच पंडालों में बिराजे गणपति बप्पा, नाचते झूमते भक्तों के किया स्वागत - ganeshotsav in barmer
बालमुकुंद आचार्य ने बताया कि चारदीवारी क्षेत्र के मुख्य गेटों पर विराजमान भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की गई. विघ्नहर्ता और मंगलकर्ता भगवान गणपति सृजनात्मक कार्य करने की प्रेरणा देते हैं. कोई भी नया काम शुरू करने से पहले भगवान गणेश की आराधना से आगे आने वाली बाधाएं दूर होती हैं. गणेश जी महाराज से देश और प्रदेश में शांति, सद्भाव और समृद्धि की कामना की गई है.
पढ़ें:राजस्थान में यहां है भगवान गणेश की सबसे बड़ी प्रतिमा, गणेश चतुर्थी पर 200 किलो मोदक का लगता है भोग - Dojraj Ganesh temple of Didwana
पूर्व से पश्चिम दिशा के क्रम में उगते सूर्य की तरफ सूरजपोल और अस्तांचल सूर्य की तरफ चांदपोल गेट का निर्माण कराया गया था. इसके बीच में 3 किलोमीटर के क्षेत्र में तीन चौपड़ हैं, उनसे लगते हुए बाजारों के गेट अजमेर की तरफ गुजरने वाली रोड का गेट अजमेरी गेट है. शिवपोल को सांगानेरी गेट के नाम से जाना जाता है. रामपोल को वर्तमान में घाटगेट के नाम से जाना जाता है. जयपुर का सबसे पहला दरवाजा जहां पर जयपुर की नींव रखी गई थी, वह गंगापोल गेट कहलाता है. उत्तर दिशा में ध्रुवपोल गेट है, जो जोरावर सिंह गेट के नाम से जाना जाता है. सवाई मानसिंह के समय मानपोल गेट बनाया गया था, जो वर्तमान में न्यू गेट के नाम से जाना जाता है.
इतिहासकारों की माने तो सवाई जयसिंह का मानना था कि शहर में जो भी प्रवेश करें, उसके लिए जयपुर शुभ रहे. इसलिए हर गेट पर भगवान गणेश की प्रतिमा को विराजमान करवाया गया था. उनके दर्शन के साथ ही व्यक्ति परकोटे में प्रवेश करता है. सभी प्राचीन मूर्तियां हैं. जयपुर की बसावट के दौरान विधि-विधान के साथ गणेश जी की प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा की गई थी.