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महाकुंभ की सुंदरी लेगी संन्यास या करेगी शादी, पिता ने खोले हर्षा के दिल के राज - HARSHA RICHHARIYA FATHER INTERVIEW

महाकुंभ में एक लड़की जिसे लोग साध्वी समझ रहे हैं, वह खूब चर्चाओं में रही. भोपाल की हर्षा रिछारिया की सुंदरता के चर्चा चारों तरफ है. भोपाल से विश्वास चतुर्वेदी की रिपोर्ट में जानते हैं हर्षा की जिंदगी से जुड़े और भी राज.

HARSHA RICHHARIYA FATHER INTERVIEW
महाकुंभ की सुंदरी लेगी संन्यास या करेगी शादी (ETV Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 17, 2025, 10:20 PM IST

Updated : Jan 17, 2025, 10:36 PM IST

भोपाल: प्रयागराज महाकुंभ में अपनी सुंदरता को लेकर चर्चा में आई सोशल इंफ्लुएंसर हर्षा रिछारिया के भगवा वस्त्र पहनने का भले ही शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद और स्वामी आनंद स्वरूप विरोध कर रहे हों, लेकिन हर्षा 11 साल की उम्र से ही शिव की उपासक रही हैं. कक्षा 5वीं से ही वो महादेव को अपना इष्ट मानती हैं. ये कहना है भोपाल में रहने वाले हर्षा के पिता दिनेश रिछारिया का. उन्होंने बताया कि हर्षा बचपन से अध्यात्मिक प्रवृत्ति की रही है. बिना नहाए और पूजा किए, न तो स्कूल-कालेज जाती और न ही भोजन ग्रहण करती थी.

हर्षा ने भोपाल से किया ग्रेजुएशन

दिनेश रिछारिया ने बताया कि "हर्षा ने भोपाल के एमपी नगर स्थित विक्रमादित्य कालेज से बीबीए में ग्रेजुएशन किया है. कॉलेज के दिनों में भी हर्षा बद्रीनाथ-केदानाथ समेत अनय धार्मिक यात्राओं पर जाती रही. उनका ध्यान अध्यात्म की ओर बढ़ता गया. अब हर्षा ऋषिकेश में किराए का मकान लेकर रहती है. गुरुजी हरिद्वार में रहते हैं, वहीं उनका आश्रम है. हर दूसरे तीसरे दिन हर्षा हरिद्वार गुरुजी से मिलने जाती है. उनसे दिशा निर्देश लेती है. उनके बताए मंत्रों का जाप करती है. दिनभर मंत्रों का जाप करना, वेद पुराणों का अध्ययन करना ही उसका रुटीन वर्क है."

हर्षा रिछारिया के पिता से ईटीवी भारत ने बात की (ETV Bharat)

विदेशों में शो होस्ट करती हैं हर्षा

हर्षा के पिता ने बताया कि वो एंकरिंग करती है. अभी साल 2024 में ही उन्होंने विदेशों में कई शो होस्ट किए हैं. नेपाल, साऊदी और मॉरीशस में उन्होंने होस्ट किया है. वो अपने प्रोफेशनलिज्म और अध्यात्मिक जीवन को साथ-साथ लेकर चल रही हैं. इसके साथ ही सोशल मीडिया में हर्षा के करोड़ों में फॉलोअर्स हैं.

हर्षा रिछारिया नहीं लेगी सन्यास (ETV Bharat)

साध्वी मत कहिए, केवल दीक्षा ली

हर्षा को साध्वी कहने पर उनके पिता भड़क गए. उन्होंने कहा कि साध्वी मत कहिए. मीडिया में प्रचारित किया जा रहा है, कि हर्षा साघ्वी है, लेकिन अब तक उसने अपने किसी बयान में नहीं कहा कि मैं साध्वी हूं. उनके गुरुजी ने भी यह बात क्लियर कर दी है, कि हर्षा अभी मेरी शिष्या है. उसने केवल गुरु दीक्षा ली है. जो हर आदमी ग्रहस्थ जीवन में रहते हुए ले सकता है. उन्होंने मीडिया से अपील की है, कि हर्षा पर लगा साध्वी का टैग हटाएं. जबकि उनके गुरु खुद स्वीकार कर चुके हैं, कि हर्षा केवल शिष्या हैं, न की सन्यासी.

हर्षा ने गुरु से ली दीक्षा (ETV Bharat)

गुरुजी के कहने पर हर्षा करेगी शादी

हर्षा के पिता दिनेश रिछारिया से जब पूछा गया कि क्या वो शादी करेंगी. तो उन्होंने बताया कि उनकी बेटी अभी जिस पड़ाव में हैं, यहां से बड़ा परिवर्तन होता है. जब कोई गुरु दीक्षा लेता है, तो उसके लिए गुरु ही पिता के समान होता है. आगे गुरु का जो भी आदेश होगा, हर्षा उसका पालन करेंगी. इसके साथ ही हर्षा की इच्छा क्या है, यह भी मायने रखता है. उनकी इच्छा के साथ गुरुजी का जो आदेश होगा, वो परिवार के सभी लोगों को मान्य है.

ध्यान की मुद्दा में हर्षा रिछारिया (ETV Bharat)

स्टीव जॉब्स की पत्नि भी हैं कैलाशानंद की शिष्या

निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी हर्षा के गुरु हैं. इन्हीं से हर्षा ने गुरुदीक्षा ली है. निरंजनी अखाड़ा देश के बड़े और प्रमुख अखाड़ों में से एक है. जूना अखाड़े के बाद निरंजनी अखाड़े को सबसे ताकतवर माना जाता है. निरंजनी अखाड़ा भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय को अपना ईष्ट मानते हैं. निरंजनी अखाड़े के पास देश में करीब 1 हजार करोड़ रुपये की संपत्ति है. इसमें 10 हजार से अधिक नागा साधु जुड़े हुए हैं. निरंजनी अखाड़े को सबसे ज्यादा पढ़े लिखे संतों का अखाड़ा भी कहा जाता है. यहां 70 प्रतिशत साधु संत उच्च शिक्षा प्राप्त हैं. एप्पल के फाउंडर स्टीव जाब्स की पत्नि लारेल पावेल भी स्वामी कैलाशानंद गिरी की शिष्या हैं.

महाकुंभ की वायरल सुंदरी हर्षा रिछारिया (ETV Bharat)

भगवा वस्त्र हर सनातनी का अधिकार

ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने हर्षा के गेरुआ वस्त्र धारण करने पर सवाल उठाते हुए कहा था कि महाकुंभ में चेहरे की सुंदरता नहीं बल्कि ह्रदय की सुंदरता देखा जाना चाहिए. जो अभी तय नहीं कर पाया है कि सन्यास की दीक्षा लेनी है या शादी करनी है. उसे संत महात्माओं के शाही रथ पर जगह दिया जाना उचित नहीं है. वो श्रद्धालु के तौर पर शामिल होती तब भी ठीक था, लेकिन भगवा कपड़े में शाही रथ पर बिठाना पूरी तरह गलत है.

सनातन के प्रति समर्पण होना जरुरी होता है. वही इस मामले पर हर्षा के पिता ने कहा कि भगवा वस्त्र पर हर सनातनी का अधिकार है. स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का सम्मान इसलिए लोग करते हैं, क्योंकि वो शंकराचार्य हैं. उन्होंने तो प्रधानमंत्री और योगी को भी नहीं छोड़ा.

Last Updated : Jan 17, 2025, 10:36 PM IST

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