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एक नवंबर पर कैसे बना उस स्याह रात का संयोग, 68 साल बाद की अमावस्या में क्या बदला

1 नवंबर 1956 को मध्य प्रदेश का स्थापना दिवस है. उस दिन अमावस्या थी. 68 साल बाद फिर संयोग बन रहा है.

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मध्य प्रदेश स्थापना दिवस (ETV Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 4 hours ago

भोपाल:इस बार मध्य प्रदेश का स्थापना दिवस वाकई खास है. खास इसलिए कि जब मध्य प्रदेश अपना 69वां स्थापना दिवस मना रहा है, तब फिर एक बार दीपावली का ही मौका है. 1 नवम्बर 1956 को भी अमावस्या ही थी, जिस दिन मध्य प्रदेश एक राज्य के तौर पर स्थापित हुआ था. अमावस्या की रात ही इस प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री पंडित रविशंकर शुक्ल ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी.

68 साल बाद बना सुखद संयोग

इस बार मध्य प्रदेश जब अपनी स्थापना के 68 वर्ष पूरे कर रहा है, तब एक सुखद संयोग बना है. संयोग इसलिए कि, इस बार भी 1956 की तरह ही 1 नवम्बर को अमावस्या है. हालांकि इस बार 31 अक्टूबर और 1 नवम्बर दो दिन अमावस्या है. लेकिन दीपावली के माहौल में ही मध्य प्रदेश का स्थापना दिवस आया है. असल में अमावस्या की रात को मध्य प्रदेश ने एक राज्य के तौर पर करवट ली थी. बिल्कुल अभी वैसा ही संयोग बना था. पूरे प्रदेश में दीपावली की तैयारी की जा रही थी.

नए भोपाल की बसावट नहीं हुई थी

इन 68 सालों में एमपी की सत्ता कई बार बदली. भूगोल भी बदला लेकिन सुखद संयोग की तरह आज भी वो राजभवन मौजूद है जहां प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री पंडित रविशंकर शुक्ल ने शपथ ली थी. आज भी वो राजभवन कमोबेश उसी शक्लों सूरत में कुछ बेहतर होकर मौजूद है. पूर्व मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता रहे राघवजी बताते हैं कि, "उस समय एमपी का चेहरा ऐसा नहीं था जैसा अब है. यूं समझिए कि नया भोपाल की बसाहट तो हुई ही नहीं थी. जो अभी पुलिस हेड क्वॉर्टर है. उसके आगे भोपाल में बसाहट थी ही नहीं." राघवजी कहते हैं, "हालांकि मैं भोपाल 1956 में यानि मध्य प्रदेश की स्थापना के साथ ही आ गया था. लेकिन राजनीति में आने की शुरुआत दो साल बाद हुई."

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अमावस की रात हजारों दीयों से रोशन था भोपाल

उस रोज अमावस की रात थी. 1 नवम्बर 1956 का दिन और मध्य प्रदेश अपनी स्थापना से पहले दीपावली मना रहा था. तब जनता को क्या मालूम था कि दीपावली की इस रौनक में एक प्रदेश के जन्म लेने की उजास भी शामिल है. इसके पहले तक मध्य प्रदेश की राजधानी तय नहीं हो पाई थी. अमावस्या को प्रदेश के गठन और मुख्यमंत्री की शपथ को लेकर अंधविश्वास ने भी घेरा था. जानकार बताते हैं कि किसी ने रविशंकर शुक्ल को टोका भी कि आज के दिन आप शपथ ले रहे हैं जबकि आज तो अमावस्या है. लेकिन पंडित रविशंकर शुक्ल ने इसके जवाब में कहा कि, इतने दिए तो रोशन हैं. अमावस्या का अंधेरा कहां बचा.

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