लखनऊ :भारत और ताजिकिस्तान के बीच सांस्कृतिक संबंधों का शब्दकोष तैयार होगा. दोनों देशों की साझा संस्कृति, लोक कला, कृषि संबंधित त्योहार पर शिक्षक कार्य करेंगे. जिससे दोनों देशों के छात्र एक दूसरे की संस्कृति से जुड़ सकें. इसे लैक्सीकोग्राफी शब्दकोष निमार्ण की कला भी कहते हैं. यह न केवल शब्दकोष का निमार्ण होगा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों का भी निर्माण होगा.
लखनऊ विश्वविद्यालय के शिक्षकों का दल ताजिकिस्तान के उच्च शिक्षा संस्थानों के उन्नयन, ज्ञान के विनिमय और संस्कृति के सेतु को जोड़ने का कार्य कर रहा है. इसके लिए सांस्कृतिक शब्दकोष का भी निर्माण किया जाएगा. 1991 में सोवियत संघ के पतन की पूर्व संध्या पर ताजिकिस्तान गिरती अर्थव्यवस्था और आर्थिक सुधार की धुंधली संभावनाओं से पीड़ित देश था. जहां प्रति हजार युवाओं की आबादी पर स्नातक शिक्षितों की तादात दुनिया में सबसे कम थी. समय के साथ ताजिक युवाओं ने बेहतर शिक्षा के लिए भारतीय शैक्षिक संस्थानों की ओर रुख किया तो भारतीय संस्थानों ने उनका भरपूर स्वागत किया है.
स्वामी विवेकानंद सांस्कृतिक केंद्र :ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे में स्वामी विवेकानंद सांस्कृतिक केंद्र भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद द्धारा नियुक्त शिक्षकों के माध्यम से कथक, तबला, संस्कृत, हिंदी का पाठ़यक्रम चला रहा है. अब योग, प्राकृतिक चिकित्सा और ज्योतिर्विज्ञान के पाठ़यक्रम भी आरंभ होंगे.
लखनऊ विश्वविद्यालय और ताजिक उच्च शिक्षा संस्थानों के बीच नई तकनीकों को लेकर भी सहयोग आगे बढ़ेगा. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मार्केट शोध, लाजिस्टियन, इंजीनियरिंग आदि विषयों पर विश्वविद्यालय और ताजिक शिक्षा संस्थान ज्ञान का विनिमय करेंगे.
दोहरी डिग्री का फायदा भी मिलेगा :लखनऊ विश्वविद्यालय ने ताजिक उच्च शिक्षा संस्थानों के साथ एमओयू (मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैडिंग) पर हस्ताक्षर किया है. अब छात्रों को दोहरी डिग्री का लाभ मिलेगा. छात्र लविवि और ताजिक दोनों संस्थानों की डिग्रियां हासिल कर सकेंगे. शोध और विभिन्न पाठ्यक्रमों में विद्यार्थी विनिमय की रूपरेखा भी बनेगी.