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लखनऊ मेट्रो 5 साल में होगी वर्ल्ड क्लास, हाईटेक स्टेशन, सोलर लाइट, शॉपिंग मॉल और बहुत कुछ... - lucknow metro new route - LUCKNOW METRO NEW ROUTE

लखनऊ मेट्रो के नए रूट को लेकर मंजूरी मिल चुकी है. इसी के साथ 12 स्टेशनों को विकसित करने का रास्ता साफ हो चुका है. इसका आने वाला पांच साल में बड़ा असर पड़ेगा. चलिए जानते हैं इस असर के बारे में.

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lucknow metro new route. (photo credit: lucknow metro)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 14, 2024, 11:59 AM IST

लखनऊ: आने वाले पांच सालों में लखनऊ की तस्वीर बदल जाएगी. शहरवासी जिस मेट्रो का सालों से इंतजार कर रहे थे उनका इंतजार अगले पांच साल में खत्म होगा. चारबाग से वसंत कुंज के बीच तेजी से मेट्रो दौड़ने लगेगी. इससे शहर वासी अपने साधनों को छोड़कर मेट्रो की तरफ रुख करेंगे. मेट्रो से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि सेकंड फेज में पहले फेज की तुलना में कहीं ज्यादा हाईटेक और मॉडर्न मेट्रो स्टेशन बनाए जाएंगे. यात्रियों को और ज्यादा सुविधाएं दी जाएंगी.

पांच साल बाद बदल जाएगी लखनऊ की तस्वीर. (photo credit: etv bharat)
उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कारपोरेशन के अधिकारियों ने बताया कि सेकंड फेज के मेट्रो स्टेशनों के निर्माण में यात्री सुविधाओं का खास ख्याल रखा जाएगा. ऊर्जा संरक्षण पर और ज्यादा ध्यान दिया जाएगा. स्टेशनों को सोलर पैनल से लैस किया जाएगा जिससे बिजली की ज्यादा बचत की जा सके. स्टेशनों को काफी हाईटेक बनाया जाएगा जिससे यात्री स्टेशन पर आएं तो उन्हें वर्ल्ड क्लास सुविधा मिले.
लखनऊ मेट्रो होगी विश्वस्तरीय. (photo credit: lucknow metro)
स्टेशन पर शॉपिंग मॉल भी बनाया जाएगा. टीडीओ पॉलिसी के तहत सभी मेट्रो स्टेशनों को पब्लिक ट्रांसपोर्ट से कनेक्ट किया जाएगा. पहले फेज में जो भी स्टेशन बने हैं उनकी तुलना में दूसरे फेज के मेट्रो स्टेशनों का आकार भी बढ़ाया जाएगा. हालांकि अभी भी मेट्रो स्टेशनों पर दुकान और फूड स्टॉल तो स्थापित हैं ही, लेकिन दूसरे फेज के स्टेशनों पर शॉपिंग मॉल की भी सुविधा यात्रियों को उपलब्ध कराई जाएगी. शॉपिंग मॉल में खानपान और गृहस्थी का भी पूरा सामान मिलेगा. मेट्रो स्टेशनों पर सिर्फ यात्री ही नहीं आम लोग भी शॉपिंग कर सकेंगे. अधिकारी बताते हैं कि सेकंड फेज में पांच एलिवेटेड मेट्रो स्टेशनों का निर्माण किया जाएगा. इनके निर्माण में आज गर्डर का इस्तेमाल होगा. इसके बनने से मेट्रो एक से दूसरी लाइन पर आसानी से मूव हो सकेगी. एक गर्डर का वजन 165 टन के करीब होगा. प्री कॉस्ट तकनीक से गर्डर के निर्माण में पैसे के साथ ही समय की भी काफी बचत होगी. सेकंड फेज के ये होंगें स्टेशनचारबाग से वसंत कुंज तक प्रस्तावित ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर की कुल लंबाई 11.165 किलोमीटर होगी, जिसमें एलिवेटेड लंबाई 4.286 किलोमीटर होगी जबकि भूमिगत लंबाई 6.879 किलोमीटर होगी. इस कॉरिडोर में कुल स्टेशनों की संख्या 12 होगी, जिसमें सात भूमिगत और पांच एलिवेटेड स्टेशन होंगे. इस प्रस्तावित कॉरिडोर के पूरा होने का अनुमानित समय पांच साल हैं. ये कोरिडोर मौजूदा नार्थ साउथ कोरिडोर के चारबाग मेट्रो स्टेशन से जुड़ेगा. चारबाग मेट्रो स्टेशन इंटरचेंज स्टेशन के तौर पर काम करेगा.

ये होंगे स्टेशन



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